8- युनिट सेल ग्रोथ- मसलन कंपनी की टोटल सेल हर साल 20 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही हो. जैसे कि अगर किसी ऑटोमोबाइल कंपनी ने अगर पिछले साल 100 कारें बेचीं तो इस साल 120 कारों का बिजनेस हो. इसके साथ ही रिटर्न ऑन इक्विटी और कैपिटल इंप्लोएड पर रिटर्न आदि भी ऐसे मुख्य पहलू हैं, जिनपर गौर करना जरूरी है.

बात अगर असेट क्लास की करें तो इसमें गोल्ड, डेट और इक्विटी तीनों आते हैं. इक्विटी असेट डेट के मुकाबले ज्यादा वोलाटाइल होता है. इतिहास पर गौर करें तो लॉन्ग टर्म में इक्विटी ने जितना रिटर्न दिया है उसके मुकाबले डेट सिक्यॉरिटीज ने बहुत कम रिटर्न दिया है. हालांकि, कई स्टडीज में यह दावा किया गया है कि जिन स्टॉक्स में वोलाटिलिटी कम होती है, वहां बेहतर रिटर्न मिलते हैं. लॉन्ग टर्म में कम वोलाटिलिटी वाले स्टॉक्स ज्यादा वोलाटिलिटी वाले स्टॉक्स के मुकाबले बेहतर रिटर्न देते हैं.

Nifty में पहली गिरावट को खरीदना आज सबसे बड़ा ट्रेड होगा, Bank Nifty 42300 के पास मिले तो रिस्क-रिवॉर्ड अच्छा: अनुज सिंघल

नुज सिंघल ने कहा कि पहली गिरावट को खरीदना आज सबसे बड़ा ट्रेड होगा। निफ्टी का 18344 का निचला स्तर स्टॉपलॉस रखें

आज कैसा नजर आ रहा है बाजार का सेटअप। वीकली एक्सपायरी के दिन कहां और कैसे हो सकती है कमाई इस पर बात करते हुए सीएनबीसी-आव़ाज के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल ने कहा कि घरेलू बाजार में गिरावट में खरीदारी की रणनीति काम कर रही है। उधर US में रैली थमने के पहले संकेत भी मिले है। Paytm में आज बड़ी ब्लॉक डील शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क होगी। इसके चलते इस स्टॉक में गिरावट संभव है। सभी ग्लोबल बाजारों में मार्केट ब्रेड्थ (market breadth)काफी कमजोर है। निफ्टी 18400 पर दिख रहा है लेकिन पोर्टफोलियो 17400 पर हैं। ग्लोबल सेटअप पर नजर डालें तो अमेजन में छंटनी से नैस्डेक का सेंटिमेंट बिगड़ा है। एलन मस्क ने कर्मचारियों को चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा गया है कि कड़ी मेहनत करो या नौकरी छोड़ो।

7 ऐसी वजहें जो बताती हैं कि क्यों शेयर मार्केट में पैसा लगाना है फायदे का सौदा

जनसंख्या बढ़ने से भी स्टॉक मार्केट को फायदा होता है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 12, 2022, 08:10 IST

हाइलाइट्स

शेयर मार्केट में लंबी अवधि के लिए निवेश करके अच्छी कमाई कर सकते हैं.
सेंसेक्स ने पिछले 33 साल में 15 फीसदी का एवरेज एनुअल रिटर्न दिया है.
स्टॉक मार्केट में निवेश महंगाई से मुकाबले में भी आपकी मदद करता है.

नई दिल्ली. शेयर मार्केट कमाई के बेहतरीन तरीकों में से एक है. अगर आप रिस्क लेने की हिम्मत और बाजार की समझ रखते हैं तो आप यहां उम्मीद से भी अधिक पैसा बना सकते हैं. लोगों का मानना है कि स्टॉक्स किसी अन्य एसेट के मुकाबले लंबी अवधि में अधिक रिटर्न देते हैं. अगर कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो ये बात काफी हद तक सही भी साबित होती है. इसलिए कम समय में ज्यादा रिटर्न के लिए जानकार शेयर मार्केट में पैसे लगाने की सलाह देते हैं.

छोटी अवधि में बाजार से पैसा कमाने के लिए जबरदस्त समझ और स्किल की जरूरत होती है. वहीं, अगर लंबे समय में शेयरों से पैसा कमाना चाहते हैं तो बाजार की बेसिक शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क समझ भी आपके लिए यह काम कर सकती है. आपको बस किसी मजबूत शेयर में पैसा लगाना है और बहुत अधिक संभावना है कि 5 या 10 साल में आप अपने निवेश में जबरदस्त उछाल देखेंगे. आज हम इस लेख में इस बारे में बात करेंगे कि आखिर क्यों शेयर बाजार में निवेश करना फायदे का सौदा है. हम आपको शेयर बाजार में निवेश करने की 7 वजहें बताएंगे.

Share Market: जानें कैसे काम करता है शेयर मार्केट? रातों रात कर देता है मालामाल

Share Market

Share Market Update : स्टॉक मार्केट को लेकर आई एक फिल्म स्कैम 1992 में एक डायलॉग है कि. शेयर मार्केट पैसों का इतना गहरा कुआं है, जिससे पूरी दुनिया की प्यास बुझ सकती है. यही वजह है कि भारत समेत दुनिया के लाखों-करोड़ों लोग शेयर मार्केट में अपना पैसा लगाते हैं. जिसमें कई प्रोफिट कमा ले जाते हैं तो कइयों को नुकसान उठाना पड़ता है. शेयर मार्केट पर पैनी नजर रखने वालों कि मानें तो अधिकांश लोग बिना जानकारी के ही शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने उतर जाते हैं, जिसका खामियाजा उनको अपने पैसे डुबोकर चुकाना पड़ता है. ऐसे में बेहतर है कि स्टॉक मार्केट के सागर में उतरने से पहले हमें तैराकी की अच्छी समझ हो. इसलिए आज हम आपके लिए कुछ ऐसी बातें लेकर आए हैं, जिससे शेयर मार्केट से जुड़ी बारीकियां सीखने में आपको मदद मिलेगी.

मार्केट रिस्क क्या होता है, निवेश में कितने तरह के होते हैं जोखिम? यहां मिलेगी पूरी जानकारी

  • Vijay Parmar
  • Publish Date - September 30, 2021 / 11:07 AM IST

मार्केट रिस्क क्या होता है, निवेश में कितने तरह के होते हैं जोखिम? यहां मिलेगी पूरी जानकारी

Pixabay - निवेशक को यह पता होना चाहिए कि 'मार्केट' में किसी भी तरह की सिक्यॉरिटी के साथ हमेशा एक निश्चित जोखिम मौजूद होता है.

Market Risk in Mutual Fund: आखिर क्यों बार-बार ये कहा जाता है और हमारे सुनने में आता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिम के अधीन हैं? ये बाजार जोखिम (Market Risk) क्या हैं? एक जानकार और स्मार्ट निवेशक अपने निवेश से पहले सारी इंफॉर्मेशन कलेक्ट करता है और अपनी सिक्योरिटी की कीमत निर्धारित करने के लिए सभी प्रकार का होमवर्क करता है, फिर भी याद रखें कि अंततः तो मार्केट ही कीमत तय करता शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क है. हरेक निवेशक को ये पता होना चाहिए कि ‘मार्केट’ में किसी भी तरह की सिक्योरिटी के साथ हमेशा एक निश्चित जोखिम मौजूद होता है. आपको ये भी पता होना चाहिए कि म्यूचुअल फंड इस जोखिम को यथासंभव कम करने के लिए ही डिजाइन किए गए हैं.

क्या है मार्केट रिस्क

म्यूचुअल फंड द्वारा विभिन्न सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता हैं और सिक्योरिटीज की प्रकृति फंड के उद्देश्य पर निर्भर करती है.

उदाहरण के लिए, एक इक्विटी या ग्रोथ फंड द्वारा विभिन्न कंपनी के शेयरों में निवेश किया जाता हैं, वहीं लिक्विड फंड द्वारा सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपॉडिट (शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क CoD) और कमर्शियल पेपर (CP) में निवेश किया जाता है.

हालांकि, इन सभी सिक्योरिटीज का कारोबार मार्केट में किया जाता है. जैसे कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं, जो कैपिटल मार्केट का हिस्सा है.

इसी तरह, सरकारी प्रतिभूतियों जैसे ऋण उपकरणों में स्टॉक एक्सचेंज में एक मंच के माध्यम से या एनडीएस नामक विशेष प्रणालियों के माध्यम से कारोबार किया जा सकता है.

ये प्रतिभूतियों को खरीदने और बेचने के लिए बाजारों के रूप में काम करते हैं और खरीदार और विक्रेता में काफी विविधता होती है. यानी, खरीदने और बेचने की पूरी प्रक्रिया, और मूल्य निर्धारण ‘मार्केट’ द्वारा किया जाता है.शेयर मार्किट क्या और इसके रिस्क

मार्केट की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल

किसी भी सिक्योरिटी की कीमत ‘मार्केट फॉर्स’ पर निर्भर होती है और बाजार किसी भी समाचार या गतिविधि के आधार पर अपनी दिशा तय करता है, इसलिए मार्केट की दिशा का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है, शॉर्ट-टर्म के लिए किसी शेयर या सिक्यॉरिटी की कीमत की भविष्यवाणी करना असंभव है. मार्केट कि दिशा को प्रभावित करने में बहुत सारे कारक और खिलाड़ी हैं.

कंसंट्रेशन रिस्कः किसी एक सेक्टर या एक स्टॉक या एक एसेट में पूरा पैसा लगाने से ये रिस्क बढ़ जाता है.

उपायः कंसंट्रेशन रिस्क से दूर रहने के लिए आपको डाइवर्सिफिकेशन का हथियार आजमाना चाहिए.

इंटरेस्ट रेट और इंफ्लेशन रिस्कः साइलेंट किलर कहा जाने वाला ये रिस्क आपके निवेश के मूल्य पर प्रभाव डालता है. आपके रिटर्न के मुकाबले इंफ्लेशन की दर ज्यादा हो, तो आपको नेगेटिव रिटर्न मिलता हैं और नुकसान होता है.

क्या ज्यादा रिस्क लेने से ज्यादा रिटर्न मिलता है? निवेश से पहले इस कहावत की सच्चाई को समझें

बात जब फाइनेंसिंग (Personal financing) की हो तो एकबात बार-बार दोहराई जाती है को हाई रिस्क का मतलब ज्यादा रिटर्न (High risk, more return) होता है. ये बात फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स भी कहते हैं. क्या इस कहावत में दम है, उसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं. बात अगर इक्विटी में निवेश की करें तो जहां वोलाटिलिटी (Volatility in stocks) ज्यादा होगी, रिटर्न ज्यादा मिलने की संभावना होती है.

बात जब फाइनेंसिंग (Personal financing) की हो तो एकबात बार-बार दोहराई जाती है को हाई रिस्क का मतलब ज्यादा रिटर्न (High risk, more return) होता है. ये बात फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स भी कहते हैं. क्या इस कहावत में दम है, उसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं. बात अगर इक्विटी में निवेश की करें तो जहां वोलाटिलिटी (Volatility in stocks) ज्यादा होगी, रिटर्न ज्यादा मिलने की संभावना होती है.

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