IIT बॉम्बे टेक फेस्ट में छाया हुबहू इंसान जैसा दिखने वाला रोबोट
मुंबई के IIT बॉम्बे में तीन दिन तक चलने वाले टेक फेस्ट में इंसानों की शक्ल वाली रोबोट चर्चा में रहा. जर्मनी के छात्रों . अधिक पढ़ें
- News18India
- Last Updated : December 15, 2018, 18:18 IST
मुंबई के IIT बॉम्बे में तीन दिन तक चलने वाले टेक फेस्ट में इंसानों की शक्ल वाली रोबोट चर्चा में रहा. जर्मनी के छात्रों के बनाए गए रोबोट ने जमकर फ़ुटबाल खेलने का प्रदर्शन भी किया. रोबोट ने एक्सरसाइज की. देश विदेश से आए छात्रों ने टेक फेस्ट में रोबॉट का प्रदर्शन किया.
इंसानों की शक्ल वाले इस रोबॉट को जापान की कंपनी A-LAB ने तैयार किया है. जिसकी कीमत क़रीब डेढ़ करोड़ होगी. कंपनी ने दावा किया कि 'यू' नाम का ये रोबोट लोगों की बिज़नेस समेत कई क्षेत्रों में मदद करेगा.
टेक फेस्ट में इंसानों की तरह दिखने वाला रोबोट आकर्षण का केंद्र बना रहा. ये रोबॉट इंसानों की तरह बोलता ही नहीं बल्कि मौक़ा मिलने पर सवाल जवाब भी करता है.
IIT बॉम्बे के टेक फेस्ट में इंडियन आर्मी और DRDO ने भी अपने अपने स्टाल्स लगाए. जिनमें सेना में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को दिखाया गया. लोगों ने इन स्टाल्स पर पहुंचकर वहां मौजूद अधिकारियों से उनके बारे में जानकारी ली.
कुछ लोगों ने सेना की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल समेत कई हथियारों को क़रीब से देखा. तो कई छात्रों ने रायफल को हाथ में उठाकर वहाँ मौजूद अधिकारियों से उनके बारे में जानकारी ली और फिर फोटो भी खिंचवाई.
IIT बॉम्बे में तीन दिन तक चलने वाले टेक फेस्ट में क़रीब 10 हज़ार से ज़्यादा छात्र हिस्सा ले रहे हैं जिसका उद्घाटन बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने किया. जिनमें जर्मनी, इज़रायल, जापान, हॉलैंड जैसे देशों के क़रीब पांच सौ छात्र भी शामिल हैं. दावा किया गया कि टेक फेस्ट में कई तरह की प्रतियोगिताओं को भी आयोजन किया जाएगा.
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चीन के वैज्ञानिकों ने बनाई रोबोट मछली, समुद्र के अंदर खा जाएगी माइक्रो रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें प्लास्टिक
बीजिंग। चीन के वैज्ञानिकों (scientists) ने माइक्रोप्लास्टिक खाने वाली एक मछली बनाई है। यह चावल के दाने से बहुत छोटे प्लास्टिक के टुकड़े खाने में सक्षम है। इसे समुद्र की सफाई के लिहाज(in terms of cleanliness) से बनाया गया है। काले रंग की यह रोबोटिक मछली (robotic fish) एक लाइट (रेडियोसक्रिय किरणों से उपचारित) की मदद से काम करती है। इसके जरिये वह अपने पंख फड़फड़ा सकती है और शरीर को हिला डुला सकती है।
दक्षिण-पश्चिम (Southwest) चीन की सिचुआन यूनिवर्सिटी की चीनी वैज्ञानिकों की एक टीम ने कहा कि ये रोबोट मछली एक दिन दुनिया भर के समुद्र से माइक्रोप्लास्टिक (microplastic) के कचरे को साफ कर देगी। यह छूने में एकदम नाजुक और 1.3 सेंटीमीटर (0.5 इंच) तक लंबी है। इस तरह की कुछ मछलियां सतह की गहराई में पानी से माइक्रोप्लास्टिक निकालने का काम कर रही हैं। टीम का कहना है कि वह रोबोट मछलियों पर अभी और काम कर रहे हैं, ताकि ये एक दिन और गहराई तक जाकर पानी से माइक्रोप्लास्टिक को खा सकें।
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कम वजन, छोटा आकार
रोबोट को बनाने वाली टीम के शोधकर्ता वांग युयान(wang yuan) ने कहा, हमने कम वजन वाला छोटी रोबोटिक मछली बनाई है। इसे बायोमेडिकल या खतरनाक ऑपरेशंस के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा यह एक तरह का छोटा रोबोट है, जिसे रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें शरीर में भी लगाया जा सकता है। जिससे बीमारी को खत्म करने में भी मदद मिल सकती है। वैज्ञानिक लाइट का इस्तेमाल करते हुए रोबोट को नियंत्रित कर सकते हैं, ताकि ये पानी में तैरने वाली अन्य मछलियों और जहाजों से न टकराएं।
बड़ी मछली के खा जाने के बाद भी रहती है जीवित
वांग के मुताबिक, अगर इन्हें गलती से पानी में मौजूद दूसरी मछलियां खा लेती हैं, तब भी असली मछलियों को इससे कोई नुकसान नहीं होगा। वो आसानी से इन रोबोट को पचा लेंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि मछलियों को पॉलीयुरेथेन से बनाया गया है। जो बायो कंपैटिबल है। रोबोटिक मछलियां प्रदूषकों को अवशोषित कर सकती हैं और क्षतिग्रस्त होने पर खुद को ठीक कर सकती हैं। यह प्रति सेकेंड 2.76 बॉडी लेंथ के साथ तैर सकती हैं, जो अधिकतर आर्टिफिशियल रोबोट की तुलना में अधिक तीव्र है।
माइक्रोप्लास्टिक का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव
वांग का कहना है कि हम अधिकतर माइक्रोप्लास्टिक्स को संग्रह करने पर काम कर रहे हैं। इसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह जीवों में विकास, प्रजनन और सामान्य जैविक कार्यों को सीमित करता है और इंसानों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
आईआईटी बॉम्बे के टीचर ने कचरे से बनाया शालू नाम का रोबोट, जानिए क्या है खास?
आईआईटी बॉम्बे के एक टीचर ने कचरे से एक रोबोट बनाया है.
पटेल के मुताबिक शालू ह्यूमनॉइड रोबोट इकलौता ऐसा रोबोट है, जिसे 100% वेस्ट मैटेरियल से बनाया गया है. शालू को बनाने में ख़राब प्लास्टिक, कार्ड बोर्ड, लकड़ी और अल्युमिनियम का प्रयोग किया गया है. उन्होंने बताया कि भारत में बने इस रोबोट शालू पर कुल 50,000 रुपये खर्च हुए हैं.
पटेल ने कहा कि उन्हें शालू को बनाने की प्रेरणा पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन से मिली है. शालू लगभग 9 भारतीय भाषाओं में बात कर लेती है. उसकी प्रमुख भाषा अंग्रेज़ी है, जिसके बाद वह हिंदी, गुजराती, मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, बांग्ला और नेपाली में बात कर लेती है.
दिनेश पटेल के अनुसार शालू कंप्यूटर की क्लास में बच्चों को पढ़ा भी सकती है. वह जनरल नॉलेज के क्विज़, मैथ्स की इक्वेशन वगैरह सब हल कर लेती है. उसकी आवाज कुछ-कुछ गूगल की वॉइस असिस्टेंट और अमेजन की अलेक्सा से मिलती-जुलती है.
शालू रोबोट में दिनेश पटेल ने कंप्यूटर विजन का इस्तेमाल किया है जिससे कि यह आम वस्तुओं को भी पहचान सके. शालू वास्तव में लोगों का चेहरा पहचान सकती है और उन्हें याद भी रख सकती है. इस हिसाब से इसका शिक्षा क्षेत्र में प्रयोग सफल साबित हो सकता है. शालू बिल्कुल आम लोगों की तरह बोलती है और उसकी आवाज कंप्यूटर तकनीक पर रिकॉर्ड भी की जा सकती है. एक शिक्षक के रूप में इस तरह की खोज करना वाकई दिनेश पटेल के लिए बड़ा कदम है.
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13 साल के बच्चे ने बनाया इमोशन वाला रोबोट, डांटने पर हो जाता है नाराज
चेन्नई के रहने वाले 13 साल के प्रतीक ने इमोशन वाला एक रोबोट बनाया है. ये रोबोट सारे इमोशन समझेगा. यहां तक अगर आपने इसे डांट दिया तो ये नाराज हो जाता है, और जब आप सॉरी न बोलें, ये कुछ नहीं बोलता.
प्रतीक
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 25 अगस्त 2022,
- (Updated 25 अगस्त 2022, 2:36 PM IST)
डांटने पर नाराज भी होता है रोबोट
इंसानों के इमोशन भी भांप लेगा रोबोट
इंसान का मस्तिष्क कई तरह के इमोशन्स से भरा हुआ है. लेकिन मशीनों में इमोशन का होना काफी अनसुना सा लगता है. इमोशन वाले रोबोट के बारे में आपने सुना ही होगा. लेकिन इस बार एक 13 साल के बच्चे ने ऐसा रोबोट बनाया है, जो अपने आप में ही चौंका देने वाला है. तमिलनाडु के चेन्नई में एक 13 साल के लड़के ने इमोशन के साथ रोबोट तैयार करने का दावा किया है. प्रतीक ने इमोशन्स वाले अपने रोबोट का नाम 'रफी' रखा है.
इस रोबोट में हैं सभी इमोशन
ऐसा कहा जाता है कि रोबोट इंसान नहीं हो सकते क्योंकि उनके पास केवल समान शरीर है, लेकिन भावनाएं नहीं हैं. उनसे जो भी करने को कहा जाता है वे वही करते हैं. हालांकि, अगर उनमें भी भावनाएं हैं, तो रोबोट और इंसानों के बीच अंतर काफी कम हो जाएगा. इंसान और रोबोट में काफी समानताएं हैं जैसे कि दोनों के दो हाथ और पैर होते हैं, वजन उठाते हैं, ऊर्जा की खपत करते हैं, आदि. लेकिन अब इस सूची में एक और समानता जुड़ गई है, वह है भावनाएं.
डांटने पर नाराज भी होता है रोबोट
रोबोट की रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें परिभाषा बदलने वाले तमिलनाडु के एक 13 वर्षीय लड़के ने चेन्नई में 'भावनाओं के साथ रोबोट' तैयार करने का दावा किया है. प्रतीक ने भावनाओं के साथ अपने रोबोट का नाम "रफी" रखा है. प्रतीक कहता है कि उसका रोबोट उसके सभी सवालों का जवाब दे सकता है, लेकिन अगर आप उसे डांटेंगे तो वह तब तक जवाब नहीं देगा जब तक आप माफी नहीं मांगते. लड़के ने दावा किया कि रफी आपकी भावनाओं को भी समझ सकता है, जैसे अगर आप दुखी हैं, तो यह आपके चेहरे और दिमाग को पढ़ सकता है.
इंसानों के इमोशन भी भांप लेगा रोबोट
प्रतीक का कहना है कि, "रफ़ी, मेरा रोबोट, आपके सभी प्रश्नों का उत्तर दे सकता है. यदि आप उसे डांटते हैं, तो वह आपके प्रश्नों का उत्तर तब तक नहीं देगा जब तक आपको खेद न हो. यदि आप दुखी हैं तो यह आपको समझ भी सकता है." प्रतीक की पहल को सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा सराहा जा रहा है. कुछ यूजर्स ने ये सुझाव दिया कि, रोबोट में चेहरों और आवाजों का इनबिल्ट डेटा होना चाहिए.
छत्तीसगढ़ के युवा इंजीनियरों ने बनाया डाक्टर के काम आने वाला रोबोट
यह रोबोट संदिग्ध मरीज के सैंपल ले सकता है, क्वारंटीन वार्ड में जाकर मरीजों का हाल केबिन में बैठे डॉक्टर्स को दिखा सकता है। यही नहीं जरूरत पड़ने पर इसी रोबोट रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें के जरिए डॉक्टर मरीज से बातचीत भी कर सकते हैं। युवाओं की टीम अब इसे रोबोट को और बेहतर बनाने में और इसका असल हालात में परीक्षण करने की तैयारी की रही है,ताकि मेडिकल टीम की मदद की जा सके।
महासमुंद के गुडरुपारा निवासी योगेश साहू ने बलौदाबाजार निवासी प्रवीण वर्मा और बिलासपुर निवासी ऋषिकेश यादव के साथ मिलकर यह रोबोट तैयार किया है। इसे बनाने में करीब दो महीने का समय लगा। योगेश ने बताया कि हम तीनों भिलाई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में बीई फाइनल (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन) के छात्र हैं। इसी साल हम तीनों ने इस तरह का रोबोट बनाने के बारे में सोचा, जो संकटकाल में भी काम आ सके।
कोरोना वायरस और लॉक डाउन के बाद कॉलेज बंद हुआ तो हम सभी अपने-अपने घर चले आए। महासमुंद जिला अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश परदल का कहना है यह मानव रहित यंत्र कोरोना पीड़ित लोगों की सेवा में लगे डाक्टर और नर्स के लिए काफी कारगर साबित हो सकते हैं।
योगेश ने बताया कि इस रोबोट को बनाने में मेटल शीट, पीवीसी पाइप और लकड़ी का उपयोग किया गया है। रोबोट में ग्यारह मोटर, माइक्रो फोन, स्पीकर और इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड का उपयोग किया गया है। इसकी आंखों में एलईडी लाइट लगाई गई है। यह मोबाइल फोन से कनेक्ट हो सकता है। चाहें तो हम इसमें कैमरा भी लगा सकते हैं, ताकि इसे कहीं भी भेजा जाए तो हमारे पास पिक्चर्स या वीडियो आते रहे। यही नहीं इसे इंटरनेट से रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें भी जोड़ा जा सकता है और दुनिया में कहीं से भी कंट्रोल किया जा सकता है।
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