Reported By: |नेहा दुबे | Updated: Dec 23, 2022, 08:50 PM IST

Mutual Funds: छोटी अव​धि की योजनाओं में निवेश लाभकारी

आईसीआईसीआई प्रूडें​शियल म्युचुअल फंड में उप मुख्य निवेश अ​धिकारी (फिक्स्ड इनकम) मनीष बंठिया ने अ​भिषेक कुमार के साथ साक्षात्कार में बताया कि आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्य 4 से बढ़ाकर 6 प्रतिशत किए जाने से लंबी अव​धि के फंडों का प्रतिफल ज्यादा आकर्षक नहीं रह गया है। उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताया कि मौजूदा समय में निवेशकों को डायनेमिक बॉन्ड फंडों, क्रेडिट-रिस्क फंडों, और टार्गेट मैच्युरिटी फंडों (टीएमएफ) को क्यों पसंद करना चाहिए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:निवेशकों को क्या करना चाहिए

क्या आप मानते हैं कि मुद्रास्फीति में नरमी आने से आरबीआई दर वृद्धि पर विराम लगाएगा?

हमारा मानना है कि आरबीआई अन्य 25 आधार अंक तक की वृद्धि के बाद ब्याज दर बढ़ोतरी पर विराम लगाएगा। यह उम्मीद इस तथ्य से पैदा हुई है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दर के तटस्थ दायरे के करीब है।

क्या तीन से पांच साल के लिहाज से डेट फंड श्रेणी अच्छी है?

मौजूदा परिवेश में हम कम अव​धि वाली योजनाओं में निवेश पसंद कर रहे हैं। तीन से पांच साल के नजरिये से हम डायनेमिक बॉन्ड और ऊंची यील्ड-टु-मैच्युरिटी (वाईटीएम) वाली क्रेडिट कैटेगरी पेशकशों को पसंद कर रहे हैं।

क्या प्रतिफल के लिहाज से बाजार आकर्षक हैं?

एक से दो वर्ष की अव​धि निवेश परिदृश्य के नजरिये से ज्यादा आकर्षक है। आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति का लक्ष्य 4 से 6 प्रतिशत किए जाने से 10 वर्षीय बॉन्ड सिर्फ 8 प्रतिशत या इससे ऊपर ही आकर्षक माना जाएगा। इसके अलावा, 6 प्रतिशत की औसत मुद्रास्फीति के साथ, हमें नहीं लगता कि दरें आ​र्थिक मंदी बढ़ाने के लिए बाधक हैं। अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार आने की संभावना है और संपूर्ण मौद्रिक नीति विकास अनुकूल होगी। इसलिए, पोर्टफोलियो में समय अव​​धि बढ़ाना मौजूदा परिवेश में उचित नहीं हो सकता है।

क्या आप मानते हैं कि निवेशक डेट फंडों की ओर लौट रहे हैं और प्रवाह गैर-नकदी योजनाओं में सकारात्मक हो रहा है?

कम ब्याज दरों का समय बीत चुका है। चूंकि दर चक्र तटस्थ हो रहा है, इसलिए हमारा नजरिया परिसंप​त्ति वर्ग के तौर पर निर्धारित आय को लेकर बेहद सकारात्मक हो गया है। सभी श्रे​णियों में पोर्टफोलियो वाईटीएम अब बेहद आकर्षक है। हमें उम्मीद है कि डेट फंडों के लिए निवेशक दिलचस्पी में बदलाव आएगा। मूल्यांकन के मानकों पर, निर्धारित आय वर्ग अन्य विकल्पों की तुलना में आकर्षक लग रहा है।

मनी मार्केट फंडों जैसे सं​क्षिप्त अव​धि के फंडों का वाईटीएम पिछले कुछ समय से लगभग 7 प्रतिशत है। यह कितने समय तक बना रहेगा?

दरें मजबूत रहने की संभावना है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है और विकास की संभावना मजबूत बनी हुई है। हमारा मानना है कि आरबीआई दर वृद्धि पूरी हो जाने के बाद लंबे समय तक दरों पर विराम लगाएगा। इसके लिए उस बदलाव को मददगार माना जा रहा है जिससे भारत मौजूदा समय में गुजर रहा है।

इस साल टार्गेट मैच्युरिटी में कई पेशकश की गईं। फंड हाउस इज्यादा पसंद क्यों कर रहे हैं?

टीएमएफ बेहद आसानी से समझी जाने वाली योजनाएं हैं और जो​खिम और प्रतिफल को समझने का स्पष्ट प्रोफाइल होता है। कुछ पारंपरिक गैर-एमएफ निर्धारित आय विकल्पों के मुकाबले टीएमएफ बेहतर हैं। यदि इनमें तीन साल से ज्यादा समय तक निवेश बरकरार रखा जाए तो निवेशकों को इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है, जिससे कर-बाद प्रतिफल बढ़ जाता है और खासकर ऊंचे कर दायरे में आने वालों को मदद मिलती है।

बाजार की गिरावट में निवेश का मौका, ये म्यूचुअल फंड्स देंगे बंपर रिटर्न

News18 हिंदी लोगो

News18 हिंदी 3 दिन पहले News18 Hindi

© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "बाजार की गिरावट में निवेश का मौका, ये म्यूचुअल फंड्स देंगे बंपर रिटर्न"

मुंबई. साल 2022 के जाते-जाते आखिरी वक्त में स्टॉक मार्केट की गिरावट (Stock Market Crash) ने निवेशकों को कड़ा नुकसान कराया है. पिछले 1 सप्ताह में इन्वेस्टर्स के करीब 19 लाख करोड़ रुपये इस बड़ी गिरावट में स्वाहा हो गए. ट्रेडर से लेकर इन्वेस्टर्स हर वर्ग के लोगों की दौलत इस गिरावट के चलते घट गई है. म्यूचुअल फंड और एसआईपी (Mutual Fund & SIP) के जरिए निवेश करने वाले इन्वेस्टर्स के पोर्टफोलियो पर भी बड़ी चोट लगी है. हालांकि, जानकारों का कहना है कि मौजूदा मंदी का लंबी अवधि के म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेशकों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं, कई निवेशक अब निवेश के नए मौके तलाश रहे हैं.

अगर आप भी म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश करने का अवसर तलाश रहे हैं तो बाजार में आई गिरावट निवेश की शुरुआत के लिए एक बेहतरीन अवसर लेकर आई है. कई मार्केट एक्सपर्ट्स ने यह बात कही है और वे विभिन्न तरह के फंड्स के जरिए इन्वेस्टमेंट की सलाह दे रहे हैं.

किस म्यूचुअल फंड में लगाएं पैसा?

मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार, वे नए निवेशक जो बाजार के रिकॉर्ड हाई से गिरने का इंतजार कर रहे थे, उनके पास हाइब्रिड रूट या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के जरिए निवेश करने का अच्छा विकल्प है. हालांकि, उन्होंने कहा कि हाइब्रिड फंड बाजार को समय देने की कोशिश करते हैं और इसलिए नए निवेशक को एक बार में पूरा पैसा नहीं लगाना चाहिए. एक्सपर्ट्स ने निवेशकों को सलाह दी है कि हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में पैसे को 6-12 हिस्सों में बांटकर चरणबद्ध तरीके से निवेश करना चाहिए.

मिंट की खबर के अनुसार, गिरते बाजार में नए निवेशकों के लिए हाइब्रिड फंड कैसे उपयुक्त साबित हो सकते हैं? इस पर 360 वन वेल्थ के प्रोडक्ट मैनेजर साहिल कपूर ने कहा, “निवेशक को अब लंबी अवधि के निवेश के लिए तैयार रहना चाहिए और इसके लिए हाइब्रिड फंड अच्छा विकल्प है.

लंबी अवधि में बनेगा पैसा

मध्यम से लंबी अवधि के म्यूचुअल फंड एसआईपी निवेशकों को निवेश की सलाह देते हुए, एप्सिलॉन मनी मार्ट के सह-संस्थापक और सीईओ अभिषेक देव ने कहा, “हमारा मानना है कि मौजूदा निवेशक अपने निवेश को जारी रखें, अगर यह मध्यम से लंबी अवधि के टारगेट को पूरा करने के लिए अच्छा मौका है.”

अभिषेक देव ने नए निवेशकों को हाइब्रिड म्यूचुअल फंडों में निवेश करने की सलाह देते हुए कहा, “नए निवेशक जो बाजार में पैसा लगाने के लिए गिरावट का इंतजार कर रहे थे, अब हाइब्रिड रूट में निवेश करके अच्छा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.”

(Disclaimer: यहां दी गई राय मार्केट एक्सपर्ट्स की सलाह पर आधारित हैं. यदि आप निवेश करना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह की लाभ या हानि के लिए लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

Outlook 2023: साल 2023 में FDs या Debt Funds में किसमें निवेश करना चाहिए, समझें यहां

नेहा दुबे

Reported By: |नेहा दुबे | Updated: Dec 23, 2022, 08:50 PM IST

Outlook 2023: साल 2023 में FDs या Debt Funds में किसमें निवेश करना चाहिए, समझें यहां

डीएनए हिंदी: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रेपो दर में वृद्धि कर दी है. यह वह दर है जिस पर कमर्शियल बैंक सेंट्रल बैंक से उधार लेते हैं. बता दें भारत में लिक्विडिटी को कम करने के लिए मैच्योरिटी के दौरान यील्ड बढ़ रही है. साल 2022 में 225 बीपीएस से 6.25 प्रतिशत तक कर दिया गया है. यह समझने की जरुरत है कि साल 2022 में 10 साल की बॉन्ड यील्ड 13 फीसदी बढ़कर 7.61 फीसदी हो गई है.

बता दें कि डेट फंडों ने 2022 में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और इस दौरान उन्होंने 2 से 4 प्रतिशत का औसत रिटर्न दिया. हालांकि यह रिटर्न काफी कम रहा इसके पीछे होल्डिंग की कीमतों में गिरावट है. इसका कारण यह है कि जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, बांड की कीमतें गिरती हैं और चूंकि डेब्ट म्युचुअल फंडों को अपने शुद्ध संपत्ति मूल्यों (NAV) को बाजार में दैनिक रूप से चिह्नित करने की आवश्यकता होती है, बांड की कीमतों में गिरावट आई और एनएवी का नुकसान हुआ.

लेकिन अब जब ब्याज दरें इतनी तेजी के साथ बढ़ रही हैं तो क्या यह डेट फंड में निवेश करने का अच्छा समय है? क्या 2023 में एफडी या डेट फंड में निवेश करना चाहिए? आइए जानते हैं…

एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2023 में वे डेट फंडों पर सकारात्मक हैं क्योंकि बढ़ती ब्याज दरों के बीच उच्च प्रतिफल को देखते हुए यह एक आकर्षक एसेट क्लास बन गया है. डायनेमिक बॉन्ड (Dynamic Bond), क्रेडिट रिस्क (Credit Risk), बचत (Savings), ऋण आवंटन आवश्यकताओं के लिए अल्ट्रा-शॉर्ट (Ultra-Short) जैसी श्रेणियों पर विचार किया जा सकता है.

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के ईडी और सीआईओ एस नरेन कहते हैं, “व्यापक धारणा निवेशकों को क्या करना चाहिए को देखते हुए कि निवेशकों को केवल इक्विटी में भाग लेना चाहिए, 2023 में बड़ी कॉल यह है कि निवेशकों को डेट में भी निवेश करना चाहिए. भारत में, क्रेडिट पिछले एक साल में 20 लाख करोड़ बढ़ा है और सरकार का 12 लाख करोड़ का शुद्ध उधार कार्यक्रम है, जिसमें से 6 लाख करोड़ बीमा उद्योग और अन्य स्रोतों से आएंगे. बैंकों को लगभग 6 लाख करोड़ निवेशकों को क्या करना चाहिए रुपये की शेष उधारी प्रदान करनी होगी. इस बीच, डिपॉजिट ग्रोथ आवश्यक 26 लाख करोड़ रुपये से सिर्फ 15 लाख करोड़ रुपये है. इसलिए, ऋण बाजार में अनिवार्य रूप से धन की कमी है.”

क्या एफडी की तुलना में डेट फंड में निवेश करने का यह अच्छा समय है?

डेट फंडों में अपना पैसा लगाने का यह एक अच्छा समय है, क्योंकि उच्च रिटर्न देने की संभावना के अलावा उन्हें टैक्स में भी लाभ भी मिलता है. जहां फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज पर टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगता है, वहीं डेट फंड से मिलने वाले रिटर्न को लॉन्ग और शॉर्ट-टर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. अगर आप तीन साल से पहले इकाइयों को भुनाते हैं, तो स्लैब दर के अनुसार पूंजीगत लाभ कर योग्य होता है, जबकि लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत कर लगाया जाता है.


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Cryptocurrency : जब मार्केट गिर रहा हो तो स्मार्ट निवेशकों को क्या करना चाहिए?

Cryptocurrency Investments: बाजार में वॉलेटिलिटी के वक्त फुलप्रूफ फैसले लेना मुश्किल हो सकता है, खासकर क्रिप्टो निवेशकों के मुश्किल और बढ़ जाती है. लेकिन अगर बेयर मार्केट में भी सही चाल चलें तो आगे चलकर आपके क्रिप्टोकरेंसी पोर्टफोलियो को फायदा होगा.

Cryptocurrency : जब मार्केट गिर रहा हो तो स्मार्ट निवेशकों को क्या करना चाहिए?

Cryptocurrency बाजार में उतार-चढ़ाव बहुत तेजी से आते-जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

किसी भी बाजार की तरह क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी उतार-चढ़ाव (highly volatile cryptocurrency) होता है, हां इस बाजार में उतार-चढ़ाव कुछ ज्यादा ही होता है, खैर. जो लोग भी शेयर बाजार की शब्दावली से परिचित हैं, उन्हें पता होगा कि बाजार में उतार-चढ़ाव को बुल (Bull) और बेयर (Bear) मार्केट कहा जाता है. बाजार में वॉलेटिलिटी साल में कभी भी रह सकती है, ऐसे वक्त में फुलप्रूफ सुरक्षित फैसले लेना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर आप क्रिप्टो निवेशक हैं, तो आपके लिए मुश्किल और बढ़ जाती है.

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चूंकि क्रिप्टो मार्केट बहुत ज्यादा वॉलेटाइल होता है, ऐसे में हम अभी यह नहीं कह सकते हैं कि हम बेयर मार्केट में हैं या बेयर मार्केट से बाहर निकल रहे हैं. सामान्यतया, गिरावट में चल रहे बाजार को बेयर मार्केट तब कहते हैं, जब स्टॉक/कमोडिटी की कीमतें उनकी पिछली ऊंचाई से 20 फीसदी से ज्यादा गिर जाती हैं, शेयरों पर निगेटिव रिटर्न मिलने लगते हैं.

अगर क्रिप्टोकरेंसी की बात करें तो साल 2021 बहुत ही अप्रत्याशित रहा है. अगर बिटकॉइन और इथीरियम को ही देखें तो साल शुरू होने के बाद एक दो महीनों में इनकी कीमत रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई. लेकिन फिर मई के बाद से इनकी कीमतें 30 फीसदी घट गई हैं. लेकिन, पिछले कुछ हफ्तों में इनमें तेजी दिखी है.

हालांकि, ये तो है कि अगर आप बेयर मार्केट में भी सही चाल चलें तो आगे चलकर आपके क्रिप्टोकरेंसी पोर्टफोलियो को फायदा होगा. हम यहां कुछ चीजें बता रहे हैं तो बेयर मार्केट में क्रिप्टोकरेंसी निवेशक ध्यान में रख सकते हैं.

सही वक्त पर सही निवेश

मार्केट में जब गिरावट चल रही हो तो उस टाइम आप कुछ निवेश कर सकते हैं, जो लॉन्ग टर्म में आपकी मदद कर सकता है. बेयर मार्केट के साथ दिक्कत ये होती है कि आपको नहीं पता होता है कि गिरावट कब तक रहेगी या फिर कीमतें कहां तक गिरेंगी. इसके चलते या तो आप कभी सही वक्त से पहले निवेश कर बैठते हैं या फिर और इंतजार करने के चक्कर में सही मौका हाथ से निकल जाता है.

चूंकि ये अनुमानों का खेल है, आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा. हालांकि, इसका एक सॉल्यूशन ये हो सकता है कि आप एक प्लान बना लें, जिसके तहत आप नियमित तौर पर एक तय रकम निवेश करते हैं, चाहे मार्केट की दिशा किधर भी जा रही हो. इसे डॉलर-कॉस्ट एवरेजिंग स्ट्रेटजी कहते हैं.

अपना क्रिप्टोकरेंसी प्रोफाइल डाइवर्स रखिए

अगर आप अब तक एक ही करेंसी में निवेश करते आए हैं, तो बेयर मार्केट में एक्सपेरिमेंट करने का अच्छा मौका मिल सकता है. जरूरी नहीं है कि हर क्रिप्टोकरेंसी की कीमत गिर रही हो. ऐसे में जब बाजार में गिरावट चल रही हो तो आप अच्छी रिसर्च करके ध्यान से अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं.

लॉन्ग टर्म की सोचिए

बेयर मार्केट में आप लॉन्ग टर्म की सोचकर निवेश के कुछ बढ़िया फैसले ले सकते हैं. ऐसे वक्त में जब कीमतें कम हैं और आप उनमें निवेश करते हैं, तो आपको लॉन्ग टर्म में इसका फायदा होगा. ऐसे वक्त में शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना बहुत समझदारी नहीं होगी. अब चूंकि ये भी है कि क्रिप्टोकरेंसी की वॉलेटिलिटी को देखते हुए लॉन्ग टर्म के बारे में सोचना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन अगर समझदारी से फैसले लें तो फायदा उठा सकते हैं.

जैसे कि मान लीजिए कि बिटकॉइन की कीमत मार्च, 2020 में 4,000 डॉलर यानी लगभग 2.97 लाख थी. इस साल इसने 33,000 डॉलर यानी 24.55 लाख का आंकड़ा पार कर लिया. यानी कि निवेशकों को इसपर 800 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है.

इसी तरह Forbes की एक रिपोर्ट में कुछ एक्सपर्ट्स के हवाले से भविष्यवाणी की गई थी कि वैल्यू में गिरावट के बावजूद बिटकॉइन '2050 तक यूएस निवेशकों को क्या करना चाहिए डॉलर को प्रमुख ग्लोबल करेंसी की हैसियत से रिप्लेस कर देगा.' एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि इथीरियम जल्द ही 'बिटकॉइन की सबसे ज्यादा वैल्युएबल क्रिप्टोकरेंसी की जगह ले लेगा.' ऐसे में लॉन्ग टर्म पर नजर रखके, नियंत्रित तरीके से निवेश करें तो बेयर मार्केट का फायदा उठा सकते हैं.

क्या शेयर बाजार में निवेश बेहतर: क्या करें निवेशक

बढ़ती मंहगाई, बेरोज़गारी और कमजोर विकास की दर के बीच बढ़ता शेयर बाजार सोचने पर मजबूर करता है कि क्या शेयर निवेश अभी भी बेहतर है. खासकर ऐसे वक्त जब वैश्विक स्थिति डांवाडोल है, बाजार मंदी का संकेत दे रहे हैं और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. भारी उथल पुथल चारों तरफ व्याप्त है.

दूसरी तरफ भारतीय शेयर बाजार में देशी निवेशक भरपूर पैसा लगाते जा रहें हैं जिससे शेयर बाजार मजबूत दिख रहा है. जहां विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं और सुरक्षित जगह अमेरिका में पैसा लगा रहे हैं क्योंकि अमेरिका ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है.

बढ़ती ब्याज दरों के कारण अमेरिका में ज्यादा निवेश होना न केवल डालर को मजबूत कर रहा है अपितु पूरे विश्व में ब्याज दरों को बढ़ाने के संकेत दे रहा है.

दीर्घ काल में अमेरिका को ही इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा तब डालर कमजोर भी होगा और अमेरिकन कंपनियों का प्राफिट भी कम होगा, लेकिन फिलहाल भारतीय शेयर बाजार की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती.

तो सरकार को क्या कदम उठाने होंगे और क्या निवेशक को शेयर बाजार में बने रहना चाहिए कि बाहर हो जाना चाहिए? इसके लिए सबसे पहले इन तथ्यात्मक बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा:

१. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) ने इस महीने निवेशकों को क्या करना चाहिए में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपए की निकासी की है.

२. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ रही गिरावट से इस निकासी को बल मिला है.

३. इसके साथ ही FPI ने वर्ष 2022 में अब तक कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर ली है.

४. एफपीआई की गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से भरपूर रहने की ही स्थिति दिख रही है.

५. डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अक्टूबर में अब तक 5,992 करोड़ रुपये की निकासी भारतीय बाजार से कर ली है. इस हिसाब से पिछले कुछ दिनों में उनकी निकासी की मात्रा में थोड़ी गिरावट आई है.

६. जियो-पॉलिटिकल रिस्क बने रहने, मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और बॉन्ड यील्ड में वृद्धि की उम्मीद से एफपीआई की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है.

७. एफपीआई के निकट अवधि में ज्यादा बिक्री करने की संभावना नहीं है लेकिन डॉलर में कमजोरी आने के बाद ही वे खरीदार की स्थिति में लौटेंगे.

८. इस तरह एफपीआई का रुख अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नजरिये पर निर्भर करेगा.

९. बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है.

१०. अगर एफपीआई पहले बेचे गए शेयर को ही आज के समय में खरीदना चाहेंगे तो उन्हें उसकी बढ़ी हुई कीमत चुकानी होगी.

यह अहसास नकारात्मक माहौल में भी एफपीआई की बिकवाली को रोकने का काम कर रहा है.

११. सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये की निकासी की थी.

१२. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख से एफपीआई के बीच बिकवाली का जोर रहा था.

१३. भारत से संबंधित किसी जोखिम के बजाय डॉलर को मिल रही मजबूती विदेशी निवेशकों की इस निकासी की मुख्य वजह रही है.

१४. बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है.

१५. एफपीआई ने खास तौर पर वित्त, एफएमसीजी और आईटी क्षेत्रों में बिकवाली की है.

१६. इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार से भी अक्बूटर में 1,950 करोड़ रुपये की निकासी की है.

Is it better to invest in the stock market what investors should do

उपरोक्त तथ्यों से साफ है कि सरकार को शेयर बाजार और रूपए की मजबूती के लिए ये कदम उठाने होंगे:

१. ब्याज दरें बढ़ाने की बजाय औद्योगिक और कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा.

२. डालर पर निर्भरता को कम करने पर जोर देना होगा और इंतजार करना होगा डालर में कमजोरी आने का.

३. सोने के आयात को कम करना होगा.

४. विदेशी निवेशकों को यह समझाने की कोशिश करनी होगी कि वैश्विक दृष्टिकोण से भारत में निवेश बेहतर और सुरक्षित है और इसके लिए धार्मिक उन्माद पर फोकस न करके मजबूत आर्थिक नीतियों पर ध्यान देना होगा.

५. शेयर बाजार में पैसे उगाही की परमीशन सिर्फ और सिर्फ अच्छी असेट बेस एवं लाभ कमाने वाली कंपनियों को दिया जाना चाहिए.

६. कर ढांचे में तर्कसंगतता और सरलीकरण लाने पर जोर देना होगा.

७. आधारभूत संरचना पर खर्च समय पर पूरे हो, इस तथ्य पर ध्यान देते हुए निवेश आकर्षित करना होगा.

८. जिनपिंग के फिर चुने जाने के बाद जरूरी हो गया है कि हम अपनी विदेश नीति में परिवर्तन लाए ताकि अपने पड़ोसियों से कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार आए.

९. नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम करते हुए काले धन को अर्थव्यवस्था में नियंत्रित करना होगा.

१०. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना होगा और सरकारी खर्च पर लगाम कसनी होगी.

इसी तरह निवेशक भी फिलहाल शेयर बाजार में सतर्कता से निवेश करें जबतक वैश्विक हालात में कुछ निर्णायक समझौते नहीं हो जाते, खासकर भविष्य में चीन की ताइवान के प्रति क्या नीति होती है और रूस युक्रेन युद्ध रुकने के आसार पैदा होते है कि नहीं. साथ ही सरकार द्वारा आर्थिक नीतियों के प्रति कितनी संवेदनशीलता दिखाई जाती है, उस पर भी शेयर बाजार में पैसे की सुरक्षा निर्भर होगी.

दूसरी बात भारत का हाउसिंग मार्केट वर्तमान में अहम स्टेज में खड़ा है. उम्मीद निवेशकों को क्या करना चाहिए जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक के भविष्य में रेपो रेट में बढ़ोतरी के चलते ब्याज दरें 2019 के लेवल से भी ऊपर जा सकती हैं. आरबीआई और नेशनल हाउसिंग बैंक के पास उपलब्ध डेटा के अनुसार भारत में प्रॉपर्टी की एवरेज वैल्यू भी 2023 में तेजी से बढ़ने की संभावना है.

नतीजतन, अगर आप अब तक अपने सपनों का घर खरीदने के प्लान को स्थगित कर रहे हैं तो यह फेस्टिव सीजन आपके लिए सही समय हो सकता है.

मतलब साफ़ है कि फिलहाल पैसा सुरक्षित हो, भले ही आमदनी कुछ कम हो – इस सिद्धांत पर अगले एक वर्ष तक चलना होगा और साथ ही सरकार को भी अपने खर्चे पर नियंत्रण करना होगा. जरुरत से ज्यादा उधारी और पैसे बांटने से बचना होगा लेकिन आने वाले समय में होने वाले चुनाव के मद्देनजर ऐसा कुछ हो पाना संभव प्रतीत नहीं होता दिखता और इसीलिए निवेशक शेयर बाजार के बजाय सरकार द्वारा रजिस्टर्ड प्रतिभुतियों में निवेश करें और रियल एस्टेट में लगाए तो ही बेहतर है.

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