अटल नवाचार रैंकिंग 2021: यूपी के इन कॉलेजों का रहा दबदबा, बीबीएयू ने श्रेष्ठ बैंड-परफॉर्मर्स में बनाई जगह
अटल नवाचार रैंकिंग 2021 में उत्तर प्रदेश के कॉलेजों का दबदबा रहा है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस की सूची में यूपी के आईआईटी कानपुर और मोती लाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने टॉप टेन में जगह बनाई है.
लखनऊः अटल नवाचार रैंकिंग 2021 (ariia ranking 2021) में उत्तर प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का दबदबा रहा है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस की सूची में यूपी के आईआईटी कानपुर और मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने टॉप टेन में जगह बनाई.
अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टिट्यूशंस ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स रैंकिंग 2021 में लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ने इंस्टिट्यूट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस एंड सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की श्रेणी में श्रेष्ठ बैंड-परफॉर्मर्स में जगह बनाने में सफलता हासिल की.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने अटल नवाचार रैंकिंग 2021 जारी की है. अटल रैंकिंग, शिक्षा मंत्रालय की पहल है, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों को उद्यमिता विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए रैंकिंग दी जाती है.
इस वर्ष बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के इस रैंकिंग के लिए प्रतिभाग किया था और माइंड-सेट डेवलपमेंट, टीचिंग एंड लर्निंग, इंफ्रास्ट्रक्चर एंड फैसिलिटी, इनोवेशंस डेवलप्ड, स्टार्टअप एस्टेबलिश्ड जैसे मानकों के आधार पर रैंक दी जाती है.
विभिन्न श्रेणियों की रैंकिंग में केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थान (जैसे आईआईटी, एनआईआईटी आदि), राज्य विश्वविद्यालय, राज्य के तकनीकी कालेज, निजी विश्वविद्यालय, निजी तकनीकी कालेज, गैर-तकनीकी सरकारी और निजी संस्थान शामिल हैं. इस वर्ष करीब 1438 संस्थानों ने इसमें भाग लिया था.
अटल नवाचार रैंकिंग 2021 में आईआईटी कानपुर को चौथा स्थान मिला है. प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू एनआईटी यानी एमएनआईटी 10वें स्थान पर रहा है. यूनिवर्सिटी और डिम्ड यूनिवर्सिटी की टॉप टेन सूची में उत्तर प्रदेश के एमिटी विश्वविद्यालय को नौंवा स्थान प्राप्त हुआ.
प्राइवेट कॉलेज व सेल्फ फाइनेंस तकनीकी संस्थानों की श्रेणी में केआईईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस को पांचवां स्थान मिला. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ने इंस्टिट्यूट ऑफ नेशनल इम्पॉर्टेन्स एंड सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की श्रेणी में श्रेष्ठ बैंड-परफॉर्मर्स में जगह बनाने में सफलता हासिल की. बीबीएयू के कुलपति आचार्य संजय सिंह के मार्गदर्शन में विवि ने इस वर्ष अटल रैंकिंग में हिस्सा लिया और विभिन्न मापदंडों के आधार पर विवि ने पूरे देशभर से चयनित कुल 19 बैंड-परफॉर्मर्स संस्थानों में अपनी जगह हासिल करने में सफलता हासिल की.
रैंकिंग विश्वसनीयता दलाल
आप चार कारकों की जाँच करके ब्रोकर की विश्वसनीयता और विश्वसनीयता का निर्धारण कर सकते हैं:
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3.कौन सा ब्रोकर सुरक्षित है?
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इन चार कारकों के आधार पर हम तुलना कर सकते हैं कि कौन सा विश्वसनीय है. हमने कारणों को इस प्रकार विभाजित किया है:
क्या cxc-markets, bux-markets की लेन-देन लागत और व्यय कम हैं?
विभिन्न ब्रोकरों में लेनदेन लागतों की तुलना करने के लिए, हमारे विशेषज्ञ लेनदेन-विशिष्ट शुल्क (जैसे स्प्रेड) और गैर-व्यापारिक शुल्क (जैसे निष्क्रियता शुल्क और भुगतान लागत) का विश्लेषण करते हैं।
cxc-markets और bux-markets कितने सस्ते या महंगे हैं, इसकी व्यापक समझ प्राप्त करने के लिए, हमने पहले मानक खातों के लिए सामान्य शुल्क पर विचार किया। cxc-markets पर, EUR/USD मुद्रा जोड़ी के लिए औसत स्प्रेड 1.3~ पिप्स है, जबकि bux-markets पर स्प्रेड -- है।
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जब हमारे विशेषज्ञ ब्रोकरों की समीक्षा करते हैं, तो वे अपना खाता खोलेंगे और ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से ट्रेड करेंगे. यह उन्हें प्लेटफॉर्म की गुणवत्ता, उपयोग में आसानी और कार्य का व्यापक मूल्यांकन करने में सक्षम बनाता है
cxc-markets ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जिसमें Micro account,Zero Account,Standard Account और ट्रेडिंग किस्म -- शामिल हैं. bux-markets ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जिसमें -- और ट्रेडिंग किस्म -- शामिल हैं
जो मीडिया विनम्रतापूर्वक खुद को चौथा खंभा और लोकतंत्र की रखवाली करने वाला कुत्ता कहता था अब खुद पैसे लेकर लोकतंत्र को नोच रहा है.
कोबरापोस्ट, स्टिंग आपरेशन-136 में सबसे बड़े भारतीय मीडिया घरानों के मालिक और मैनेजर पैसे लेकर एक खास राजनीतिक पार्टी के पक्ष में धार्मिक नफरत फैलाने, वोटों का ध्रुवीकरण करने, उनके प्रतिद्वंद्वी नेताओं के मुंह पर दुष्प्रचार की कालिख पोतने के लिए मुस्तैद दिखाई दे रहे हैं.
ये मीडियावाले किसी जिम्मेदारी से वंचित भाड़े के माफिया डॉन जैसे दिखाई दे रहे हैं जिनका काम पैसे लेकर बताए गए आदमी या धार्मिक समुदाय पर अपने पत्रकारों से शब्दों और तस्वीरों की गोलियां चलवाना है, जिनका असर सचमुच की गोलियों से कहीं गहरा और स्थायी होता है.
तुर्रा यह है कि यह कारनामा पेशेवर पत्रकारिता के जुमलों की ओट में किया जा रहा है जिसका मकसद सच को सामने लाना है. अगर विश्वसनीयता के मामले में भारतीय मीडिया की रैंकिंग दुनिया में 136वें नंबर पर है तो वह खुद जिम्मेदार है क्योंकि वह खरीददार के सामने अपने बिकने की व्याकुलता का मुजाहिरा खुलेआम कर रहा है.
सवाल पैदा होता है कि उन्नत तकनीक और बेहतरीन प्रशिक्षित पत्रकारों से कराए गए घृणा, झूठ, अफवाहों के उत्पादन को बेचने से जो आसानी से बहुत ज्यादा पैसा आएगा, उसका वे करेंगे क्या?
कुछ नहीं… उससे और अधिक उन्नत मशीनें खरीदी जाएंगी, और अधिक आज्ञाकारी, मनचाही छवियां बनाने में दक्ष पत्रकार पाले जाएंगे, व्यापार का विस्तार करते हुए इतनी अधिक पूंजी बटोरी जाएगी कि सत्ता को नियंत्रित किया जा सके. सपना पूंजी की ताकत से लोकतंत्र की ऐसी तैसी करते हुए सत्ताधारी कारपोरेटों में से एक बनना है.
इस खेल में सबसे निर्णायक पाठक, दर्शक या जनता की भूमिका मूर्खों की भीड़ से अधिक कुछ नहीं है और मीडिया हाउस भीड़ का दिमाग मनचाही दिशा में फेरने के खिलौने बनाने वाली फैक्ट्री में बदलते जा रहे हैं. जो मीडिया विनम्रता पूर्वक खुद को चौथा खंभा और लोकतंत्र की रखवाली करने वाला कुत्ता कहता था अब खुद पैसे लेकर लोकतंत्र को नोच रहा है.
इसमें नया सिर्फ इतना है कि यह सबकुछ आम चुनाव की हवा में “आन द रिकार्ड” दिखाई दे रहा है वरना अधिकांश मीडिया आम दिनों में अपने मैनेजरों की योजनाओं पर अमल करते हुए झूठ, अफवाह, अंधविश्वास, सनसनी और घृणा का उत्पादन करता रहता है ताकि टीआरपी और सर्कुलेशन बढ़ाकर रेवेन्यू देने वाले आसामियों को ललचा कर बुलाया जा सके.
इसलिए यह उम्मीद करना व्यर्थ है कि अपने मालिकों को नंगा देखकर मीडिया हाउसों के भीतर खुद को सुधारने की कोई कोशिश की जाएगी. मीडिया हाउस बिना झेंपे सत्ताधारी पार्टी जैसा व्यवहार शुरू कर चुके हैं.
वे विपक्ष यानि स्टिंग आपरेशन करने वालों की विश्वसनीयता, व्यावसायिकता और नीयत को निशाना बना रहे हैं ताकि आक्रामक शोर में असल मुद्दे को गायब किया जा सके. इन दिनों सत्ताधारी भाजपा भी चार सालों में कुछ न कर पाने के लिए विपक्ष को कोस रही है. विपक्ष तो खैर कोसने के लिए बना ही है.
रंगे हाथ पकड़े गए मीडिया हाउसों पर किसी कानूनी कार्रवाई की उम्मीद करना भी व्यर्थ है क्योंकि देश में कोई ऐसी संस्था है ही नहीं. बाबरी मस्जिद गिराने के समय बहुत से जागरुक पत्रकारों और नागरिकों ने प्रेस काउंसिल आफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड समेत कई अन्य संस्थाओं को धार्मिक उन्माद फैलाने, एतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने, एक धार्मिक समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाने की तथ्यात्मक शिकायतें भेजीं थीं लेकिन प्रतीकात्मक निंदा के अलावा कुछ नहीं हुआ.
अगर धार्मिक ध्रुवीकरण के कृत्य के लिए राजी होने के अपराध में मीडिया मालिकों पर कानूनी कार्रवाई करना संभव हो तो भी राजनेता इसमें दिलचस्पी नहीं लेंगे क्योंकि एक कमजोर और भ्रष्ट मीडिया होने का सबसे अधिक फायदा उन्हीं को मिलना है.
वे रैंकिंग विश्वसनीयता दलाल चुनाव में उसे अपने तरीके से इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे. जो मीडिया कंटेन्ट उनके पक्ष में होगा उसे अपनी छवि बनाने में इस्तेमाल करेंगे जो खिलाफ होगा, उसे पेड न्यूज और दलाल मीडिया का कारनामा बताकर पल्ला झाड़ लेंगे.
संस्थाओं को भ्रष्ट बनाकर उनकी विश्वसनीयता खत्म करना, उनका मनमाना इस्तेमाल करना और फिर दूध की मक्खी की तरह फेंक देना सत्ता का पुराना शगल है. यह चलन इन दिनों न्यायपालिका के मामले में भी नंगी आंखों से दिखाई दे रहा है.
सबसे खतरनाक यह है कि मीडिया की विश्वसनीयता का जितनी तेजी से लोप हो रहा है उतनी ही गति से एक सनकी जनमानस की भी निर्माण हो रहा है जिसके लिए मीडिया में सभी चोर हैं- सभी भ्रष्ट हैं. सबसे अधिक नुकसान बचे-खुचे कुछ अच्छे मीडिया संस्थानों और पत्रकारों का होगा जिन्हें अपने मनमाफिक न पाकर कोई जनरल वीके सिंह जैसा जबानदराज “प्रेस्टिट्यूट” का ठप्पा लगाकर मजमा लूट लेता है.
अगर सभी चोर हैं, सभी भ्रष्ट हैं की धारणा स्थापित हो गई तो आम पाठक, दर्शक या जनता तक सही सूचनाएं कैसे पहुंच पाएंगी और उन पर यकीन कौन करेगा? हमारे समाज में परंपरागत तौर पर जनमत बनाने का काम जातीय और धार्मिक गिरोहों के मुखिया करते रहे हैं जो अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए सूचनाएं गढ़ते और प्रसारित करते हैं.
इनसे इतर अफवाहें बनाने और फैलाने रैंकिंग विश्वसनीयता दलाल के उस्तादों का एक विराट कारखाना भी है जो जब चाहे गणेशजी को दूध पिला देता है, मुंहनोचवा और आईएसआई का मानवरूपी भेड़िया पैदा कर देता है, व्हाटसएप से अफवाहें फैलाकर हत्याओं को अंजाम देता है.
मीडिया की विश्वसनीयता खत्म होने का सीधा मतलब यह है कि तकनीक उन्नत होगी लेकिन सूचनाएं मध्ययुगीन होंगी जिनका इस्तेमाल जातीय और धार्मिक गिरोह भीड़ को उकसा कर अपने निहित स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए करेंगे. यह अपने मुनाफे के लिए देश को मध्ययुग में या कहें उससे भी बदतर हालत में ले जाना है.
मधेपुरा में खुला देशस्तर पर नामी डॉ. लाल पैथलैब का कलेक्शन सेंटर, होम कलेक्शन की भी सुविधा
ये मधेपुरा और आसपास के लोगों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक तोहफे जैसा ही है. देश स्तर पर टॉप रैंकिंग में शामिल पैथोलॉजी लैब डॉ. लाल पैथलैब का कलेक्शन सेंटर मधेपुरा में भी रविवार 18 अक्टूबर से इलाके के लोगों के लिए उपलब्ध हो चुका है.
मधेपुरा के जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज तथा अस्पताल के सामने जजहट सबैला में खुले ह्रदय पैथोलैब को डॉ. लाल पैथलैब का फ़्रैन्चाइजी मिला है. इस सेंटर के हेड राजेन्द्र प्रसाद यादव ने जानकारी दी कि यहाँ चिकित्सीय जाँच का एक विस्तृत रेंज उपलब्ध होगा जिसमें ब्लड, यूरीन आदि से सम्बंधित लगभग सभी तरह के टेस्ट शामिल होंगे.
यही नहीं, यहाँ मधेपुरा, सिंहेश्वर तथा आसपास के इलाकों के लिए होम कलेक्शन की भी सुविधा मौजूद होगी जिसका लाभ संपर्क नंबर 8298787788/ 8797121811 पर कॉल करके उठाया जा सकता है.
जाहिर है, जहाँ अब पूरी इलाज की प्रक्रिया ही जाँच पर आधारित हो गई हो वहाँ देश स्तर पर विश्वसनीयता बनाने वाले लैब का सेंटर यहाँ खुलना बीमारों सहित आम लोगों के लिए एक राहत की खबर है.
मधेपुरा में खुला देशस्तर पर नामी डॉ. लाल पैथलैब का कलेक्शन रैंकिंग विश्वसनीयता दलाल सेंटर, होम कलेक्शन की भी सुविधा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 19, 2020 Rating: 5
भारत के पासपोर्ट पर 58 देशों में मिलता है वीजा ऑन अराइवल, जानें रैंकिंग में कौन है टॉप पर
Passport Ranking News: अपने देश से बाहर की दुनिया देखने के लिए पासपोर्ट (Passport) होना बहुत जरूरी है. किसी भी देश का पासपोर्ट उसकी दुनिया में विश्वसनीयता को भी दर्शाने का काम करता है. हर देश के पासपोर्ट की अपनी एक ताकत होती है कि उसके आधार पर कितने देशों में आपको एंट्री मिल सकती है.
पासपोर्ट की ताकत की भी हर साल रैकिंग होती है. इस रैंकिंग (Passport Ranking) के आधार पर पता चलता है कि किस देश का पासपोर्ट कितना शक्तिशाली है. अगर इस साल के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट की बात करें तो वह है जापान का पासपोर्ट.
साल 2021 के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट (World most powerful passports) की रैंक जारी कर दी गई है.
हेनले और पार्टनर्स (Henley and Partners) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट जापान का है. अमेरिका की गिनती भले ही दुनिया के सबसे ताकतवर देश के तौर पर होती हो, मगर उसका पासपोर्ट इस लिस्ट में 7वें नंबर है.
इस रैंकिंग में दूसरे नंबर पर सिंगापुर. तीसरी रैंक पर जर्मनी और साउथ कोरिया है. चौथी रैंक में चार देशों ने जगह पाई है और उनमें हैं फिनलैंड, इटली, स्पेन और लक्जेम्बर्ग (Luxembourg).
5वें स्थान पर ऑस्ट्रिया और डेनमार्क हैं. छठे नंबर पर 5 देश हैं. इनमें फ्रांस, नीदरलैंड्स स्वीडन और पुर्तगाल शामिल हैं.
इसके अलावा अमेरिका इस लिस्ट में सातवें नंबर पर है. वहीं, भारत की बात करें तो यह 85वें नंबर पर है. इसके अलावा पाकिस्तान सूची में नीचे से चौथे नंबर पर है और चीन की 70वीं रैंक है.
सातवीं रैंकिंग में 6 देशों के पासपोर्ट को शामिल किया गया है. इनमें न्यूजीलैंड, बेल्जियम, नॉर्वे, स्वीट्जरलैंड, ब्रिटेन और फिर अमेरिका है.
क्या मतलब है पासपोर्ट रैंकिंग का (Passport Ranking)
दुनिया के कई ऐसे देश हैं जिन्होंने कुछ देशों के पासपोर्टधारकों को अपने यहां एंट्री नहीं दी हुई है. जिस पासपोर्ट को सबसे ज्यादा देशों ने अपने यहां स्वीकृति दी हुई है, उसी आधार पर पासपोर्ट की रैंक तैयार की जाती है. जैसे जापान के पासपोर्टधारकों को 191 देशों में ऑन अराइवल की सुविधा दी जाती है. पासपोर्ट की रैंकिग से पता चलता है कि उस देश के कितने नागरिक बिना वीजा के घूम सकते हैं.
वीजा ऑन अराइवल (visa on arrival)
अगर आपके पास जापान का पासपोर्ट है तो आपको दुनिया के 191 देशों में जाने के लिए रैंकिंग विश्वसनीयता दलाल अपनी यात्रा से पहले वीजा अप्लाई करने की जरूरत नहीं है. आप टिकट लेकर उस देश के एयरपोर्ट पर पहुंचें और आपको एयरपोर्ट पर ही हाथोंहाथ पासपोर्ट मिल जाएगा.
भारत के पासपोर्ट पर 58 देशों में वीजा ऑन अराइवल
हेनले और पार्टनर्स (Henley and Partners) की रैंकिंग में भारत के पासपोर्ट को 85वां स्थान मिला है. भारत के नागरिकों को करीब 58 देशों में ऑन अराइवल की सुविधा दी जाती है. भारत के साथ तजाकिस्तान को भी 85वीं रैंकिंग मिली है.
सबसे नीचे अफगानिस्तान (Afghanistan Passport Rank)
पासपोर्ट की रैंकिंग में सबसे नीचे 110वां स्थान मिला है अफगानिस्तान को. अफगानिस्तान के नागरिकों को महज 26 देशों में वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलती है. पाकिस्तान (Pakistan Passport Rank) का नंबर नीचे से चौथा है. पाकिस्तान के पासपोर्ट को 107वीं रैंक मिली है. पाकिस्तानी नागरिकों को दुनिया के 32 देशों में वीजा ऑन अराइवल की सुविधा मिलती है.रैंकिंग विश्वसनीयता दलाल
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