Barbell Strategy क्या है?

एक बारबेल रणनीति क्या है? [What is Barbell Strategy? In Hindi]

बारबेल स्ट्रैटेजी एक निवेश रणनीति है जो मुख्य रूप से एक निश्चित आय पोर्टफोलियो पर लागू होती है। एक बारबेल पद्धति के बाद, आधे पोर्टफोलियो में लंबी अवधि के बांड होते हैं और दूसरे आधे हिस्से में अल्पकालिक बांड होते हैं। "बारबेल" को इसका नाम इसलिए मिला क्योंकि निवेश की रणनीति एक बारबेल की तरह दिखती है, जिसमें परिपक्वता समयरेखा के दोनों सिरों पर भारी भार होता है। ग्राफ बड़ी संख्या में अल्पकालिक होल्डिंग्स और लंबी अवधि की परिपक्वता दिखाएगा, लेकिन मध्यवर्ती होल्डिंग्स में बहुत कम या कुछ भी नहीं।

बारबेल रणनीति का उपयोग निवेशकों को क्या जानना चाहिए? क्यों करें? [Why use the barbell strategy?]

उच्च उपज बांड के लिए जोखिम प्रदान करते हुए यह बारबेल रणनीति निवेशकों के लिए जोखिम कम करती है। शॉर्ट-टर्म बॉन्ड की परिपक्वता दर पांच साल से कम है। ब्याज दर जोखिम के कम जोखिम के कारण वे दीर्घकालिक बांडों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित हैं। रणनीति में लंबी अवधि के बॉन्ड खरीदना भी शामिल है, जिनकी परिपक्वता 10 साल या उससे अधिक है। बांड उच्च ब्याज दर जोखिम की भरपाई के लिए उच्च उपज प्रदान करते हैं।

रणनीति का पहला लाभ यह है कि यह निवेशकों को लंबी अवधि के उच्च उपज बांड तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाता है। दूसरा फायदा यह है कि इससे जोखिम कम होता है। यह रणनीति जोखिम को कम करती है क्योंकि अल्पकालिक और दीर्घकालिक बॉन्ड के प्रतिफल नकारात्मक रूप से सहसंबद्ध होते हैं। इसलिए, जब अल्पकालिक बांड अच्छा करते हैं, तो लंबी अवधि के बांड संघर्ष करते हैं और इसके विपरीत। इस प्रकार, अलग-अलग परिपक्वता वाले बांड धारण करके, निवेशकों के पास नकारात्मक जोखिम कम होता है।

ब्याज दरों के कारण रिटर्न नकारात्मक रूप से सहसंबद्ध हैं। यदि ब्याज दरों में वृद्धि होती है, तो अल्पकालिक बांडों को रोलओवर किया जाएगा और उच्च ब्याज दर पर पुनर्निवेश किया जाएगा। पुनर्निवेश लंबी अवधि के बॉन्ड के मूल्य में कमी की भरपाई करेगा। दूसरी ओर, यदि ब्याज दरें घटती हैं, तो दीर्घावधि बांडों का मूल्य बढ़ जाएगा।

बारबेल रणनीति पर किसे विचार करना चाहिए? [Who Should Consider the Barbell Strategy?]

अधिकांश निवेश रणनीतियों की तरह, बारबेल रणनीति में कुछ जोखिम शामिल होते हैं। वास्तव में, कई लोग यह तर्क देंगे कि यदि आप इसका उपयोग करने का निर्णय लेते हैं तो आप चरम सीमा वाले पोर्टफोलियो वाले मध्य-सड़क के निवेशक की तुलना में अधिक जोखिम उठाएंगे। हालांकि, उच्च निवेश रिटर्न का पीछा करते हुए जोखिम के खतरे को कम करने के तरीके के रूप में रणनीति समझ में आती है।

एक बारबेल रणनीति क्या है? [What is Barbell Strategy? In Hindi]

यदि लोहे की रणनीति आपको अपील करती है, तो यह एक सार्थक विकल्प है, लेकिन आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि आपके पास अपने पोर्टफोलियो को बनाए रखने के लिए आवश्यक समय है। साथ ही, आपके पोर्टफोलियो में अत्यधिक उच्च जोखिम वाले निवेश लाने के लिए आपके पास पेट होना चाहिए। सभी निवेशक इस चरम स्तर के जोखिम के लिए तैयार नहीं हैं, भले ही यह आपके पोर्टफोलियो के बहुत रूढ़िवादी हिस्से से संतुलित हो। Banner Advertising क्या है?

बारबेल रणनीति को व्यवहार में कैसे लाया जाए ? [How to put the barbell strategy into practice?]

उच्च-जोखिम और कम-जोखिम वाली संपत्ति चुनते समय, आप स्पेक्ट्रम के चरम पर जाएंगे। इसका मतलब है कि अपने पोर्टफोलियो के लिए अत्यधिक जोखिम भरा और बिना निवेशकों को क्या जानना चाहिए? जोखिम वाला निवेश चुनना। अंतत: आशा यह है कि आपकी संपत्ति का संतुलन आपके पोर्टफोलियो को अच्छे समय और अधिक अशांत आर्थिक समय दोनों में आगे बढ़ाएगा। यद्यपि आप स्टॉक निवेश के लिए इस रणनीति का उपयोग कर सकते हैं, यह आमतौर पर बॉन्ड निवेशकों द्वारा नियोजित किया जाता है। यहां देखें कि यह स्टॉक और बॉन्ड दोनों के लिए कैसे काम करता है:

Paytm Share Buyback के लिए 810 रुपये की कीमत तय, जानिए अब शेयर खरीदें या दूर ही रहें

Paytm Share Buyback के लिए 810 रुपये की कीमत तय, जानिए अब शेयर खरीदें या दूर ही रहें

पेटीएम अपने ही शेयर बायबैक करने वाली है. यह बायबैक 810 रुपये प्रति शेयर के भाव पर होगा. यहां सवाल ये है कि क्या आपको हर शेयर पर मोटा मुनाफा मिलेगा या नहीं?

 Paytm  की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशन लिमिडेट (One 97 Communications Ltd) की 13 दिसंबर को हुई बोर्ड की निवेशकों को क्या जानना चाहिए? बैठक में शेयर बायबैक (Share Buyback) की योजना को मंजूरी मिल गई है. बोर्ड ने बाजार से शेयर बायबैक के जरिए करीब 850 करोड़ रुपये के शेयर खरीदने की मंजूरी दे दी है. कंपनी की तरफ से शेयर बायबैक अधिकतम 810 रुपये की कीमत पर किया जाएगा. इसके तहत कंपनी कम से कम 52,46,913 इक्विटी शेयर खरीदेगी. वहीं अगर अधिक से अधिक शेयरों की बात करें तो कंपनी करीब 1,04,93,827 इक्विटी शेयर खरीद सकती है. अनुमान है कि अगर कंपनी अधिकतम शेयर बायबैक करती है तो इसके लिए उसे करीब 1048 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. ऐसे में लोगों के मन में बायबैक को लेकर कई सवाल हैं, चलिए एक-एक कर उन्हें समझते हैं.

शेयर बायबैक के लिए पैसे कहां से लाएगी पेटीएम?

मौजूदा वक्त में कंपनी के पास करीब 9,182 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी है. हालांकि, बायबैक में कंपनी सिर्फ उन्हीं पैसों के इस्तेमाल कर सकती है, जो कंपनी के अपने पैसे हैं. मतलब जो पैसे कंपनी को आईपीओ के जरिए मिले हैं, उसे शेयर बायबैक के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि आईपीओ से मिले पैसों का वही इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसके लिए आईपीओ लाया गया था. यहां दिलचस्प ये है कि पेटीएम को हमेशा से नुकसान ही हो रहा है तो सवाल ये है कि आखिर कंपनी शेयर बायबैक के लिए पैसे कहां से लाएगी.

क्या होता है शेयर बायबैक?

शेयर बायबैक वह प्रक्रिया होती है, जिसके तहत कोई निवेशकों को क्या जानना चाहिए? कंपनी अपने ही शेयर्स को पब्लिक से वापस खरीद लेती है. इसके लिए कंपनी अपने शेयर की कीमत पर कुछ प्रीमियम भी चुकाती है. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है. जब कंपनी शेयर बायबैक करती है तो फिर बाजार में उसके आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है. शेयरों निवेशकों को क्या जानना चाहिए? की संख्या कम हो जाने की वजह से अर्निंग पर शेयर बढ़ जाती है, जिससे निवेशकों को थोड़ा फायदा होता है.

पेटीएम का शेयर अब खरीदें या नहीं?

पेटीएम बायबैक की खबर सुनने के बाद अगर मौजूदा भाव से कैल्कुलेट करें तो आपको तगड़ा फायदा दिखेगा. अभी शेयर 530 रुपये के करीब है, निवेशकों को क्या जानना चाहिए? जबकि बायबैक होगा अधिकतम 810 रुपये पर. यानी आपको प्रति शेयर करीब 280 रुपये का मुनाफा अगले 6 महीनों में हो सकता है. हालांकि, बायबैक के पीछे की गणित को भी समझना जरूरी है, ताकि आपको बाद में दिक्कत ना हो. बायबैक के तहत सारे शेयर तो खरीदे नहीं जाते हैं, सिर्फ कुछ फीसदी शेयर ही खरीदे जाते हैं.

अगर आप 280 रुपये प्रति शेयर के लालच में 1 लाख शेयर खरीद लेते हैं तो आपको ये भी समझना होगा कि सारे शेयर नहीं बिकेंगे. आपको बायबैक के लिए आवेदन करना होगा, जिसके बाद आपके कुछ शेयरों की खरीद को मंजूरी मिलेगी. अगर आधे भी शेयर बिक जाते हैं तो भी आपके आधे शेयर फिर पेटीएम में फंस जाएंगे. आने वाले दिनों में अभी पेटीएम के फंडामेंटल मजबूत होते नहीं दिख रहे हैं. अगर आपके निवेशकों को क्या जानना चाहिए? पास पहले से ही पेटीएम के शेयर हैं तो दाम बढ़ने पर या बायबैक से मंजूरी मिलने पर आप उन्हें बेचकर इस कंपनी से बाहर निकल सकते निवेशकों को क्या जानना चाहिए? हैं. वहीं अगर आप नए शेयर खरीदने पर विचार कर रहे हैं तो ये ख्याल मन से निकाल दें, क्योंकि आगे भी पेटीएम आपको बहुत ज्यादा रिटर्न नहीं देगा.

आखिर कंपनियां बायबैक क्यों करती हैं शेयर?

बायबैक की बात सुनकर हर कोई ये सोचता है कि आखिर कंपनियां अपने ही शेयर को वापस क्यों खरीदती हैं. कई बार अगर कंपनी के पास अतिरिक्त कैश हो जाता है और वह उसे किसी दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा पाती हैं तो वह शेयर बायबैक कर लेती हैं. इस तरह कंपनी अतिरिक्त कैश को खुद में ही निवेश कर देती हैं. अगर किसी कंपनी के पास अधिक नकदी होती है तो वह बैलेंस शीट में भी दिखती है और नकदी पड़े रहना अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में कंपनियां उस नकदी का इस्तेमाल शेयर बायबैक कर के कर लेती हैं. कई बार कंपनियों को लगता है कि उनके शेयर की कीमत कम आंकी गई है, तो भी वह शेयर बायबैक कर लेती हैं, जिससे शेयरों की वैल्यू बढ़ जाती है. इससे निवेशकों में भी एक भरोसा पैदा होता है कि कंपनी की वित्तीय हालत अच्छी है, जिससे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ती है, जो उसकी कीमत को बढ़ाती है.

निवेशकों को क्या फायदा?

जैसा कि शेयर बायबैक कुछ प्रीमियम पर होता है तो निवेशकों को इसका तो फायदा होता ही है. हालांकि, अगर आपने लंबे वक्त के हिसाब से पैसा लगाया है तो आपको बायबैक में शेयर नहीं बेचने चाहिए. उम्मीद होती है कि भविष्य में कंपनी और बेहतर प्रदर्शन करेगी और ज्यादा रिटर्न देगी. वहीं अगर आपने छोटी अवधि के लिए निवेश किया है तो बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए. वहीं अगर आपको लगे कि कंपनी का शेयर ओवरवैल्यूड है तो भी आपको शेयर बेचकर निकल जाना चाहिए. ऐसा लगे कि कंपनी के शेयर में दम नहीं है तो भी उसे बेच देना चाहिए.

पेटीएम ने डुबाए निवेशकों के पैसे

15 नवंबर 2021 को पेटीएम का आईपीओ आया था. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ था, जिसे महाआईपीओ कहा गया था. आईपीओ के तहत पेटीएम के शेयर की कीमत 2150 रुपये थी, लेकिन उसके बाद से गिरते-गिरते कंपनी के शेयर एक चौथाई के करीब आ चुके हैं. अभी पेटीएम का शेयर करीब 530 रुपये के करीब आ चुका है. सॉफ्टबैंक ने भी हाल ही में पेटीएम के करीब 200 मिलियन डॉलर यानी लगभग 1630 करोड़ रुपये के शेयर बेचने का फैसला किया था. इसके बाद तो कंपनी के शेयर बुरी तरह टूटे थे.

क्या रहे पेटीएम के दूसरी तिमाही के नतीजे?

पेटीएम के शेयरों में गिरावट का दौर शुरू हुआ 7 नवंबर से, जब कंपनी के तिमाही नतीजे सार्वजनिक हुए. जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी का घाटा बढ़कर 571.5 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी तिमाही में 474.5 करोड़ रुपये था. वहीं अगर तिमाही आधार पर देखें तो कंपनी का घाटा कम हुआ है. जून तिमाही में पेटीएम का घाटा 645.4 करोड़ रुपये था. हालांकि, दूसरी तिमाही में पेटीएम का रेवेन्यू करीब 76.2 फीसदी बढ़ा था और 1914 करोड़ रुपये हो गया. यह पिछले साल 1086 करोड़ रुपये था. कमाई बढ़ने की वजहों में मर्चेंट सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू, मंथली ट्रांजेक्शन यूजर्स की संख्या में बढ़ोतरी से बिल पेमेंट में उछाल और लोन डिसबर्समेंट में मजबूत ग्रोथ शामिल हैं.

विदेशी म्यूचुअल फंड्ज में भी निवेश कर कमाया जा सकता है मोटा मुनाफा, जानिए कैसे।

अब अगर आप म्यूचुअल फ़ंड में पैसा निवेश करना चाहते हैं तो यह प्रक्रिया बेहद आसान है। इसे विदेशी शेयरों में निवेश करने वाली भारतीय म्यूचुअल फंड कंपनियां के जरिये किया जा सकता हैं। यदि आप भारतीय शेयर बाजार के साथ-साथ विदेशी शेयर बाजार में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो यह एक आसान प्रक्रिया है। परिणामस्वरूप, विदेशी बाजारों में भारतीय निवेश बढ़ा है।

RBI के आंकड़ों के अनुसार, भारतीयों ने FY22 में $1960 मिलियन से अधिक का निवेश किया। पिछले साल विदेशी बाजार में इस निवेश की वैल्यू करीब 1260 करोड़ डॉलर थी। यानी हर दिन विदेशी शेयर बाजार में भारतीयों का निवेश बढ़ता ही जा रहा है.

एसे करें विदेशी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश

अब अगर आप म्यूचुअल फ़ंड में पैसा निवेश करना चाहते हैं तो यह निवेशकों को क्या जानना चाहिए? प्रक्रिया बेहद आसान है। इसे विदेशी शेयरों में निवेश करने वाली भारतीय म्यूचुअल फंड कंपनियां शुरू कर सकती हैं। अंतर यह है कि, इस तरह, मुद्रा का विदेशी मुद्रा में रूपांतरण या उससे जुड़े जोखिम कम होते हैं। इन फंड्स को NV देखकर निवेश किया जा सकता है।

किसी भी सक्रिय फंड में फंड मैनेजर निवेशकों की मदद करता है। वित्तीय क्षेत्र में उत्पादों के अनुसार शामिल किया जाना चाहिए। ऐसे में निवेशकों को मिलने वाला रिटर्न फंड मैनेजर के फैसले पर निर्भर करता है। अब अगर पैसिव फ़ंड और इंडेक्स की बात करें तो वे S&P 500 या S&P 500 टॉप 50 या नैस्डैक 100 कंपनियों में निवेश कर रहे हैं। इसमें जो रिटर्न इंडेक्स देता है, वही रिटर्न निवेशक को मिलता है।

आइए जानते है LRS स्कीम के बारेमें

विदेशी बाजारों में निवेश करने के कई तरीके हैं, जो सीधे ट्रेडिंग खाते से किए जा सकते हैं। इसके साथ ही म्यूचुअल फ़ंड के माध्यम से भी विदेशी बाजारों में प्रवेश भी किया जा सकता है। यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारत सरकार की उदारीकृत रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत एक निवेशक एक वित्तीय वर्ष में कितना पैसा विदेश भेज सकता है। इस कार्यक्रम के तहत, एक भारतीय LRS के तहत प्रति वर्ष 2.50 लाख डॉलर भेज सकता है। यह स्कीम 2004 में शुरू हुआ था। पहले पैसे भेजने की सीमा 25,000 डॉलर थी।

यदि आप विदेशी मुद्रा में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको पहले संबंधित जानकारी एकत्र करनी होगी। इससे निवेश करना आसान हो जाएगा। लेकिन निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।

Paytm क्यों बायबैक की तैयारी में? अनिल सिंघवी से 6 प्वाइंट्स में समझिए Buyback लाने की वजह और निवेशक क्या करें

Paytm buyback: पेटीएम का बोर्ड शेयर बायबैक पर विचार कर रहा है. 13 दिसंबर को बोर्ड की अहम बैठक होगी जिसमें बायबैक पर विचार किया जाएगा. कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उसके पास 9182 करोड़ की लिक्विडिटी है. इस खबर के सामने आने के बाद से पेटीएम के शेयरों में आज बंपर तेजी देखी जा रही है. इसमें 5 फीसदी से ज्यादा का उछाल है. यह निवेशकों को क्या जानना चाहिए? स्टॉक 530 रुपए पर पहुंच गया है. कारोबार के दौरान तो यह 544 रुपए के स्तर तक पहुंचा था. इस साल अब तक इस शेयर में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है.

पेटीएम बायबैक पर क्या है अनिल सिंघवी की राय

कंपनी ने बायबैक का फैसला क्यों किया? बायबैक लाने की असली वजह क्या है? निवेशकों को अब इस स्टॉक को लेकर क्या करना चाहिए? इन तमाम सवालों पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी की राय जानते हैं. अनिल सिंघवी ने कहा कि यह इश्यू 8300 करोड़ का था. बीते एक साल में कंपनी को करीब 2700 करोड़ का नुकसान हो चुका है. इस तरह कंपनी के पास इश्यू का करीब 5600 करोड़ रुपए है. कंपनी के पास कुल कैश इस समय करीब 9000 करोड़ का है. मार्केट कैप 34 हजार करोड़ का है. मार्केट कैप के मुकाबले यह करीब 26 फीसदी है. अनिल सिंघवी ने कहा कि बायबैक करने के मुख्य रूप से 6 कारण होते हैं. आइए सभी बिंदुओं पर विस्तार से इस बायबैक को समझने की कोशिश करते हैं.

6 प्वाइंट्स में समझिए बायबैक का कारण

1. प्रमोटर अपनी शेयर होल्डिंग बढ़ाने के लिए बायबैक करते हैं. पेटीएम इसके लिए बायबैक नहीं कर रही है. न्यू एज कंपनी में कोई प्रमोटर है ही नहीं.

2. EPS बढ़ाने के लिए बायबैक किया जाता है. अभी तक कंपनी को फायदा ही नहीं हुआ है तो यह भी बायबैक का कारण नहीं बनता है.

3. शेयर प्राइस को सपोर्ट करने के लिए बायबैक किया जाता है. पेटीएम के मामलों में यह फिट बैठता है.

4. जब कंपनी के पास एक्सेस कैश होता है तो वह बायबैक करती है. पेटीएम के मामलों में ऐसा नहीं है.

5. शेयर होल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए भी कंपनी बायबैक करती है. पेटीएम के मामलों में यह उचित कारण दिख रहा है. इस साल अब तक यह स्टॉक 60 फीसदी करेक्ट हो चुका है.

6. कई बार कंपनी टेकओवर से बचने के लिए बायबैक करती निवेशकों को क्या जानना चाहिए? है. होस्टाइल टेकओवर की संभावना कैसी है यह आने वाला समय बताएगा.

कहां तक आ सकती है Paytm में तेजी?

अनिल सिंघवी ने कहा कि पेटीएम के लिए 440-500 के दायरे में बॉटम तैयार है. बायबैक की खबर से यह शयेर 550-565 रुपए के स्तर तक पहुंच सकता है. बायबैक को लेकर 13 दिसंबर को क्या फैसला लिया जाता है इसपर बाजार की नजर रहेगी. अगर कंपनी का बोर्ड अच्छी कीमत पर बायबैक का फैसला करता है तो निवेशकों को इससे निवेशकों को क्या जानना चाहिए? राहत मिलेगी.

2150 से 500 रुपए तक फिसल चुका है यह स्टॉक

पेटीएम का आईपीओ 2150 रुपए का आया था. इसकी लिस्टिंग करीब 10 फीसदी डिस्काउंट पर 1950 रुपए पर हुई थी. 18 नवंबर 2021 को इस कंपनी की लिस्टिंग थी. 24 नवंबर 2022 को यह शेयर 440 रुपए तक पहुंच गया था. उसके मुकाबले इसमें 90 रुपए तक की तेजी आ चुकी है. इस आईपीओ का इश्यू 8300 करोड़ का था. इस समय कंपनी का मार्केट कैप 34 हजार करोड़ का है.

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