बिना हेजिंग वाली ईसीबी, ईएसजी अनुपालन पर जोखिम

ऐसे समय में जब अमेरिका में उच्च ब्याज दर और डॉलर को लेकर वैश्विक होड़ ने भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ा दिया है, मुद्रा विशेषज्ञों ने विनिमय दर को लेकर एक अन्य संभावित जोखिम की बात कही है और यह है बिना हेजिंग वाली बाह्य वाणिज्यिक उधारी।

बाह्य उधारी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, जून के आखिर में बाकी विनिमय दर और स्प्रेड बची परिपक्वता अवधि के आधार पर अल्पावधि वाला कर्ज मार्च 2022 के विदेशी मुद्रा भंडार का 44.1 फीसदी है, जो मार्च 2021 के आखिर में 43.8 फीसदी रहा था।

कर्ज की इस तरह की देनदारी में लंबी अवधि का कर्ज शामिल है, जिसकी मूल परिपक्वता अगले 12 महीने में देखने को मिलेगी।

आंकड़े बताते हैं कि भारत की कुल बाह्य उधारी 620.7 अरब डॉलर के प्रतिशत के तौर पर अगले 12 महीने में परिपक्व होने वाला अल्पावधि का कर्ज 43.1 फीसदी है। 25 मार्च, 2022 को आरबीआई के पास 617.65 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था।

परिपक्व होने वाली कुछ उधारी रोल ओवर होगी क्योंकि अमेरिकी ब्याज दर बढ़ विनिमय दर और स्प्रेड रही है और कमजोर रुपये के कारण हेजिंग की लागत में इजाफा हो रहा है, ऐसे में बाह्य वाणिज्यिक उधारी देसी मुद्रा के लिए जोखिम खड़ी कर रही है।

डॉलर के मुकाबले रुपये में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला है और 5 जुलाई को यह अब तक के सबसे विनिमय दर और स्प्रेड निचले स्तर 79.36 पर आ गया। इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 6.2 फीसदी टूट चुका है।

एसपी जैन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च के सहायक प्रोफेसर अनंत नारायण ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, बिना हेजिंग वाली उधारी को लेकर समस्या है। काफी लोगों ने बाह्य वाणिज्यिक उधारी ली है। आरबीआई के अनुमान के मुताबिक, मोटे तौर पर 40 फीसदी की ही हेजिंग हुई है। ऐसे में लोगों को डॉलर की खरीदारी की हमेशा दरकार है। दूसरा, कई उधारी परिपक्व होने वाली है। ऐसे में विदेशी बाजारों में भारतीय प्रतिभूतियों का स्प्रेड बढ़ा है।

नारायण ने कहा, डॉलर के पुनर्भुगतान की समस्या हो सकती है, जो अल्पावधि में आने वाला है, खास तौर से अगर ऐसी ईसीबी के लिए विगत में हेजिंग नहीं हुई है। कुल मिलाकर रुपये पर दबाव बढ़ेगा? हां, यह संभव है। नारायण विगत में आरबीआई की कई समितियों को अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

विनियम दर के उतार-चढ़ाव से बचाव को विदेशी मुद्रा बफर की जरूरत

नयी दिल्ली, 13 जुलाई (भाषा) भारत को खुद को विनिमय दर के उतार-चढ़ाव से संरक्षित रखने को विदेशी मुद्रा के बफर भंडार की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक विनिमय दर और स्प्रेड के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को यह बात कही। राजन ने कहा कि अदला-बदली लाइन के लिए हमारे कोई दोस्त नहीं हैं और 2013 के ‘टैपर टैंट्रम’ में सिर्फ जापान एकमात्र देश था जिसने हमारी मदद की थी। आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजन ने कहा कि 2013 के टैपर टैंट्रम के दौरान भारत ने अदला-बदली लाइन की मांग की थी,

राजन ने कहा कि अदला-बदली लाइन के लिए हमारे कोई दोस्त नहीं हैं और 2013 के ‘टैपर टैंट्रम’ में सिर्फ जापान एकमात्र देश था जिसने हमारी मदद की थी।

आर्थिक शोध संस्थान एनसीएईआर द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजन ने कहा कि 2013 के टैपर टैंट्रम के दौरान भारत ने अदला-बदली लाइन की मांग की थी, लेकिन उस समय सिर्फ जापान ने हमारी मदद की थी।

उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें संरक्षण के लिए अदला-बदली लाइन की जरूरत है। हमारा कोई दोस्त नहीं है। यहां तक कि यूरोपीय संघ को भी फेडरल रिजर्व से अदला-बदली की सुविधा मिली थी।

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