इसी तरह पिछले माह 12 मई को रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ तेजी से आर्थिक सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए हैं. भारत ने मार्च-अप्रैल 2022 में श्रीलंका को कर्ज डिफाल्ट से बचने के लिए 2.4 अरब डॉलर की मदद, दवाओं, डीजल की आपूर्ति तथा अन्य जरूरी आयात के लिए एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन जैसी मदद भी की है. इन सबके साथ-साथ 19 मई को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने श्रीलंका के साथ रुपए में व्यापार लेन-देन की अनुमति भी दी है.

भारत में व्यापार शुरू करना

एक बिलियन से ट्रेंड लाइनों के साथ व्यापार भी अधिक जनसंख्या वाला भारतीय बाजार उचित उत्पादों, सेवाओं और प्रतिबद्धताओं वाले अमेरिकी निर्यातकों के लिए आकर्षक और विविध अवसर मुहैया कराता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण और विस्तार होने से मध्यावधि में भारत की ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य देखरेख, उच्च-प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, परिवहन और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उपकरणों और सेवाओं की आवश्यकताएं दसियों बिलियन डॉलर से भी अधिक होगी। उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान भारत का सकल घरेलू उत्पाद विकास दर 7.6 प्रतिशत थी। सरकार द्वारा नीतियों का उदारीकरण जारी रखने की संभावना के साथ, भारत के पास आगामी कुछ वर्षों तक सतत उच्च विकास दर कायम रखने की क्षमता है और अमेरिकी कंपनियों को विकसित होते भारतीय बाजार में प्रवेश के अवसर को अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

अमेरिका-भारत व्यापार

भारत में व्यापार किस प्रकार करें

तेजी से बढ़ते मध्य वर्ग, आय बढ़ने और महंगे कृषि उत्पादों के उपभोग का तरीका बदलने से अमेरिकी कृषि के बड़े स्तर पर भारत में निर्यात बढ़ने की संभावनाएं हैं। भारत में आधुनिक फुटकर क्षेत्र का विस्तार हो रहा है, खाद्य प्रसंस्करणकर्ता वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रवेश चाहते हैं, और खाद्य सेवा के सेफ नए प्रयोग करना चाहते हैं ट्रेंड लाइनों के साथ व्यापार एवं नए उत्पादों और वैश्विक व्यंजनों को चखने के इच्छुक युवाओं व उच्च आय वाले उपभोक्ताओं को आकर्षित करना चाहते है। भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के इच्छुक निर्यातकों को पहले यह पता लगाना चाहिए कि क्या उस उत्पाद की बाजार तक पहुंच हैं और छोटे स्तार शुरुआत करने तथा विशिष्ट लेबलिंग एवं पैकेजिंग आवश्यकताओं को पूरा करने लिए तैयार रहना चाहिए।

महत्वपूर्ण रिपोर्टें:

अनुवाद

हमसे संपर्क करें
दूतावास फोनः 24198000
दूतावास फैक्सः 24190017
ईमेलः [email protected]

यदि आप फोन या फैक्स
अमेरिका से कर रहे हैं
सबसे पहले 011-91-11- डायल करें
भारत के अंदर से लेकिन दिल्ली के
बाहर से फोन कर रहे हैं तो
पहले 011- डायल करें

रॉबर्ट जे. गारवेरिक, आर्थिक, पर्यावरण, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मामलों के मिनिस्टर काउंसिलर

स्कॉट एस सिंडलर, कृषि मामलों के मिनिस्टर काउंसिलर

जॉन मैक्कैसलिन, वरिष्ठ वाणिज्यिक अधिकारी व वाणिज्यिक मामलों के मिनिस्टर काउंसिलर

ऑन लाइन व्यापार से बर्बाद हो रहा खुदरा बाजार

Jhansi Bureau

झांसी ब्यूरो
Updated Tue, 14 Jan 2020 02:03 AM IST

online trade destroy retail bussniss

तालबेहट। ऑन लाइन ट्रेडिग बंद करने के समर्थन व देश के खुदरा व्यापारियों को बचाने तथा रोजगार बचाने के लिए राष्ट्रीय जन उधोग व्यापार संगठन द्वारा 15 दिसम्बर को कानपुर से शुरू हुई रथ यात्रा रविवार को देर रात नगर में आई। जिसका नगर के व्यापारियों ने जोरदार स्वागत किया।
इस मौके पर रामलीला मैदान पर हुई सभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित गुप्ता ने व्यापारियों से एकजुट होकर के ऑनलाइन व्यापार के विरोध में सहयोग करने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन व्यापार से देश का खुदरा व्यापार चौपट होने की स्थिति में है। सन् 2008 में शुरू हुए ई व्यापार के कारण अमेजन, फिलिप कार्ड, स्नेपडील जैसी विदेशी कंपनियों ने भारत में अपने पांव जमाए और वर्तमान में 3.5 लाख रूपए का कारोबार कर रहे। जिससे भारत के लाखों फुटकर व्यापारियों का रोजगार चला गया। ई व्यापार के कारण बर्बाद व्यापारी लगातार घाटे में जा रहे है और आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो रहे।
कानपुर, जालौन और महोबा में घाटे से व्यापार से तीन व्यापारियों के परिवार सामूहिक आत्महत्या कर चुके है। अब दूध, मिठाई, फल, सब्जियां भी ऑनलाइन बाजार में मिल रही है। जब फुटकर बाजार बंद होगें तो व्यापारी और मजदूर क्या करेगें। इन सभी बातों में ध्यान में रख कर हम ऑन लाइन बाजार का विरोध कर रहें है।
खुदरा बाजार को बचाने के लिए 4 प्रतिशत की दर पर बैंकों से ऋण दिलाने, बढी हुई विद्युत दरें कम करने, छोटे व्यापारियों को आयुष्मान कार्ड देने, एक राष्ट्र एक टैक्स करने व टोल प्लाजा पर स्थानीय व्यापारियों को छूट देने व दरें कम करने की जैसी विभिन्न मांगों को लेकर देश व्यापी रथ यात्रा चलाई जा रही है। 15 दिसंबर को दिल्ली में इसका समापन होगा।
इस मौके पर नगर उधोग व्यापार मंडल के अध्यक्ष गजेन्द्र मोहन त्रिपाठी, संत मिठया, विनोद करौलिया, मनीष जैन, अनिल कंचन, प्रदीप रेजा, संदीप अवस्थी, ट्रेंड लाइनों के साथ व्यापार सराफा ऐसोशिएसन के पूर्व अध्यक्ष शरद सोनी, युवा अध्यक्ष चिंटू शिवहरे पार्षद, अनिल गुप्ता बल्लन, गौतम मोदी, आशीष लखेरा, राकेश, विवेक परिहार, अभिषेक जैन, राजू जैन, मनोज गुप्ता, बाकिर हुसैन आदि व्यापारी मौजूद रहे। अंत में महामंत्री मनीष जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।

ब्लॉग: चुनौतियों के बीच विदेश व्यापार की बढ़ती अनुकूलताएं, नेबर फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीति से भी भारत को फायदा

Jayantilal Bhandari blog: Growing adaptability of foreign trade amidst challenges | ब्लॉग: चुनौतियों के बीच विदेश व्यापार की बढ़ती अनुकूलताएं, नेबर फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीति से भी भारत को फायदा

यद्यपि इस समय वैश्विक मंदी की लहर का भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर हो रहा है, सेंसेक्स और डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में बड़ी गिरावट और ब्याज की बढ़ती दरों व पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई का बढ़ा हुआ ग्राफ दिखाई दे रहा है, किंतु इन आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच भी भारत के लिए विदेश व्यापार का अनुकूल परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है.

इस समय विकसित, विकासशील और पड़ोसी देशों के साथ भारत के विदेश व्यापार के नए समझौतों और व्यापार वार्ताओं का नया अध्याय लिखा जा रहा है. हाल ही में 17 जून को दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान के विदेश मंत्रियों ने नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ विशेष बैठक में विदेश व्यापार में वृद्धि का बड़ा एजेंडा तैयार किया है.

भारत का ऑस्ट्रेलिया से व्यापार समझौता अत्यंत लाभकारी

2 अप्रैल को हस्ताक्षरित भारत-ऑस्ट्रेलिया आॢथक सहयोग और व्यापार समझौता (ई.सी.टी.ए.) कई पहलुओं में दोनों देशों के लिए एक पथ-प्रदर्शक व्यापार समझौता है। भारत के लिए, ऑस्ट्रेलिया के साथ ई.सी.टी.ए. एक दशक से अधिक समय के बाद दुनिया की एक बड़ी विकसित अर्थव्यवस्था के साथ पहला समझौता है। जापान और कोरिया के बाद ऑस्ट्रेलिया तीसरा ओ.ई.सी.डी. देश है, जिसके साथ भारत ने एक मुक्त व्यापार समझौते (एफ.टी.ए.) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का रणनीतिक महत्व भी है, क्योंकि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही क्वाड का हिस्सा हैं और आपूर्ति शृंखला लचीलापन पहल (एस.सी.आर.आई.) में भागीदार हैं।

भारत ने अतीत में कुछ महत्वपूर्ण व्यापार समझौतों पर बातचीत की, जिनमें दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान), जापान, कोरिया, सिंगापुर और मलेशिया जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। हालांकि भारतीय उद्योग ने पहले यू.ए.ई. और अब ऑस्ट्रेलिया के साथ हाल के व्यापार सौदों के लिए उस तरह का उत्साह नहीं दिखाया था। भारतीय उद्योग द्वारा इस नए एफ.टी.ए. में दिखाए गए विश्वास और समर्थन के पीछे प्रमुख कारकों में से एक यह है कि सरकार ने इस तरह के व्यापार के लिए देशों के सही समूह की पहचान की है और आक्रामक रूप से भारतीय निर्यात के लिए सार्थक बाजार पहुंच सुनिश्चित की है।

Opinion: भारतीय रेल की बड़ी उड़ान

  • नई दिल्‍ली,
  • 04 जुलाई 2014,
  • (अपडेटेड 10 जनवरी 2015, 2:05 PM IST)

दस सुरंगों और 50 पुलों से गुजरती हुई 25 किलोमीटर लंबी ऊधमपुर-कटरा रेल लाइन का चालू होना भारतीय रेल के इतिहास का एक और अध्याय है. अठारहवीं सदी के उत्तरार्ध में जिस रेल ने भारत में कदम रखा था, उसके जैसे पंख लग गए हैं और आज वे हिमालय के दुर्गम रास्तों के ऊपर भी फैल गए हैं.

यह रेल लाइन इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि यह भारत के एक बड़े धार्मिक स्थल को शेष भारत से जोड़ती है बल्कि हिमालय में भी अपनी इंजीनियरिंग और अपने कौशल का परिचय देती है. सैकड़ों सालों तक हिमालय भारत के सामने एक चुनौती की तरह खडा़ रहा और इसकी ऊंची-ऊंची पर्वतमालाओं पर रेल लाइन बिछाने की बात सोचना भी एक सपना था लेकिन अब वह पूरा होता दिख रहा है. 1,132 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह रेल लाइन अंततः जम्मू-कश्मीर के लिए एक लाइफ लाइन बन जाएगी. पिछली सदी में भारतीय रेल के इंजीनियरों और कर्मियों ने ई श्रीधरन के कुशल नेतृत्व में कोंकण रेल की परियोजना पूरी करके दुनिया भर में अपनी कीर्ति फैलाई. अब जम्मू-कश्मीर में हमें इंजीनियरिंग का कमाल देखने को मिल रहा है. हिमालय पर एक बार फिर विजय की तैयारी है. हिमालय पर रेल लाइन बिछाना भारत के लिए एक रणनीतिक महत्व भी है. चीन ने जिस तरह अपनी रेल का प्रसार किया है वह हैरान कर देने वाला है. वह तिब्बत के दुर्गम रास्तों तक अपनी रेल ले आया है और अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर तक उसे पहुंचाने की तैयारी में है.

रेटिंग: 4.94
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 628