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ब्रोकर का नाम | रजिस्टर करें | स्थापना का वर्ष | मुख्यालय | लाभ उठाने | न्यूनतम जमा | विनियमन |
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रजिस्टर करें | 2007 | सिडनी, ऑस्ट्रेलिया | 1:500 | $200 | एएसआईसी | |
रजिस्टर करें | 2009 | बेलीज़ | 1:2000 | $10 | साइएसईसी, आईएफएससी | |
रजिस्टर करें | 2009 | यूके | 1:888 | $5 | एफसीए | |
रजिस्टर करें | 2008 | साइप्रस | 1:असीमित | $10 | साइएसईसी, एफसीए, एफएससीए, एफएसए, बीवीआई | |
रजिस्टर करें | 2006 | डबलिन, आयरलैंड | 1:400 | $100 | सीबीआई, सीएसईसी, पीएफएसए, एएसआईसी, बीवीआईएफएससी, FFAJ, साफ्सका,एडीजीएम, एक है | |
रजिस्टर करें | 2009 | बेलीज़ | 1:3000 | $1 | आईएफसी | |
रजिस्टर करें | 2008 | पोर्ट विलास | 1: 1000 | $10 | वीएफएससी |
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अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये का उतार-चढ़ाव कम, विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक : आरबीआई गवर्नर
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज एमपीसी बैठक के नतीजों को पेश किया. जिसमें महंगाई पर काबू पाने के लिए उन्होंने रेपो रेट में 35 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी करने की घोषणा की. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये का उतार-चढ़ाव कम, विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक है.
Published: December 7, 2022 2:26 PM IST
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डॉलर में मजबूती के बीच अन्य देशों की मुद्राओं की तुलना में रुपये का उतार-चढ़ाव कम रहा है. इसके साथ ही उन्होंने देश के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति को संतोषजनक बताया है.
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दास ने बुधवार को यहां द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि वास्तविक आधार पर देखा जाए, तो चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में रुपया 3.2 प्रतिशत मजबूत हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘‘रुपये की कहानी भारत की मजबूती और स्थिरता को दर्शाती है.’’ उन्होंने कहा कि इस साल डॉलर में मजबूती के बीच रुपये सहित दुनिया की सभी प्रमुख मुद्राओं में गिरावट आई है. इसने सभी का ध्यान खींचा है.’’
दास ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक और घरेलू वृहद आर्थिक तथा वित्तीय बाजार के घटनाक्रमों के परिप्रेक्ष्य में रुपये के उतार-चढ़ाव का आकलन करने की जरूरत है.
गवर्नर ने कहा, ‘‘डॉलर में मजबूती के इस अध्याय के बीच अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये का उतार-चढ़ाव सबसे कम रहा है.’’
उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्थिति में है. 21 अक्टूबर, 2022 को यह 524.5 अरब डॉलर था, जो दो दिसंबर, 2022 को बढ़कर 561.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
रिजर्व बैंक ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का शुद्ध प्रवाह मजबूत बना हुआ है. चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर में एफडीआई का प्रवाह बढ़कर 22.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 21.3 अरब डॉलर रहा था.
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Rupee Vs Dollar: कल रुपये में दिखी भारी गिरावट, आज भी कमजोरी के साथ 79.53 प्रति डॉलर तक नीचे आया
Rupee: अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.23 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही 79.53 के स्तर पर खिसक गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में ही 36 पैसे टूट गया.
By: ABP Live | Updated at : 04 Aug 2022 10:56 AM (IST)
Rupee Vs Dollar: अमेरिका-चीन के बीच तनाव और निराशाजनक व्यापक आर्थिक आकंड़ों से निवेशकों का सेंटीमेंट प्रभावित हुआ है. इसके चलते बृहस्पतिवार को रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 36 पैसे टूटकर 79.53 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर आ गया है जबकि इसकी शुरुआत 79.23 के भाव पर हुई थी.
कैसा रहा रुपये में ट्रेड
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.23 के भाव पर खुला लेकिन जल्द ही यह 79.53 के स्तर पर खिसक गया. इस तरह पिछले कारोबारी दिवस के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में ही 36 पैसे टूट गया. बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे गिरकर 79.17 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था जो चालू वित्त वर्ष में एक दिन के कारोबार में सबसे बड़ी गिरावट थी.
डॉलर इंडेक्स की तस्वीर
दुनिया की छह प्रमुख करेंसी की तुलना में डॉलर की मजबूती को परखने वाला डॉलर इंडेक्स 0.08 फीसदी गिरकर 106.41 पर आ गया है. ग्लोबल ऑयल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.24 फीसदी चढ़कर 97.01 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है.
क्या कहते हैं जानकार
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के मुताबिक ऊंचे व्यापार घाटे का आंकड़ा और डॉलर की भारी मांग के बीच रुपया कमजोर रहेगा क्योंकि व्यापारियों में अमेरिका-चीन तनाव से जुड़े जोखिमों के कारण डॉलर की मांग बढ़ गई है.
बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा कि भारत के निराशाजनक वृहत आर्थिक आंकड़ों के सामने आने से विदेशी मुद्रा व्यापार दिवस संकेतक डाउनलोड रुपये पर दबाव बढ़ चुका है. जुलाई में भारत का सर्विस पीएमआई घटकर 55.5 रह गया, जो जून में 59.2 था, जबकि इसी अवधि के दौरान पीएमआई 58.2 से घटकर 56.6 रह गया है, जबकि भारत का व्यापार घाटा जून के 26.18 अरब डॉलर की तुलना में जुलाई में बढ़कर 31.02 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. इन सब कारणों से रुपये के कारोबार पर निगेटिव असर देखा जा रहा है और ये बड़ी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. इसके आगे भी निगेटिव जोन में ही रहने के संभावना बनी हुई है.
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Published at : 04 Aug 2022 10:56 AM (IST) Tags: China USA Rupee currency dollar Dollar index हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
करेंसी वॉर में अमेरिका दे रहा चीन को शिकस्त, सरकारी कंपनियां हो सकती हैं डिफॉल्टर
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की आड़ में अब करेंसी वॉर भी छिड़ गया है. डॉलर के मुकाबले जहां चीन के युआन और भारत के रुपए समेत दुनिया भर की करेंसी कमजोरी के दौर से गुजर रही हैं, वहीं ट्रेड वॉर के असर से चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेज गिरावट हो रही है.
श्याम सुंदर गोयल/राहुल मिश्र
- नई दिल्ली,
- 09 अक्टूबर 2018,
- (अपडेटेड 09 अक्टूबर 2018, 1:46 PM IST)
अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर की आड़ में अब करेंसी वॉर भी छिड़ गया है. डॉलर के मुकाबले जहां चीन के युआन और भारत के रुपए समेत दुनिया भर की करेंसी कमजोरी के दौर से गुजर रही हैं, वहीं ट्रेड वॉर के असर से चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेज गिरावट हो रही है.
चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो द्वारा 7 अक्तूबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर के अंत तक चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 30 खरब 87 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, जो अगस्त के अंत से 22.7 अरब अमेरिकी डॉलर कम हुआ. इस तरह चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में एक महीने के दौरान 0.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
आंकड़ों के मुताबिक चीन विदेशी मुद्रा व्यापार दिवस संकेतक डाउनलोड का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर में 23 अरब डॉलर कम होकर 3.087 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. अगस्त में चीन का रिजर्व 3.105 ट्रिलियन डॉलर था. वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की शुरुआत पर चीन का यह भंडार 4 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर था.
चीन के पास है दुनिया का सबसे बड़ा डॉलर रिजर्व
दरअसल चीन, अमेरिका का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और अमेरिका-चीन व्यापार बीते एक दशक से भी अधिक समय से चीन के पक्ष में रहा है. यानी अमेरिका को चीन से कारोबार में बड़ा व्यापार घाटा उठाना पड़ता है. सामान्य शब्दों में कहें तो अमेरिका के मुकाबले चीन अपना ज्यादा उत्पाद अमेरिका को बेच रहा है और इसके चलते उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा डॉलर रिजर्व एकत्र हो रहा है.
गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर हो जाएगा खड़ा
आर्थिक जानकारों का दावा है कि चीन के पास अभी भी 3 ट्रिलियन डॉलर का डॉलर रिजर्व है और मौजूदा ट्रेड वॉर में यही रिजर्व उसे ट्रेड वॉर के असर से बचाने का काम करेगा. हालांकि इस बात की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा रहा है कि यदि ट्रेड वॉर यूं ही चलता रहा तो बहुत जल्द अंतरराष्ट्रीय व्यापार में चीन को मिली डॉलर रिजर्व की यह संजीवनी बेअसर हो जाएगी और वह एक गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा हो जाएगा.
चीन की अर्थव्यवस्था बाहरी जोखिमों का मुकाबला करने में सक्षम
हालांकि चीन के मुद्रा भंडार पर मंडरा रहे खतरे को राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो की प्रवक्ता वांग छुनइंग ने नकार दिया है और दावा किया है कि सितंबर में चीन का विदेशी मुद्रा बाजार लगातार स्थिर है. बाजार की मुख्य व्यापारिक गतिविधि तर्कसंगत व सुव्यवस्थित है. अंतर्राष्ट्रीय वित्त बाजार में डॉलर की सूचकांक अगस्त के अंत के बराबर है. प्रमुख देशों की बांड कीमत थोड़ा गिरी, और विदेशी मुद्रा भंडार थोड़ा कम हुआ. इस प्रवक्ता के अनुसार भविष्य में हालांकि बाहरी वातावरण में बड़ी अनिश्चितता मौजूद होगी, लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था बाहरी जोखिमों का मुकाबला करने में सक्षम है और चीन का विदेशी मुद्रा भंडार स्थिर बना रहेगा.
हो सकती हैं चीन की सरकारी कंपनियां डिफॉल्टर
गौरतलब है कि ट्रेड वॉर के साथ-साथ चीन में विकास दर में भी गिरावट दर्ज हो रही है. वहीं चीन के बैंकों के सामने कड़ी चुनौती है. एक अनुमान के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा चीन के बैंकों के कर्ज के तौर पर है. वहीं चीन के सरकारी बैंकों के कर्ज केन्द्रीय बैंक की तय सीमा से अधिक है और ये कर्ज सरकारी कंपनियों को दिए जाने के कारण केन्द्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर हैं. आर्थिक जानकारों का मानना है कि यदि चीन में आर्थिक विकास दर लगातार कमजोर बनी रही या अमेरिका में ब्याज दरों में हो रहे इजाफे से चीन में वैश्विक निवेशकों को रोकने के लिए भी ब्याज दरों में तेज वृद्धि की जाए तो बड़ी संख्या में चीन की सरकारी कंपनियां डिफॉल्टर हो सकती हैं.
इसलिए डर रहा है चीन
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेड वॉर की मौजूदा स्थिति में चीन का अमीर तबका डरा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक यह वर्ग अमेरिकी डॉलर और यूएस ट्रेजरी में निवेश को तरजीह दे रहा है. गौरतलब है कि चीन में 21 लाख परिवार इस वर्ग में हैं इनके पास स्टॉक, बॉन्ड और रियल एस्टेट में 2 ट्रिलियन डॉलर से 4 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति है. लिहाजा, चीन के केन्द्रीय बैंक को इस बात का भी डर है कि यदि डॉलर के मुकाबले वह युआन को सपोर्ट देने का काम करता है तो यह वर्ग अपना निवेश चीन से निकालकर अन्य अर्थव्यवस्थाओं का भी रुख कर सकता है. लिहाजा, ट्रेड वॉर की मौजूदा स्थिति भले विदेशी मुद्रा भंडार के चलते चीन को राहत दे रही है लेकिन स्थिति यूं ही कायम रही तो चीन के विदेशी मुद्रा भंडार को खाली कर डोनाल्ड ट्रंप, चीन को ट्रेड वॉर में शिकस्त देने की ताक में रहेंगे.
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