भारत के पास अभी जीर्णोद्धार की अपनी प्राचीन परंपराओं और इतिहास पर काम करने का मौका है. अभिनवभारती के छठे अध्याय में, अभिनवगुप्त कहते हैं: "जैसे-जैसे हमारी बौद्धिक जिज्ञासा ऊंची होती जाती है, हमारे सम्मानित पूर्ववर्तियों द्वारा बनाई गई सीढ़ियों के कारण ही थकान महसूस किए बिना सत्य को देखना संभव हो पाता है. एक समृद्ध और फलदायी विचार केवल उसी नींव पर रचा जा सकता है जिसे हमारे पूर्ववर्तियों द्वारा तैयार किया गया है." इसी तरह, कालिदास के मालविका-अग्निमित्रम की शुरूआत एक अद्भुत अंश से होती है जिसमें कलाकार अपने प्रबंधक से पूछते हैं कि उन्हें कुछ नया क्यों करना चाहिए, जबकि यह कहानी पहले से ही स्थापित प्रसिद्ध कवियों, जैसे कि भासा, सौमिलका, कविपुत्र और अन्य ने पेश की है? कालिदास प्रबंधक के जरिए जवाब देते हैं, "कोई वस्तु पुरानी है इसलिए अच्छी नहीं होगी अथवा किसी कविता की निंदा इसलिए करना की वह नई है, उचित नहीं होता. विद्वान पुरुष सावधानीपूर्वक जांचने के बाद इसे या उसे स्वीकार करते हैं. अल्प बुद्धि वाला मनुष्य दूसरों की राय से निर्देशित होता है."
काम चलाओ और सुधारो
दिल्ली की सत्ता की सीट भारत के औपनिवेशिक उत्पीड़कों का महिमामंडन करने के लिए बनाई गई थीं. फिर भी स्वतंत्रता के बाद की सरकार ने साम्राज्यवाद के रूपांकनों को भारतीय गणतंत्र के प्रतीकों में बदलकर उन्हें नष्ट करने के बजाय अपने तह ढालने का फैसला लिया.
दिल्ली की सत्ता की सीट भारत के औपनिवेशिक उत्पीड़कों का महिमामंडन करने के लिए बनाई गई थीं. फिर भी स्वतंत्रता के बाद की सरकार ने साम्राज्यवाद के रूपांकनों को भारतीय गणतंत्र के प्रतीकों में बदलकर उन्हें नष्ट करने के बजाय अपने तह ढालने का फैसला लिया.
भारत के पवित्र साहित्य सभी चीजों को नश्वर मानते हैं और नवीनीकरण और बदलाव को कुदरत की नेमतें मानते हैं लेकिन इसके साथ ही ये ग्रंथ इस बात पर भी जोर देते हैं कि किसी चीज को पूरी तरह त्याग देने या उनके पुनर्निर्माण से पहले उनके नवीनीकरण और उनको सुधार ने की कोशिश की जानी चाहिए. अग्नि पुराण स्पष्ट शब्दों में बताया है कि पुरानी और टूटी हुई मूर्तियों को फेंक देने के बजाय उनकी मरम्मत की जानी चाहिए और उन्हें केवल तभी बदला जाना चाहिए जब मरम्मत मुमकिन न हो. भारत के प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन करते समय विद्वानों ने महाकुंभभिषेखम या प्राण प्रतिष्ठा और काकसु-दान सहित अन्य समारोहों को जीर्णोद्धार- यानी संरक्षण और पुन: उपयोग- के रूप में परिभाषित किया है.
मोमेंटम इंडिकेटर एस्प्लेनेड: फोरेक्स ओस्किल्लातोर
मोमेंटम ओस्किल्लातोर इंडिकेटर कि प्रवृत्ति दिशा दिखाता है और कितनी जल्दी कीमत वर्तमान और अतीत की कीमतों की तुलना द्वारा बदल रहा है उपाय है .
सूचक एक लाइन है, जो लगभग 100 ओस्किल्लातेस द्वारा प्रतिनिधित्व किया है। एक ओस्किल्लातोर होने के नाते, गति के भीतर कीमत प्रवृत्ति विश्लेषण किया जाना चाहिए .
- ऐसा माना जाता है कि यदि इंडिकेटर एक के दौरान 100 से ऊपर चढ़ते हैं, यह एक तेजी इंडिकेटर है ;
- अगर इंडिकेटर एक के दौरान 100 के नीचे गिर जाता है, अन्यथा एक मंदी सिग्नल प्रकट होता है .
अपनी सामान्य श्रेणी के बाहर गिर रही :
- चरम अंक मतलब है कि कीमत इसकी सबसे मजबूत लाभ या हानि चलती अवधियों, प्रवृत्ति शक्ति का समर्थन की एक विशेष संख्या के लिए तैनात है ;
- यदि मूल्य आंदोलन भी तेजी से गया था उसी समय वे संभव और क्षेत्रों का संकेत हो सकता .
क्या विदेशी मुद्रा संकेतक है?
फोरेक्स तकनीकी विश्लेषण संकेतकों का उपयोग नियमित रूप से व्यापारियों द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में मूल्य आंदोलनों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है और इस प्रकार विदेशी मुद्रा बाजार में पैसा बनाने की संभावना बढ़ जाती है। विदेशी मुद्रा संकेतक वास्तव में आगे बाजार पूर्वानुमान के लिए एक विशेष ट्रेडिंग इंस्ट्रूमेंट की कीमत और मात्रा को ध्यान में रखते हैं.
जठी तकनीकी संकेतक क्या हैं?
टेक्निकल विश्लेषण, जो अक्सर विभिन्न व्यापारिक रणनीतियों में शामिल होता है, को तकनीकी संकेतकों से अलग नहीं माना जा सकता है। कुछ संकेतकों का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है, जबकि अन्य कई व्यापारियों के लिए लगभग संकेतक केवल अतीत को दिखाता है अपूरणीय हैं। हमने 5 सबसे लोकप्रिय तकनीकी विश्लेषण संकेतकों पर प्रकाश डाला: मूविंग एवरेज (MA), एक्सपोनेंटियल मूविंग एवरेज (EMA), स्टोचस्टिक ऑसिलेटर, बोलिंगर बैंड, मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस फर्क (MACD).
अतीत के अनुभव, वर्तमान की चुनौतियों तथा भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर गढ़ी गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : डी. रामकृष्ण राव
छ: वर्ष तक शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, विचारकों, शैक्षिक नेतृत्वकर्ताओं, प्रशासकों तथा अन्य शिक्षा क्षेत्र के हितग्राहियों के परामर्श, भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से लगभग एक लाख गांवों तक सम्पर्क–संवाद, असंख्य सेमिनारों-कार्यशालाओं के आयोजन और चर्चा के उपरांत बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय शिक्षा नhति–2020 अब भारत सरकार के अनुमोदन के बाद जनता के हाथों में उपलब्ध है। निश्चित रूप से, यह एक परिवर्तनकारी तथा नया मार्ग दिखाने वाला महत्वपूर्ण कदम है, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। आशा की जानी चाहिए fक यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति समग्र, एकात्म, सर्वसमावेशी तथा उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा की दिशा में सशक्त कदम संकेतक केवल अतीत को दिखाता है होने के साथ-साथ 21वीं शताब्दी के लिए आवश्यक कौशलों तथा मूल्याधारित, मनुष्य–निर्मात्री शिक्षा पद्धति को लागू करने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी। विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 का हार्दिक स्वागत करने के साथ यह विश्वास व्यक्त करती है कि सार्वजनिक प्रयास–प्रतिभागिता तथा अनुवर्ती गतिविधियों द्वारा यह अपने उÌs’; में सफल होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिन्दुओं में विद्यालयीन शिक्षा के ढांचे में मूलभूत परिवर्तन कर उसे 5+3+3+4 बनाने का उद्देश्य शिक्षा को पूर्व-प्राथमिक से सीनियर सेकेंडरी तक समग्र बनाने तथा उसे व्यावसायिक शिक्षा के साथ जोड़ना है।
नंबर 953 और प्यार
संख्या 953 दृढ़ता के माध्यम से प्यार से संबंधित है।
जैसे संख्या कहती है कि आपको इस मार्ग पर बने रहना चाहिए, लेकिन इस पर सवाल उठाते रहना चाहिए, इसलिए यह भी कहता है संकेतक केवल अतीत को दिखाता है कि यह सब काला और सफेद नहीं है।
अगर आपको लगता है कि आपका प्यार इसके बारे में लगातार बने रहने का मौका चाहता है और आपके रिश्ते को सुधारने की कोशिश करता है।
यदि आपके पास इसके बारे में मिश्रित भावनाएं हैं, तो फरिश्ता संख्या 953 आपको यह सोचने और निर्णय लेने के लिए कह रही है कि क्या आपके पास समय है और इसे किसी चीज को ठीक करने पर खर्च करने की इच्छा है जो कि पुनः प्राप्त करने से परे है।
प्यार एक ऐसी चीज नहीं है जिसे किसी व्यक्ति पर मजबूर किया जा सकता है और इसके लिए जरूरी है कि वह स्वतंत्र हो।
नंबर 953 के बारे में रोचक तथ्य
953 - पेनलेवा अप्रैल 1921 में बेंजामिन जेकोव्स्की द्वारा खोजे गए एक क्षुद्रग्रह का नाम है। यह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाला एक छोटा क्षुद्रग्रह है।
953 एक अभाज्य संख्या है। इसका अर्थ है कि यह संख्या केवल संख्या 1 और संख्या 953 का गुणक है।
यह एक कमी संख्या भी है।
क्या करें जब आप एंजेल नंबर 953 देखें?
यदि आप अपने जीवन में दिखाई देने वाली परी संख्या 953 को देखते हैं तो आपको अपने जीवन में कुछ चीजों को बदलना चाहिए।
आपके जीवन में कुछ सही ढंग से काम नहीं कर रहा है और यह आपको आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से बढ़ने से रोकता है।
कुछ बदलाव करने की कोशिश करें: नए संकेतक केवल अतीत को दिखाता है दोस्तों से मिलें, अपना करियर बदलें अगर आप इस तरह विकसित होने से संतुष्ट नहीं हैं, तो अपनी दिनचर्या बदलें - जो भी आपके लिए सही लगे।
आप शायद कुछ गलतियाँ करेंगे लेकिन यह सामान्य है। आप उनसे सीखेंगे और आगे बढ़ेंगे।
यदि आप परी के संदेश का उचित तरीके से जवाब देते हैं तो यह आपके लिए आशीर्वाद और समृद्धि लाएगा।
आँख बंद करके एक कदम आगे ले जाने से डरो मत, आप उस पर आश्चर्यचकित हो सकते हैं जो आप पर ठोकर खाएंगे।
अपने प्रियजनों के साथ भावनाओं को साझा करना याद रखें। जब भी यह आपके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है तो वे आपका समर्थन हो सकते हैं। आपको उनके लिए भी ऐसा करने की जरूरत है।
छाया मत छूना Class 10 Hindi पाठ सार, पाठ-व्याख्या, प्रश्नों के उत्तर
Chaya Mat Chuna Summary of CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag-2 Chapter 7 and detailed explanation of the lesson along with meanings of difficult words. Here is the complete explanation of the lesson, along with all the exercises, Questions and Answers given at the back of the lesson.
इस लेख में हम हिंदी कक्षा 10-अ ” क्षितिज भाग-2 ” के पाठ-7 ” छाया मत छूना ” कविता के पाठ-प्रवेश , पाठ-सार , पाठ-व्याख्या , कठिन-शब्दों के अर्थ और NCERT की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर , इन सभी के बारे में चर्चा करेंगे
कवि परिचय-
कवि-“ गिरिजा कुमार माथुर ” जी
छाया मत छूना पाठ प्रवेश
“ संकेतक केवल अतीत को दिखाता है छाया मत छूना ” कविता के कवि “ गिरिजा कुमार माथुर ” जी हैं। इस कविता में कवि ने बीते हुए समय की सुखद यादों को “ छाया ” का नाम दिया है। इसके पीछे वजह यह है कि बीते हुए समय की यादों को केवल याद करके भावविभोर हो सकते हैं उनकों अपने वर्तमान में वापिस नहीं लाया जा सकता। इंसान को कभी न कभी अपने जीवन में अपने अतीत की खुशनुमा यादें याद आ ही जाती हैं और उनको याद कर के व्यक्ति को अच्छा महसूस भी होने लगता है। हालाँकि वो मधुर स्मृतियाँ अब आपका वर्तमान नहीं बन सकती हैं क्योंकि बीता वक्त कभी वापस नहीं आ सकता। इसीलिए कवि कहते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हो वर्तमान में जियो , फिर चाहे आपके जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ , परेशानियाँ या निराशा ही क्यों न हो। जो भी हैं उसका सामना करो , तभी तुम खुश रह पाओगे।
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छाया मत छूना पाठ सार
“ छाया मत छूना ” कविता के कवि “ गिरिजा कुमार माथुर ” जी हैं। ” छाया मत छूना ” कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि हमारे जीवन में सुख और दुख दोनों ही रहते हैं। बीते हुए समय के सुख को याद कर , अपने वर्तमान के दुख को और अधिक गहरा करना किसी भी तरह से बुद्धिमानी नहीं है। कविता में कवि कहते हैं कि अतीत की सुखद बातों को याद नहीं करना चाहिए। क्योंकि उनको याद करने से वर्तमान के दुःख से मन और अधिक निराश और दुखी हो जाता है। जब हम बीते दिनों की याद करते हैं तो उस समय की अनेक रंग – बिरंगी यादें हमें मन को लुभाने वाली और सुहावनी लगती हैं। और उस समय की हर सुखद धटना एक – एक कर चलचित्र की तरह हमारे आँखों के सामने आने लगती है। उन सुखद यादों के सहारे ही मनुष्य अपना पूरा जीवन बिता देना चाहता है। जबकि वह जानता है कि जो बीत गया , वह कभी वापस नहीं आएगा। कवि जब अपनी प्रेयसी के लम्बे बालों में लगे फूलों को याद करते हैं तो उन भूली – बिसरी यादों के स्पर्श से कवि को अपने जीवन में पल भर की शीतलता का आभास होता है। बीते वक्त का हर क्षण जब आँखों के सामने साकार होता है तो मन को और अधिक दुख पहुँचता है। इसीलिए पुरानी सुखद स्मृतियों से दूर रहना ही अच्छा है। हमें अपने भूतकाल को पकड़ कर नहीं रखना चाहिए , चाहे उसकी यादें कितनी भी सुहानी क्यों न हो। जीवन में ऐसी कितनी सुहानी यादें रह जाती हैं। जीवन का हर क्षण किसी भूली सी छुअन की तरह रह जाता है। कुछ भी स्थाई नहीं रहता है। जब मनुष्य के मन में दुविधा या असमंजस की स्थिति पैदा होती है तो मनुष्य का किसी भी कार्य को करने का साहस टूट जाता है। उसका विवेक अर्थात उसकी बुद्धि काम नहीं करती है। उसके सोचने – समझने की शक्ति खत्म हो जाती है यानि उसको कोई भी रास्ता नहीं सूझता है। भले ही मनुष्य का तन स्वस्थ हो , तब भी व्यक्ति का मन के दुःख का कोई अंत नहीं होता हैं क्योंकि मनुष्य कभी अपने पास उपलब्ध चीजों से संतुष्ट नहीं होता है। जब हमें हमारी मन चाही वस्तु ठीक समय पर नहीं मिलती है तो उसका दुःख हमें जीवन भर रहना स्वाभाविक है। वैसे तो बसंत ऋतु में सभी फूल खिल जाते हैं। मगर कवि कहते संकेतक केवल अतीत को दिखाता है हैं कि अगर कोई फूल बसंत ऋतु के जाने के बाद खिलता है तो क्या फर्क पड़ गया अर्थात यदि तुम्हें तुम्हारी मन चाही वस्तु तय समय के निकल जाने के बाद मिलती हैं , तो भी तुम संतुष्ट हो जाओ। और तुम्हें जो नहीं मिला , उसका दुःख मनाने के बजाय , उसे भूलकर आगे बढ़ने की तैयारी करो। मनुष्य को जो उसके संकेतक केवल अतीत को दिखाता है पास उपलब्ध है या जो उसे मिला है उसी में संतुष्ट होना सीखना चाहिए क्योंकि मन की इच्छाएँ कभी समाप्त नहीं होती और न ही हमेशा हमें वह मिल पता है जो हमें चाहिए। अतः सुखद भविष्य के लिए जो नहीं संकेतक केवल अतीत को दिखाता है मिला उसका दुःख मनाना छोड़ कर , जो मिला है उसकी खुशी मनानी चाहिए और सुखद भविष्य की तैयारी में जुट जाना चाहिए।
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