Active Vs Passive म्युचूअल फंड- क्या है आपके लिए सही?
अगर लार्ज कैप में ही निवेश करना है तो पैसिव फंड चुनिए और स्मॉल, मिड या फ्लेक्सी कैप की कैटेगरी में निवेश करना है तो एक्टिव फंड चुन सकते हैं.
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Active और Passive Mutual funds क्या है ?
Active Mutual Funds या फिर Passive Mutual Funds हमें किस में निवेश करना चाहिए ?
अगर आप यह सब सवाल के जवाब ढूंढ रहे है तो आप सही जगह पर आए है।
म्यूच्यूअल फंड्स में लम्बे समय के लिए पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स निवेश करना बहुत ही बढ़िया तरीका है।
लेकिन अगर हम सही म्यूच्यूअल फंडस का चुनाव करे तभी हम अच्छा पैसा बना सकते है।
म्यूच्यूअल फंड्स का चुनाव करते वक्त हमारे मन में अक्सर यह सवाल उठता है की हम कौनसे म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करे ?
Active Mutual Funds (in Hindi) या फिर Passive Mutual Funds.
इस लिए आज हम यह जानेंगे की Active Mutual Funds (in Hindi) और Passive Mutual Funds क्या होते है ?
Table of Contents
Active Mutual Funds क्या है ? :
Active Mutual Funds मे पैसो को किस समय और किन विकल्पों में या फिर कौनसे शेयर में निवेश करना है वह मैनेजर तय करता है।
Active Mutual Funds में फंड मैनेजर का लक्ष्य परिस्थिति के अनुसार निवेश कर के फंड जिस Index को follow कर रहा है उस से ज़्यादा रिटर्न देना होता है।
यह फंड में मैनेजर के साथ खोजकर्ता टीम (research team) होती है जो अलग अलग परिस्थिति के अनुसार किस समय कौनसे विकल्प मे ज्यादा मुनाफा मिल सकता है उसके बारे मे research करती है और fund manager को report देती है। जिस से Fund के निवेशको को अच्छे से अच्छा रिटर्न दिया जा सके और ज्यादा से ज्यादा निवेशक उस fund मे निवेश करे।
सामान्य म्यूच्यूअल फंड्स Active Mutual Funds के उदहारण है।
Passive Mutual Funds :
यह फंड अपने नाम की तरह ही Passively Managed होते है।
यानि फंड के पैसो का निवेश फंड के सूचक अंक में सामिल कंपनीओ में और उस अनुपात में ही होता है।
इस फंड का लक्ष्य लम्बे समय में फंड के सूचक अंक जितना रिटर्न लाना होता है।
ऐसे लक्ष्य के पीछे उनका विचार है की लम्बे समय में बाजार के सूचकांक से ज़्यादा रिटर्न कमाना मुस्किल है।
Index Funds और ETF Passive Mutual Funds के उदहारण है।
Active Mutual Funds (in Hindi) vs Passive Mutual Funds :
1) रिटर्न :
Passive Mutual Funds में मिलने वाला रिटर्न उस फंड के सूचक अंक के रिटर्न जितना या उस से कम ही होता है।
जबकी Active Mutual Funds में मिलने वाला रिटर्न ज्यादातर उस फंड के सूचक अंक के रिटर्न से ज़्यादा ही होता है। क्यूकी उसी के लिए तो Active Mutual Funds मे research team होती है जो अच्छे से अच्छा रिटर्न कहाँ मिल सकता है उसकी तलास मे रहती है।
2) Expense Ratio :
Passive Mutual Funds में Expense ratio बहुत ही कम होता है। क्यूकी उसमे Fund Manager को बहुत ज्यादा महेनत नहीं करनी होती और research team का भी कुछ काम नहीं होता। जिस से उनका शुल्क कम हो जाता है।
जबकी Active Mutual Funds में Expense ratio 2 प्रतिशत भी हो सकता है।
हमें कौनसे फंड में निवेश करना चाहिए ?
आप कौनसे फंड में निवेश करेंगे वो तो आपके बाजार के प्रति लक्ष्य पर निर्भर करता है।
दोनों तरह के फंड्स के अपने अपने पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स लाभ और नुकसान है।
यदि आप Active Mutual Funds में निवेश करेंगे तो आपको ज़्यादा रिटर्न मिलने की संभावना है।
लेकिन उन फंड्स में आपको फीस भी ज़्यादा देनी पड़ती है।
और अगर Passive Mutual Funds में निवेश करेंगे तो आपको कम रिटर्न मिलेगा लेकिन वह पर आपको फ़ीस भी बहुत कम देनी पड़ेगी।
इस लिए आप जीस भी फंड में निवेश करे तब यह सब कुछ ध्यान में रख कर ही करे।
उम्मीद करता हु की आपको Active Mutual Funds (in Hindi) के बारे में समझमे आ गया होगा।
आप कौनसे फंड में निवेश करना चाहते है वह हमें Comment Box में जरूर बताए।
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By Gaurav
Gaurav Popat पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स एक निवेशक, ट्रेडर और ब्लॉगर है, जो की शेयर बाज़ार मे बहुत रुचि रखता है। वह साल 2015 से शेयर बाज़ार मे है। पिछले 7 साल मे खुद अलग अलग जगह से सीख कर और अनुभव के आधार पर शेयर बाज़ार और निवेश के पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स विषय मे यहा पर जानकारी देता है।
एक्टिव या पैसिव म्यूचुअल फंडों में से किसमें निवेश करना ज्यादा फायदेमंद?
बेस्ट फंडों की लिस्ट हर साल बदलती रहती है. ऐसे में फंड का चुनाव एक्टिव इनवेस्टिंग में बेहद महत्वपूर्ण पहलू है.
एक फंड ने क्या होल्ड किया है या वह कहां निवेश करता है, यह पहलू सेलेक्शन से जुड़ा है. टाइमिंग और सेलेक्शन दोनों तय करते हैं कि कोई एक्टिव फंड अपने बेंचमार्क से कितना अधिक रिटर्न जेनरेट करता है. म्यूचुअल फंड की कोई स्कीम बेंचमार्क से जितना अधिक रिटर्न जेनरेट करती है, उसे 'अल्फा' कहते हैं. बेंचमार्क अमूमन मार्केट इंडेक्स होते हैं. इनमें निफ्टी, सेंसेक्स, जूनियर निफ्टी, सीएनएक्स मिडकैप इत्यादि शामिल हैं.
फंड मैनेजर स्कीम के पोर्टफोलियो में अपनी समझ के अनुसार बदलाव करते रहते हैं. वे कमजोर प्रदर्शन करने वाले सेक्टरों में निवेश घटा सकते हैं. ऐसे शेयरों में निवेश बढ़ा सकते हैं, जिनके अच्छा करने की उम्मीद है. पोर्टफोलियो से उन शेयरों को विदा कर सकते हैं जिनसे कुछ खास अपेक्षा नहीं है. वे अपने इंडेक्स के अनुरूप शेयरों को होल्ड नहीं करते हैं. न इंडेक्स के अनुपात में इनमें निवेश किया जाता है. इसके बजाय वे सक्रिय रूप से अपने पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं.
बेस्ट फंडों की लिस्ट हर साल बदलती रहती है. ऐसे में फंड का चुनाव एक्टिव इनवेस्टिंग में बेहद महत्वपूर्ण पहलू है. नितिन को परफॉर्मेंस हिस्ट्री और पोर्टफोलियो स्ट्रैटेजी का मूल्यांकन करने के बाद फंडों का चुनाव करना चाहिए.
वहीं, पैसिव इनवेस्टिंग में मार्केट या साइकिल की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है. नितिन जानते हैं कि बाजार की टाइमिंग मुश्किल है और भविष्य का पूर्वानुमान लगाना आसान नहीं है. ऐसे में वह पूरी तरह से पैसिव रहने का विकल्प चुन सकते हैं. इसके पक्ष में कई बातें जाती हैं. इससे उनके लिए इंडेक्स को खरीदना आसान हो जाता है. यह सुनिश्चित करेगा कि वह इंडेक्स जितना रिटर्न पाएंगे. वह कम पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स कॉस्ट वाले ईटीएफ या इंडेक्स फंड के जरिये लार्ज, मिड और स्मॉलकैप इंडेक्स खरीद सकते हैं. इसमें उन्हें सेक्टर, शेयर या फंड के बारे में फैसला करने की जरूरत नहीं है.
उन्हें शेयरों का एक सेट होल्ड करने वाले मार्केट इंडेक्स से संतुष्ट रहना होगा. उन्हें इस बात को समझना होगा कि इसी समय दूसरे इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न बना सकते हैं. लेकिन, इसके लिए उन्हें ज्यादा जोखिम लेना होगा.
नितिन के लिए पैसिव स्ट्रैटेजी तब बिल्कुल ठीक है अगर उनके पास समय और ऊर्जा नहीं है. न ही निवेश के इंस्ट्रूमेंट समझने में रुचि है. लेकिन, वह चाहते हैं कि लंबी अवधि में उनके पैसे पर ठीकठाक रिटर्न मिले. अगर नितिन के पास कोई एडवाइजर है तो वह फंड के चुनाव के लिए उनका भरोसा कर सकते हैं.
इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.
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Active And Passive Investing: क्या हैं एक्टिव और पैसिव निवेश के बीच का अंतर? | जानिए Moneyfront के फाउंडर मोहित गंग के साथ फायदे की बात!
Difference between active and passive investment: पैसिव फंड में मार्केट इंडेक्स ट्रैक करने के बाद ही निवेश से जुड़े फैसले लिए जाते हैं. जबकि एक्टिव निवेश में, यह काम मैनेजर का देखना होता है कि वे किस तरह से निवेश पर मुनाफा कमाएं.
Published: August 7, 2021 2:00 PM IST
What is Active And Passive Investing/ क्या हैं एक्टिव और पैसिव निवेश के बीच का अंतर?: एक्टिव और पैसिव निवेश पर बहस करना कोई नई बात नहीं है. म्यूचुअल फंड में दो बड़ी कैटेगरी है. इनमें से एक कैटेगरी का नाम एक्टिव फंड्स (Active Funds) और दूसरे का नाम पैसिव फंड्स (Passive Funds) है. पैसिव फंड में मार्केट इंडेक्स ट्रैक करने के बाद ही निवेश से जुड़े फैसले लिए जाते हैं. जबकि एक्टिव निवेश में, यह काम मैनेजर का देखना होता है कि वे किस तरह से निवेश पर मुनाफा कमाएं. इसके अंतर (Difference between active and passive investing) को जानने के लिए कि दोनों में से क्या बेहतर है, मोहित गैंग, संस्थापक, मनीफ्रंट, आपको इसी बारे में पूरी जानकारी देते हैं, जो आपके निर्णय को आसान बना देगा. अभी वीडियो देखें.
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डिस्क्लैमर : इस वीडियो में व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं न कि फर्म के विचार। यह वीडियो केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है.
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इंडेक्स फंड में कम लागत में मिलेगा ज्यादा फायदा: सेंसेक्स जैसे इंडेक्स की रफ्तार का फायदा लेने पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स की रणनीति बेहतर, यहां जानें इससे जुड़ी खास बातें
देश में म्यूचुअल फंड में निवेश के तरीके तेजी से बदल रहे हैं। एक्टिव फंड्स में निवेशकों की दिलचस्पी कम हो रही है। इनके प्रबंधन में मैनेजर की सक्रिय भूमिका होने से लागत ज्यादा होती है। पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स दूसरी तरफ पैसिव स्कीम्स में फंड मैनेजर सक्रिय भूमिका नहीं निभाते, लिहाजा उनकी लागत कम होती है। अब दोनों तरह की स्कीम्स में रिटर्न का अंतर कम रह गया है इसलिए पैसिव स्कीम्स की लोकप्रियता बढ़ने लगी है। यही वजह है कि 2020 के मुकाबले 2021 में पैसिव फंड के एयूएम में 57% बढ़ोतरी हुई। खास तौर पर इंडेक्स फंड में न सिर्फ निवेशकों की दिलचस्पी पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स बढ़ी है, बल्कि म्यूचुअल फंड हाउस भी इन्हें ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।
इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इंडेक्स फंड का पोर्टफोलियो सरल होता है। इसमें वही शेयर होते हैं, जो सेंसेक्स और निफ्टी जैसे स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स में होते हैं। उदाहरण पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स के लिए यदि किसी म्यूचुअल फंड हाउस ने निफ्टी 50 इंडेक्स फंड लॉन्च किया है तो इसमें निफ्टी के ही 50 शेयर होंगे। एक्सिस एएमसी के हेड प्रोडक्ट्स एंड अल्टर नेटिव्स अश्विन पाटनी आपको इंडेक्स फंड में निवेश के फायदे बता रहे हैं।
ढेर सारे शेयरों में एक साथ निवेश
यदि बीएसई 500 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले किसी फंड में निवेश करते हैं तो पूरा निवेश बीएसई की टॉप-500 कंपनियों में फैल जाएगा। यदि निफ्टी 100 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फंड में पैसा लगाते हैं तो असल में पैसिव फंड्स बनाम एक्टिव फंड्स एनएसई के टॉप-100 शेयरों में एक साथ निवेश कर रहे होते हैं।
निवेश की कम लागत का फायदा
इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.02-0.2% होता है। यानी यदि ऐसे फंड में आप 1 लाख का निवेश करते हैं तो इसकी लागत सिर्फ 20-200 रुपए बैठेगी। दूसरे एक्टिव फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.5-1.0% होने से इनमें 1 लाख रुपए के निवेश पर 500-1,000 रुपए खर्च करने होंगे।
रणनीति में पारदर्शिता
भारी उतार-चढ़ाव वाले मौजूदा दौर में निवेशक रिटर्न के साथ-साथ पोर्टफोलियो में पारदर्शिता भी चाहते हैं। इंडेक्स फंड में उन्ही कंपनियों के शेयर शामिल करने की अनुमति होती है जो संबंधित इंडेक्स में लिस्टेड होती हैं। ऐसे में निवेशकों को पता होता है कि उनका पैसा किन शेयरों में लगाया जा रहा है।
सेक्टोरल इन्वेस्टिंग
सभी सेक्टरों के शेयर एक साथ बेहतर रिटर्न नहीं देते। दो साल शानदार रिटर्न देने वाले आईटी कंपनियों के शेयरों में इन दिनों गिरावट आ रही है। दूसरी तरफ एफएमसीजी और ऑटो शेयर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में निवेशक अच्छी संभावना वाले पसंद के सेक्टोरल इंडेक्स में निवेश कर सकते हैं।
थीम आधारित निवेश
कुछ साल से क्लाउड कम्प्यूटिंग, इलेक्ट्रिक व्हीकल और न्यू इकोनॉमीज जैसे थिमैटिक इन्वेस्टमेंट का चलन है। फंड मैनेजर भी ऐसे विषय या थीम पर नजर गड़ाए रहते हैं जो भविष्य में स्थिरता और तेज ग्रोथ दिखाने में सक्षम हों। इंडेक्स फंड निवेश में ऐसे थिमैटिक इनोवेशन का लाभ उठाने का मौका देते हैं।
दो तिहाई एक्टिव फंड का रिटर्न टॉप-100 शेयरों के बेंचमार्क से कम
15 साल से म्यूचुअल फंड का अल्फा यानी बेंचमार्क से ऊपर रिटर्न घट रहा है। हाल के सालों में दो तिहाई एक्टिव फंड का रिटर्न टॉप-100 शेयरों के बेंचमार्क से कम रहा है। ऐसे में इंडेक्स फंड ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं। इनकी लागत कम होती है।
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