Amazon,Tesla, Netflix जैसे अमेरिकी स्टॉक्स में क्या आपको NSE IFSC के जरिए करना चाहिए निवेश?
ऐसे निवेशक जिनको ग्लोबल कंपनियों और ग्लोबल मार्केट की अच्छी समझ है वो NSE IFSC के जरिए अमेरिकी शेयरों में निवेश का तरीका अपना सकते हैं.
भारतीय निवेशक अब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर (IFSC) प्लेटफॉर्म के जरिए 3 मार्च से 8 pm और 2.45 am तक 8 चुनिंदा अमेरिकी शेयरों में ट्रेडिंग कर सकेंगे। शुरूआत में Amazon, Apple, Alphabet (Google), Tesla, Meta Platforms (Facebook), Microsoft, Netflix और Walmart के शेयरों में ट्रे़डिंग की अनुमति मिली है।
इस शेयरों में ट्रेडिंग NSE IFSC निवेशकों को डिपॉजिटरी रीसिट देगी जो इन ग्लोबल कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग करने के बदले मिलेंगे। चूंकि विदेशी निवेश लिमिट में अभी बढ़ोतरी नहीं की आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? गई है। ऐसे में अधिकांश इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड ग्लोबल मार्केट में निवेश करने की अपनी सीमा पार कर चुके हैं। जिसकी वजह से म्यूचुअल फंडों और ईटीएफ के जरिए विदेशी निवेश के बहुत ही कम विकल्प हैं। इस स्थिति में NSE IFSC भारतीय निवेशकों को अमेरिकी बाजारों में निवेश करने का एक और विकल्प दे रहा है।
आइए जानते हैं क्या निवेशकों के लिए यह सुविधा उपयुक्त है और क्या इस तरह का निवेश करना चाहिए।
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NSE IFSC के जरिए विदेशी शेयरों में कैसे करें निवेश
इसके लिए निवेशकों को सबसे पहले गुजरात के गिफ्ट सिटी में डिपॉजिटरी के साथ एक डीमैट अकाउंट खोलना होगा। इसके लिए निवेशकों को इस बात की जांच कर लेनी चाहिए की क्या उनका ब्रोकर डिपॉजिटरी में भागीदार है। तमाम बड़े रिटेल ब्रोकरेज फर्म NSE IFSC से अपना कारोबार शुरु कर रहे हैं। वर्तमान में गिफ्ट सिटी में सिर्फ एक डिपॉजिटरी है जिसमें NSE, BSE, Multi Commodity Exchange of India, National Securities Depository और Central Depository Services (India) का संयुक्त मालिकाना हक है।
इसके अलावा विदेशी शेयरों में निवेश के इच्छुक निवेशकों को NSE IFSC के ब्रोकर मेबर के साथ एक ट्रेडिंग अकाउंट भी खोलना होगा। इस तरह के निवेश में निवेशकों को उनके इन्वेस्टमेंट के बदले अमेरिकी कंपनियों के शेयर ना मिलकर उनके DRs (डिपॉजिटरी रीसिट) मिलेंगे। जो कि निवेशक के डीमैट अकाउंट में जमा होंगे। अगर कंपनियों द्वारा किसी तरीके के कॉर्पोरेट एक्शन (जैसे डिविडेंड ) का एलान किया जाता है तो उसको निवेशक के अकाउंट में उसके DRs होल्डिंग के अनुपात में क्रेडिट कर दिया जाएगा। हालांकि निवेशकों को इस तरह के निवेश पर कोई वोटिंग राइट नहीं होगा।
NSE की यह सुविधा ब्रोकरों द्वारा दी जाने वाली सुविधा से कितनी है अलग?
घरेलू ब्रोकर द्वारा दी जाने वाली विदेशी शेयरों में निवेश की सुविधा में ब्रोकर के नाम पर किसी थर्ड पार्टी कंसोडियन के साथ शेयर रखें जाते हैं। ये शेयर इन्वेस्टर के नाम पर नहीं होते। अगर किसी स्थिति में ब्रोकर डिफॉल्ट करता है तो पैसे की रिकवरी मुश्किल हो जाती है। इसके लिए निवेशक को यूएस सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन में आवेदन करना पड़ता है। डॉमेस्टिक ब्रोकर अपने ब्रोकर पार्टनरों द्वारा किसी जोखिम से निपटने के लिए इश्योरेंस कवर ले सकता है। ऐसे में आपको किसी ब्रोकर्स से इस तरह की सुविधा लेने के पहले इसकी जांच कर लेनी चाहिए कि उसने इस तरह का इंश्योरेंस कवर लिया है कि नहीं।
वहीं दूसरी तरफ NSE IFSC सेबी द्वारा रेगुलेटेड एक प्लेटफॉर्म है। जिसमें निवेश करने पर मिलने वाले डिपॉजिटरी रीसिट निवेशक के नाम पर ही जारी होते हैं।
क्या आपको करना चाहिए NSE IFSC के जरिए निवेश
तमाम फाइनेंशियल प्लानर का कहना है कि ऐसे निवेशक जो अपने पोर्टफोलियो को विदेशी निवेश के जरिए डायवर्सिफाइ करने की शुरुआत कर रहे हैं उनके लिए अभी भी म्यूचुअल फंडों और ईटीएफ के जरिए निवेश करना ज्यादा बेहतर विकल्प है।
Plan Ahead Wealth Advisors के विशाल धवन (Vishal Dhawan) का कहना है कि सभी निवेशकों के पास इतनी अच्छी रिसर्च क्षमता नहीं हो सकती है जिससे यह जान सकें कि उनको किन विदेशी स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए और किनसे दूर रहना चाहिए। ऐसे में विदेशी शेयरों के जरिए अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइ करने के इच्छुक निवेशकों के लिए अभी भी इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड(ETFs) बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कई म्यूचुअल फंडों की विदेशी ईटीएफ में निवेश करने की लिमिट अभी भी पूरी भरी नहीं है और यह खुले हुए हैं । विशाल धवन की सलाह है कि जब तक म्यूचुअल फंडों की विदेशी निवेश सीमा पर और सफाई नहीं आ जाती तब तक हम विदेशों में लिस्टेड ईटीएफ में निवेश पर फोकस कर सकते हैं। हालांकि ऐसे निवेशक जिनको ग्लोबल कंपनियों और ग्लोबल मार्केट की अच्छी समझ है वो NSE IFSC आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? के जरिए अमेरिकी शेयरों में निवेश का तरीका अपना सकते हैं।
10 BEST Demat Account In India | भारत में 10 सबसे बेस्ट डीमैट अकाउंट
पहले के समय में पेपर वर्क के माध्यम से शेयर खरीदने और बेचने की प्रक्रिया काफी मुश्किल होता था। इसी को दूर करने के लिए डीमैट अकाउंट (Demat Account) आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? शुरू किया गया। डीमैट का मतलब ‘डीमैटरियलाइजेशन’ ‘dematerialization’ होता है। डीमैट अकाउंट (shares and securities) को डीमटेरियलाइज करता है, ताकि उन्हें इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखा जा सके और कहीं से भी डिजिटल रूप में खरीदा और बेंचा जा सके।
आज के समय में डीमैट अकाउंट (Demat Account) के बिना, आप शेयरों की खरीद-विक्री नहीं कर सकते और ना ही ट्रैडिंग कर सकते हैं। क्योंकि वर्ष 1996 में, Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि सभी निवेशकों के पास शेयरों में ट्रैडिंग करने के लिए एक डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है।
आज के इस पोस्ट में हम आपको 10 सबसे बेस्ट डीमैट अकाउंट के बारे में जानकारी देने ताकि आप तय कर सकें कि आपके जरूरत के अनुसार कौन सा सबसे अच्छा है।
Demat Account: क्या है डीमैट अकाउंट, जानें खाता खोलने के लिए कौन से दस्तावेज हैं जरूरी
Tips To Open Demat Account: अगर आप भी सीधे शेयरों में निवेश करना चाहते हैं तो ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खोलने की जरूरत होगी। आइए जानते हैं डीमैट अकाउंट खोलने के लिए कौन से दस्तावेज आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? जरूरी हैं।
- जानिए क्या है डीमैट अकाउंट।
- यह ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करते हैं।
- जानें डीमैट अकाउंट खोलने के लिए कौन से दस्तावेज हैं जरूरी हैं।
शेयर बाजार में स्टॉक खरीदना और बेचना है तो उसके लिए डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है। डीमैट अकाउंट एक तरह से आपके बैंक अकाउंट की तरह होता है। अगर आप ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल रहे हैं तो आपको डीपी(ब्रोकर/बैंक) की वेबसाइट पर लॉगिन कर के अपना पैन कार्ड और एड्रेस प्रूफ अपलोड करना होगा। आवश्यक डॉक्यूमेंट बैंकों और अन्य वित्तीय संगठनों में आम हैं जो ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करते हैं। स्टॉक मार्केट के मामले में डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल एक ऐसे अकाउंट और लॉकर के रूप में किया जाता है, जहां आप खरीदे गए शेयर्स को जमा कर सकें। डीमैट अकाउंट खोलने से पहले आपको पर्सनल और इनकम डीटेल शेयर करने होते हैं।
डीमैट अकाउंट खोलने की प्रक्रिया वित्तीय संस्थानों में काफी समान है जिसे आपके ब्रोकर की मदद से शेयरों बाजार में खरीदारी करने से पहले डॉक्यूमेंट के एक मानक सेट की आवश्यकता होती है। आइए जानते हैं डीमैट अकाउंट खोलने के लिए किन-किन डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है।
पहचान पत्र के दस्तावेज
- पैन कार्ड से छूट के अलावा यह हर निवेशक के लिए अनिवार्य है। पहचान का एक स्वीकार्य प्रमाण उस पर आवेदक की एक वैलिड तस्वीर होनी चाहिए।
- यूआईडी या विशिष्ट पहचान संख्या। यह आपका आधार या पासपोर्ट या मतदाता कार्ड हो सकता है।
- निम्नलिखित में से किसी भी एजेंसी द्वारा जारी किए गए डॉक्यूमेंट को पहचानने वाले (आवेदक की फोटो के साथ): केंद्र या राज्य सरकार
- नियामक निकाय
- पीएसयू कंपनियां
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या सार्वजनिक वित्तीय कंपनियां
- विश्वविद्यालयों
- प्रोफेशनल बॉडी जैसे आईसीएआई, आईसीडब्ल्यूएआई, अन्य अपने सदस्यों के लिए इसे जारी कर सकते हैं।
एड्रेस प्रूफ के तौर पर आवश्यक डॉक्यूमेंट
- पते का सबूत
- पते के प्रमाण के रूप में स्वीकार्य डॉक्यूमेंट में शामिल हैं:
- पासपोर्ट
- वोटर आईडी कार्ड आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए?
- घर की रजिस्टर बिक्री या पट्टे का समझौता
- ड्राइविंग लाइसेंस
- मेंटेनेंस बिल
- इंश्योरेंस पेपर
- उपयोगिता या टेलीफोन बिल
- बिजली बिल (3 महीने से अधिक पुराने हो)
- पासबुक और बैंक अकाउंट स्टेटमेंट
- अनुसूचित बैंकों, अनुसूचित सहकारी बैंकों, राजपत्र अधिकारी, नोटरी पब्लिक, विधान सभाओं या संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों के बैंक प्रबंधकों द्वारा सत्यापित पते का प्रमाण
- डॉक्यूमेंट जारी किए गए: केंद्र या राज्य सरकार
- नियामक निकाय
- पीएसयू कंपनियां
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या सार्वजनिक वित्तीय कंपनियां
- अधिकृत विश्वविद्यालय
- प्रोफेशनल बॉडी जैसे आईसीएआई, आईसीडब्ल्यूएआई, अन्य अपने सदस्यों के लिए इसे जारी कर सकते हैं
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आय का प्रमाण
- आईटीआर कॉपी
- ऑडिट किए गए एनुअल अकाउंट की फोटोकॉपी (योग्य सीए द्वारा ऑडिट की जानी चाहिए)
- सैलरी स्लीप
- वैध डीपी के साथ डीमैट खाते की डिटेल
- कैंसल्ड पर्सनलाइज्ड चेक
- पिछले 6 महीनों के लिए बैंक अकाउंट डिटेल
- संपत्ति के स्वामित्व को प्रमाणित करने के लिए डॉक्यूमेंट
- पॉवर ऑफ अटॉर्नी
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Demat vs Trading Account में क्या अंतर होता है? दोनों के क्या इस्तेमाल हैं?
नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश करने वालों ने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में बहुत सुनते हैं, पर अधिकांश लोगों को इन दोनों खातों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। आइए आसान भाषा में जानते हैं डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच क्या-क्या अंतर होता है?
शेयर मार्केट में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट दोनों का होना जरूरी
बता दें कि इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए किसी भी व्यक्ति के पास डीमैट अकाउंट का होना सबसे पहली शर्त है। डीमैट अकाउंट के साथ एक और खाता अटैच होता है जिसे ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं। जरूरत के आधार पर दोनों निवेशक दोनों का अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं। डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों अलग-अलग तरह के खाते होते हैं। डीमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या इक्विटी शेयर रख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर ट्रेडिंग अकाउंट वह खाता होता है जिसका इस्तेमाल करतेह हुए आप इक्विटी शेयरों में लेनदेन करते हैं।
क्या होता है डीमैट अकाउंट?
डीमैट अकाउंट वह खाता होता है जिसके माध्यम से आप अपनी इक्विटी हिस्सेदारी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रखते हैं। डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है। डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक डीमैट अकाउंट नंबर दिया जाता है जहां आप अपने इक्विटी शेयरों को सहेज कर रखते हैं। डीमैट अकाउंट बहुत हद तक बैंक अकाउंट की तरह कार्य करता है। यहां से इक्विटी बाजार में किए गए अपने निवेश की जमा और निकासी कर सकते हैं। डीमैट अकाउंट खोलने के लिए यह जरूरी नहीं कि आपके पास कोई शेयर हो। आपके अकाउंट में जीरो बैलेंस हो तो भी आप डीमैट खाता खोल सकते हैं।
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क्या होता है ट्रेडिंग अकाउंट?
इक्विटी शेयरों को खाते में सहेजकर रखने की बजाय अगर आप इनकी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप शेयर बाजार में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है।
डीमैट और ट्रेडिंग में अकाउंट क्या फर्क है?
जहां डीमैट अकाउंट आपके शेयर या को डिमैटिरियलाइज्ड तरीके से सुरक्षित रखने वाला खाता होता है, वहीं दूसरी ओर, ट्रेडिंग अकाउंट आपके बैंक खाते और डीमैट खाते के बीच की कड़ी होती है। डीमैट अकाउंट में शेयरों को सुरक्षित रखा जाता है। इसमें कोई लेन-देन नहीं किया जाता है। ट्रेडिंग अकाउंट शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए इस्तेमाल होता है। डीमैट अकाउंट पर निवेशकों को सालाना कुछ चार्ज देना होता है। पर ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि सेवा प्रदाता कंपनी आपसे चार्ज वसूलेगी या नहीं।
क्या सिर्फ डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट रख सकते हैं?
आमतौर पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं। शेयरों में निवेश के लिए दोनों ही तरह के खाते जरूरी हैं। जब आप शेयरो को खरीदते हैं और उसे लंबे समय तक अपने पास रखना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। वहीं अगर आप बस शेयरों की ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप सिर्फ इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको सिर्फ डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। आप चाहते तो दोनों तरह के खातों को एक दूसरे के बिना भी रख सकते हैं।
शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो जरुरी हैं Demat अकाउंट होना, जानें इसे खोलने का प्रोसेस क्या है
देश में अगर आपको स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना है या कोई स्टॉक खरीदना है तो इसके लिए आपके पास डीमेट अकाउंट होना अनिवार्य है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में अगर आपको स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना है या कोई स्टॉक खरीदना है तो इसके लिए आपके पास डीमेट (Demat) अकाउंट आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? होना अनिवार्य है. पिछले कुछ सालों में ट्रेडिंग और शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने को लेकर चलन काफी बढ़ गया है. मार्केट में ऐसी कई कंपनियां और ऐप मौजूद हैं जो आज लोगों को आसानी से स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने की सुविधा मुहैया कर रही हैं. ऐसे में ये Demat अकाउंट भी काफी पॉप्यूलर हो गया है और आम लोगों के बीच भी इस अकाउंट को खुलवाने का चलन बढ़ गया है.
ये हैरत की बात नहीं है कि जहां पहले भारत में लोग अपनी सेविंग्स के लिए ट्रेडिशनल फिक्स्ड डिपॉजिट का इस्तेमाल करते थे. वहीं आज के दौर में इसकी जगह स्टॉक्स और शेयर इन्वेस्टमेंट ने ले ली है. आइए जानते हैं की हम आसानी से कैसे ये Demat अकाउंट खोल सकते हैं.
Demat अकाउंट इंवेस्टर के लिए शेयर और सिक्यूरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फोर्म में होल्ड करने की प्रोसेस को आसान बनाता है. इसका मकसद शेयर सर्टिफिकेट को इलेक्ट्रॉनिक फोर्म में कन्वर्ट करना है, जिस से कि इंवेस्टर आसानी से अपने अकाउंट को मैनेज कर सकें.
आपको अपना Demat अकाउंट खोलने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए आपके पास सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स मौजूद होने चाहिए. आइए जानते हैं Demat अकाउंट खोलने के लिए आपको किन किन डॉक्युमेंट्स की जरुरत होती है.
स्टेप 1: सबसे पहले आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? अपनी जरुरत के हिसाब से अपने depository participant का चुनाव करें. भारत में इसके लिए आपको National Securities Depositories Ltd (NSDL) और Central Depositories Services Ltd (आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? CDSL) का विकल्प मिलता है. भारत में बैंक, स्टॉकब्रोकर और ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफ़ॉर्म ये सर्विस उपलब्ध कराते हैं.
स्टेप 2: NSDL या CDSL में से आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? जो भी depository participant आप चुनते हैं उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाए और नए Demat अकाउंट का फोर्म भरें. साथ ही अपने अकाउंट के लिए नॉमिनी का नाम भी दर्ज कराएं.
स्टेप 4: सभी KYC डॉक्युमेंट्स जिसमें आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट और इनकम प्रूफ शामिल है की स्कैंड कॉपी (scanned copy) सबमिट करें.
स्टेप 5: इसके बाद आपको 'In-Person Verification' (IPV) की वेरिफ़िकेशन प्रोसेस को फ़ॉलो करना होगा. ये एक अनिवार्य स्टेप है. आप ऑनलाइन या अपने depository participant के ऑफिस पर जाकर ये वेरिफ़िकेशन प्रोसेस कर सकते हैं.
स्टेप 6: इसके बाद आपको अपने depository participant के साथ एक एग्रीमेंट पर साइन करना होगा. इस एग्रीमेंट में इस साझेदारी के दौरान आपकी और depository participant दोनों के अधिकार और ड्यूटी को लेकर जानकारी आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? होती है. ॰
स्टेप 7: आपके सभी डॉक्युमेंट्स को चेक करने के बाद आपके Demat अकाउंट खोलने की रिक्वेस्ट को मंज़ूर किया जाता है.
स्टेप 8: सबसे आखिर में आपको एक यूनीक बेनिफिसियल ओनर आइडेंटिफ़िकेशन नंबर (BO ID) इश्यू किया जाएगा. इसकी मदद से आप ऑनलाइन अपने Demat अकाउंट को एक्सेस कर सकते हैं.
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