Government Debt: दूसरी तिमाही में बढ़ा सरकार पर कर्ज का बोझ, 1 फीसदी बढ़कर पहुंचा 147 लाख करोड़ रुपये के पार

Government Debt: भारत सरकार के ऊपर कुल कर्ज बढ़ गया है और ये आंकड़ा बढ़कर 147 लाख करोड़ रुपये के पार हो गया है. वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है.

By: भाषा | Updated at : 27 Dec 2022 04:15 PM (IST)

Edited By: Meenakshi

केंद्र सरकार के ऊपर बढ़ा कर्ज (फोटो क्रेडिट- साभार- वित्त मंत्रालय ट्विटर)

Government Debt: सरकार की कुल देनदारी सितंबर के अंत में बढ़कर 147.19 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गयी. इससे पहले जून तिमाही में यह 145.72 करोड़ रुपये थी. सार्वजनिक कर्ज के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, फीसदी के हिसाब से तिमाही आधार पर चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में इसमें एक फीसदी की वृद्धि हुई है.

वित्त मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट

वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को सार्वजनिक कर्ज प्रबंधन पर जारी तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल सितंबर के अंत में सार्वजनिक कर्ज, सकल देनदारी का 89.1 फीसदी रहा जो 30 जून को समाप्त तिमाही में 88.3 फीसदी था. इसमें बाजार वृद्धि विश्लेषण कहा गया है कि करीब 29.6 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियां (निश्चित या परिवर्तनशील ब्याज वाली प्रतिभूतियां) पांच साल से कम अवधि में परिपक्व होने वाली हैं.

भारांश औसत भी बढ़ा

रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के जरिये 4,06,000 करोड़ रुपये जुटाये हैं. जबकि उधारी कार्यक्रम के तहत अधिसूचित राशि 4,22,000 करोड़ रुपये थी. वहीं 92,371.15 करोड़ रुपये लौटाये गये. चालू वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारांश औसत प्रतिफल बढ़कर 7.33 फीसदी हो गया जो पहली तिमाही में 7.23 फीसदी था. दूसरी तिमाही में नयी जारी प्रतिभूतियों के परिपक्व होने की भारांश औसत अवधि 15.62 साल थी जो पहली तिमाही में 15.69 वर्ष थी.

विदेशी मुद्रा भंडार में भी बड़ी गिरावट

सरकार ने जूलाई-सितंबर तिमाही में नकद प्रबंध बिल यानी नकदी प्रबंधन के लिये अल्प अवधि की प्रतिभूतियों के जरिये कोई राशि नहीं जुटायी है. इस दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों के लिये कोई खुली बाजार गतिविधियां आयोजित नहीं कीं. रिपोर्ट में विदेशी मुद्रा भंडार के संदर्भ में कहा गया है कि यह 30 सितंबर, 2022 को 532.66 अरब बाजार वृद्धि विश्लेषण डॉलर रहा जो 24 सितंबर, 2021 को 638.64 अरब डॉलर था. एक जुलाई, 2022 से 30 सितंबर, 2022 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 3.11 फीसदी नीचे आया है.

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Published at : 27 Dec 2022 04:05 PM (IST) Tags: finance ministry Government debt India Finance Ministry हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

मेडिकल थर्मोग्राफी एक गैर-इनवेसिव तकनीक है जो अवरक्त विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में त्वचा के माध्यम से शरीर द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा ऊर्जा का उपयोग करके मानव शरीर की सतह के तापमान को उजागर करना और मापना संभव बनाती है।

मानव शरीर गर्मी पैदा करता है, जो अधिकांश भाग के लिए, त्वचा के माध्यम से पर्यावरण में फैलाया जाता है: थर्मोग्राफी अवलोकन पर आधारित है कि विभिन्न रोग प्रक्रियाएं प्रभावित शरीर क्षेत्र में गर्मी उत्पादन में वृद्धि का कारण बनती हैं।

थर्मोग्राफिक परीक्षा वास्तव में कुछ ट्यूमर (विशेष रूप से स्तन और थायरॉयड के) और पेशी प्रणाली या इस्केमिक घावों के भड़काऊ राज्यों के निदान के लिए उपयोग की जाती है।

यह अंगों में रक्त के प्रवाह में परिवर्तन का आकलन करना भी संभव बनाता है।

थर्मोग्राफी एक परीक्षा है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, यह दर्द रहित, गैर-आक्रामक, प्रदर्शन करने में आसान है और हानिकारक विकिरण का उपयोग नहीं करता है।

थर्मोग्राफिक परीक्षा से संबंधित विभिन्न प्रकार की नैदानिक ​​जांच हैं:

  • लिक्विड क्रिस्टल कॉन्टैक्ट थर्मोग्राफी: तापमान के अनुसार उनकी स्थानिक व्यवस्था को बदलने के लिए लिक्विड क्रिस्टल की संपत्ति का शोषण करता है: व्यवहार में, लिक्विड क्रिस्टल से बनी प्लेटों को जांच के लिए क्षेत्र की त्वचा पर रखा जाता है और ये त्वचा के आधार पर एक अलग रंग लेती हैं तापमान।
  • कंप्यूटर-समर्थित थर्मोग्राफी: एक प्लेट का उपयोग करता है जो विश्लेषण की गई त्वचा की सतह पर रिकॉर्ड किए गए विभिन्न तापमानों को कंप्यूटर पर भेजता है; कंप्यूटर डेटा को प्रोसेस करता है और अलग-अलग थर्मल ग्रेडेशन के अनुरूप अलग-अलग रंगों से मिलकर एक छवि प्रदान करता है।

चिकित्सा थर्मोग्राफी के दौरान, रोगी को निरंतर प्रकाश व्यवस्था वाले वातावरण में सहज बनाया जाना चाहिए

मौखिक तापमान लेने के बाद (जो 37.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए) विश्लेषण की जाने वाली त्वचा की सतह को लगभग 15 मिनट के लिए सीधे हवा में उजागर किया जाना चाहिए।

कमरे का तापमान 20° और 24°C के बीच होना चाहिए, सापेक्ष आर्द्रता 35 और 60% के बीच होनी चाहिए।

परीक्षा से पहले, धूम्रपान न करें, कोई दवा न लें, धूप या टैनिंग लैंप के संपर्क में न आएं, क्रीम का उपयोग न करें और ज़ोरदार शारीरिक गतिविधि से परहेज करें।

इक्विटी, कर्ज के रास्ते धन जुटाने की गतिविधियां 2022 में घटीं, 20 प्रतिशत कम वित्त जुटा

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) कंपनियों की इक्विटी या ऋण मार्ग के जरिये कोष जुटाने की कवायद 2022 में करीब 20 प्रतिशत घटकर 11 लाख करोड़ रुपये रह गई। कर्ज महंगा होने और बाजारों में अस्थिरता की वजह से भी उत्साह ठंडा पड़ा है। ऐसे में 2023 की पहली छमाही चुनौतीपूर्ण रह सकती है।

कोष जुटाने के लिहाज से 2021 एक शानदार वर्ष था जबकि 2022 में दुनियाभर में आसमान छूती मुद्रास्फीति और रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से आई अस्थिरता के कारण इसमें कमी आई।

ट्रस्टप्लूटस वेल्थ (भारत) प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध साझेदार (उत्पाद) एवं मुख्य परिचालन अधिकारी विशाल चांदीरमानी ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रमों की बाजार वृद्धि विश्लेषण वजह से 2023 की पहली छमाही चुनौतीपूर्ण रह सकती है। अमेरिका में मंदी का प्रभाव यदि मामूली रहता है तो हम अगले वर्ष की दूसरी छमाही में वैश्विक बाजारों में तेजी की उम्मीद कर सकते हैं।’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि बाजारों में तेजी आ भी जाए तब भी पहले की तुलना में अगले कुछ वर्षों में कोष जुटाना मुश्किल भरा हो सकता है।

गुजरते वर्ष में ऋण बाजार के जरिये जुटाए गए वित्त में कुछ वृद्धि हुई है जबकि इक्विटी के जरिये जुटाया नया वित्त बहुत तेजी कम हुआ है। दरअसल, भू-राजनीतिक तनाव की वजह से 2022 में आईपीओ के जरिये वित्त जुटाने की कवायद घटकर आधी रह गई। इस वर्ष वित्त जुटाने की कुल गतिविधियों में सर्वाधिक हिस्सेदारी ऋण बाजार से वित्त जुटाने की रही है।

विश्लेषण करने वाली कंपनी प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष दिसंबर महीने के मध्य तक कुल 11 लाख करोड़ रुपये का कोष जुटाया गया जिसमें से 6.92 लाख करोड़ रुपये कर्ज बाजार से, 1.62 करोड़ रुपये इक्विटी बाजार से और 2.52 लाख करोड़ विदेशी मार्गों से आए।

वर्ष 2021 में कंपनियों ने 13.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे जिसमें बाजार वृद्धि विश्लेषण 6.8 लाख करोड़ रुपये कर्ज के जरिये, 2.85 लाख करोड़ रुपये इक्विटी से जिसमें से रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये आईपीओ से जुटाए थे।

ये आंकड़े दिखाते हैं कि कोष जुटाने की गतिविधियों के लिए 2021 में माहौल बहुत ही आकर्षक था जबकि 2022 में यह बिलकुल अलग है।

फिस्डम में अनुसंधान प्रमुख नीरव कारकेरा ने कहा, ‘‘वर्ष 2021 कम लागत पर ऋण पुनर्वित्त करने, अत्यधिक अनुकूलित लागत पर ऋण के माध्यम से नई पूंजी जुटाने के साथ-साथ सकारात्मक भावनाओं के बीच अच्छे मूल्यांकन का लाभ उठाने के लिहाज से बढ़िया साल रहा।’’

उन्होंने कहा कि 2022 में प्रोत्साहन नहीं मिला, मौद्रिक नीतियां सख्त हो गईं, दुनियाभर में मुद्रास्फीतिक चिंताएं बढ़ीं और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान समेत कई चुनौतियां आईं।

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित बाजार वृद्धि विश्लेषण की गई है।)

अगर कोविड दोबारा फैलता है, तो हालात से निपटने को तैयार हैं: सीएम केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा बाजार वृद्धि विश्लेषण कि दिल्ली में कोरोना वायरस के स्वरूप ओमीक्रोन के उपस्वरूप बीएफ.7 का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है।

PC: PTI

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली में कोरोना वायरस के स्वरूप ओमीक्रोन के उपस्वरूप बीएफ.7 का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है।

केजरीवाल ने साथ ही कहा कि अगर कोविड दोबारा फैलता है तो उनकी सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

केजरीवाल ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि अब तक संक्रमण के लगभग 92 प्रतिशत मामलों में कोविड के उप स्वरूप ‘एक्सबीबी’ की पुष्टि हुई है।

कई देशों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बीच केजरीवाल ने अपने आवास पर कोविड की स्थिति पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी।

बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने सभी संक्रमित नमूनों को जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजने, एहतियाती खुराक लगाना सुनिश्चित करने और अस्पतालों में कर्मियों में वृद्धि के भी निर्देश जारी किए। उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए पूर्व अनुमति लेने और सभी अस्पतालों में मशीनों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल रोज़ाना 2,500 नमूनों की जांच की जा रही हैं और अगर कोविड मामलों में वृद्धि होती है तो नमूनों की जांच की संख्या बढ़ाकर एक लाख तक की जा सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास कोविड मरीजों के लिए 8,000 बिस्तर उपलब्ध हैं। संक्रमण के चरम पर पहुंचने के दौरान हमने 25,000 बिस्तर उपलब्ध कराए थे और बिस्तरों की क्षमता को बढ़ाकर 36,000 तक किया जा सकता है।’’

केजरीवाल ने कहा कि पात्र लोगों में से केवल 24 प्रतिशत ने एहतियाती खुराक ली है। उन्होंने लोगों से टीके की एहतियाती खुराक लेने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिल्ली ऑक्सीजन बाजार वृद्धि विश्लेषण की उपलब्धता और भंडारण के मामले में आत्मनिर्भर हैं।

पिछले साल कोविड की दूसरी लहर के दौरान, दिल्ली ऑक्सीजन की कमी से जूझ रही थी, अस्पतालों ने इसकी घटती आपूर्ति पर सोशल मीडिया पर एसओएस संदेश भेजे थे।

उन्होंने कहा, “ हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता है। पहले हमारे पास भंडारण की सुविधा नहीं थी, लेकिन अब हमारे पास ऑक्सीजन भंडारण की क्षमता भी है।”

मास्क पहनना अनिवार्य करने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार केंद्र के निर्देश का इंतजार कर रही है।

`2022 में सोने में रोलर-कोस्टर राइड से ज्यादा उतार-चढ़ाव रहे ईयर एंडर

उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2022 में सोने के बाजार की तुलना में रोलर-कोस्टर की सवारी में कम उतार-चढ़ाव रहे होंगे। नवनीत दमानी, सीनियर वीपी, करेंसी एंड कमोडिटी, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा- 2022 के वर्ष में सर्राफा बाजार की तुलना में रोलर-कोस्टर की सवारी में कम उतार-चढ़ाव थे। सोना और चांदी दोनों धातुओं ने बाजार सहभागियों को बढ़त पर बनाए रखा।

दमानी के अनुसार, कॉमेक्स गोल्ड ने लगभग 1,935 डॉलर का उच्च और लगभग 1,630 डॉलर का निचला स्तर बनाया, जबकि चांदी ने लगभग 25 डॉलर का उच्च और लगभग 18 डॉलर का निचला स्तर बनाया। कुछ कारक हैं जो बाजार में अस्थिरता को ट्रिगर करते हैं जैसे, डॉलर इंडेक्स, प्रमुख केंद्रीय बैंकों से आक्रामक मौद्रिक नीति रुख, मुद्रास्फीति की बढ़ती चिंता, भू-राजनीतिक तनाव, जिसके कारण यह अस्थिरता हुई।

उनके साथ चिराग मेहता, सीआईओ और गजल जैन, फंड मैनेजर वैकल्पिक निवेश, क्वांटम एएमसी ने एक रिपोर्ट में कहा: रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न जोखिम से बचने के कारण मार्च में सोने की कीमतें लगभग 2,070 डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं। लेकिन बाद में, जैसे-जैसे भू-राजनीतिक जोखिम प्रीमियम कम होता गया, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आकाश-उच्च मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए कड़ी होड़ के साथ, कीमतों को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा रेपो दर में वृद्धि की ओर इशारा करते हुए, दो विशेषज्ञों ने कहा कि इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप जोखिम भरी संपत्तियों से अमेरिकी डॉलर में धन बढ़ा क्योंकि वास्तविक ब्याज दरें (यूएस 10वाई ट्रेजरी इन्फ्लेशन प्रोटेक्टेड सिक्योरिटीज द्वारा इंगित किया गया) मई 2022 में दो वर्षों में पहली बार सकारात्मक हुई।

क्वांटम एएमसी रिपोर्ट ने कहा- इससे सोने में बिकवाली हुई और कीमतें ढाई साल के निचले स्तर 1,614 डॉलर पर आ गईं। हालांकि, जैसे-जैसे मुद्रास्फीति 2022 की चौथी तिमाही में क्रमिक रूप से कम होने लगी, निवेशकों ने 2023 में कम आक्रामक फेड की उम्मीद करना शुरू कर दिया, और डॉलर के दबाव में आने से सोने की कीमतों को वापस बढ़ने में मदद मिली।

क्वांटम एएमसी के अधिकारियों ने कहा- 2023 में कदम रखते हुए, हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं कि यह प्रतिक्रिया उचित है या नहीं, यह देखते हुए कि अमेरिका में मुद्रास्फीति फेड के 2 प्रतिशत लक्ष्य से काफी ऊपर है, जबकि दर वृद्धि की गति धीमी हो सकती है, लेकिन धीमी गति का मतलब कम दरों का मतलब नहीं है, जिसकी बाजार ने आशंका शुरू कर दी थी।

क्वांटम एएमसी रिपोर्ट के अनुसार, यूएस फेड द्वारा 2023 की पहली छमाही में 50-75 आधार अंकों की और बढ़ोतरी की जा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप जोखिम वाली संपत्तियों और सोने दोनों में अस्थिरता का दौर हो सकता है क्योंकि लड़खड़ाती मुद्रास्फीति और उच्च नाममात्र दरों के वातावरण में वास्तविक दरों में वृद्धि होती है। दमानी ने कहा कि सोने की घरेलू कहानी काफी अलग है, क्योंकि इस तरह की बड़ी घटनाओं के बाद भी एमसीएक्स पर बहुत अच्छा नहीं था, रुपये में तेज गिरावट जैसे कारकों के साथ-साथ सोने पर बुनियादी सीमा शुल्क में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

उन्होंने कहा कि 2022 ने निश्चित रूप से सोने और चांदी के रूप में बाजार सहभागियों के विश्वास को बढ़ावा दिया है। रूस-यूक्रेन तनाव, मुद्रास्फीति की चिंता और चीन में कोविड के डर के साथ-साथ बाजार सहभागियों को अगले साल धीमी वैश्विक वृद्धि का बोझ भी उठाना होगा। आगे बढ़ते हुए, बाजार सहभागी प्रमुख केंद्रीय बैंकरों से मौद्रिक नीति के रुख पर ध्यान केंद्रित करेंगे। डॉलर इंडेक्स और यील्ड में बदलाव पर भी बाजार की नजर रहेगी। सोने/चांदी का अनुपात भी लगभग 97 के हाल के शिखर से गिरकर लगभग 75 हो गया है, जिससे चांदी की चाल को समर्थन मिला है साथ ही सेफ हेवन दांव के अलावा, हरित प्रौद्योगिकी में प्रगति और औद्योगिक मांग में वृद्धि से चांदी की कीमतों को समर्थन मिल सकता है।

उनके अनुसार, सोने और चांदी में थकावट (गिरावट) के कुछ संकेत दिख रहे हैं और किसी भी मध्यम से लंबी अवधि के निवेशक के लिए सोने में 58,000 रुपये और चांदी में 73,000 रुपये के बाद 82,000 रुपये के लक्ष्य के लिए खरीदारी के अवसर के रूप में गिरावट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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