जिले में कई किसानों ने अंधेरे कमरे में जो मशरूम उगाई है उसने उनके जीवन में मुनाफे का उजाला कर दिया है। मशरूम की खेती से फायदे की बात जैसे ही गांवों के दूसरे किसानों को पता चली वैसे ही अन्य किसानों ने भी कम लागत में बिना जोखिम वाली मुनाफेदार मशरूम की खेती को अपनाना शुरू कर दिया है। ये सच्चाई राजनगर क्षेत्र के ग्राम सेवड़ी में देखने को मिल रही है। यहां एक नहीं बल्कि कई किसान अब पारंपरिक खेती की बजाय अपने घर के अंधेरे कमरों में मशरूम की पैदावार करके मुनाफा विकल्पों की पैदावार कमाने का नया रास्ता खोज चुके हैं।

Sagar Crime News: सराफा कारोबारी की दुकान में चोरों ने लगाई सेंध, मोहल्ले वालों ने शोर मचाया तो भागे

खेती की प्रक्रिया के अनुसार निम्नलिखित विकल्पों को अनुक्रम में व्यवस्थित कीजिए।
1. भूमि को तैयार करना
2. खाद डालना
3. बीज बोना
4. कटाई
5. सिंचाई

SSC CPO Tentative Answer Key for the SSC CPO Exam held from 9th to 11th November 2022 has been released. Candidates can raise objections against the answer key from 16th to 20th November 2022 against a fee of INR. 100 per question. SSC CPO Admit Card Link for CR, NER, MPR Region & Application Status for CR, WR, NR, NER, ER, MPR, KKR, SR Regions active! The Staff Selection Commission had released the exam date for Paper I of the SSC CPO 2022. As per the notice, Paper I of the SSC CPO is scheduled to be held from 9th November to 11th November 2022. The candidates can check out the SSC CPO Exam Analysis to check the difficulty level and good attempts for each shift exam.

अंधेरे में पैदा हुई मशरूम ने किया किसानों के जीवन में उजाला, खोजा कमाई का नया साधन

अंधेरे में पैदा हुई मशरूम ने किया किसानों के जीवन में उजाला, खोजा कमाई का नया साधन

छतरपुर। पारंपरिक खेती में लगातार घाटा झेलकर परेशान किसान अब खेती के अन्य विकल्पों को भी आजमाने लगे हैं। इन्हीं विकल्पों में से एक मशरूम की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जिसमें लागत व जोखिम कम व मुनाफा अधिक होने से इसे काफी पसंद किया जाने लगा है। राजनगर विकासखंड के ग्राम सेवड़ी में तो कई किसान मशरूम उत्पादन से जुड़कर पारंपरिक खेती के जोखिम से किनारा कर चुके हैं।

गेहूं, चना, सरसों, अरहर, उड़द, मूंग जैसी फसलों की पारंपरिक खेती में लागत ज्यादा और मुनाफा कम होने सहित कभी सूखा, कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोपों से होने वाले नुकसानों से लगातार घाटा उठाकर थक चुके किसान अब खेती के अन्य लाभकारी रास्ते तलाशने लगे हैं। इसी खोज में किसानों का रुझान फूलों, विकल्पों की पैदावार मशरूम, पिपरमिंट व औषधीय पौधों की खेती की ओर तेजी से बढ़ा है।

विकल्पों की पैदावार

पश्चिमी राजस्थान में मशरूम की खेती एक बेहतर विकल्प!

👉🏻पश्चिमी राजस्थान मुख्य रूप से शुष्क क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जिसमें किसान मुख्यत मानसून के दौरान होने वाली फसल पर निर्भर रहते है पर मानसून के समय कीड़े - बीमारियों, अनावृष्टि, अतिवृष्टि आदि कारणो से किसानों की पैदावार कम होती हैं. इन सब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये मशरूम उत्पादन एक विकल्प है. जिसमें किसान और अन्य ग्रामिण लोगों जिनके पास जमीन कम होती है ! 👉🏻वे सभी कम लागत व अन्य फसल की तुलना में कम समय में विकल्पों की पैदावार विकल्पों की पैदावार बिना किसी जोखिम के अधीक उपज प्राप्त कर सकते है. पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है उस हिसाब से अभी इसका उत्पादन नहीं हो रहा है, ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं ! 👉🏻पिछले कई वर्षों से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र पर मशरूम विशेषज्ञ दावारा दिया जा रहा है वे बताते है की "तीन तरह के मशरूम का उत्पादन होता है, सितम्बर महीने से 15 नवंबर तक ढ़िगरी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, इसके बाद आप बटन मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं, फरवरी-मार्च तक ये फसल चलती है, इसके बाद मिल्की मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं जो जून जुलाई तक चलता है. इस तरह आप साल भर मशरूम का उत्पादन विकल्पों की पैदावार कर सकते हैं.तीन तरह के मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं ! - ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम) - बटन मशरूम - दूधिया मशरूम (मिल्की) 👉🏻ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है. इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं. दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई एवं चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी माँग विकल्पों की पैदावार है. इसलिये विगत तीन वर्षों में इसके उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है. राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ओईस्टर मशरूम की कृषि लोकप्रिय हो रही है ! 👉🏻बटन मशरूम निम्न तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है, लेकिन अब ग्रीन हाउस तकनीक द्वारा यह हर जगह उगाया जा सकता है. सरकार द्वारा बटन मशरूम की खेती के प्रचार-प्रसार को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है. बटन मशरूम की बीजाई के लियबीज या स्पान अच्छी भरोसेमंद दुकान से ही लेना चाहिए. बीज एक माह से अधिक पुराना भी नही होना चाहिए बीज की मात्रा कम्पोस्ट खाद के वजन के 2-2.5 प्रतिशत के बराबर लें. बीज को पेटी में भरी कम्पोस्ट पर बिखेर दें तथा उस पर 2 से तीन सेमी मोटी कम्पोस्ट की एक परत और चढ़ा दें. अथवा पहले पेटी में कम्पोस्ट की तीन विकल्पों की पैदावार इंच मोटी परत लगाऐं और उसपर बीज की आधी मात्रा बिखेर दे. उस विकल्पों की पैदावार पर फिर से तीन इंच मोटी कम्पोस्ट की परत बिछा दें और बाकी बचे बीज उस पर बिखेर दें. इस पर कम्पोस्ट की एक पतली परत और बिछा दें." बुवाई के बाद पेटी या थैलियों को वहां रख दें, इन पर पुराने अखबार बिछाकर पानी से भिगो दें. कमरे में पर्याप्त नमी बनाने के लिए कमरे के फर्श व दीवारों पर भी पानी छिड़कते रहें. इस समय कमरे का तापमान 22 से 26 डिग्री सेंन्टीग्रेड और नमी 80 से 85 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए. अगले 15 से 20 दिनों में खुम्बी का कवक जाल पूरी तरह से कम्पोस्ट में फैल जाएगा. इन दिनों खुम्बी को ताजा हवा नही चाहिए इसलिए कमरे को बंद ही रखें ! 👉🏻दूधिया मशरूम की खेती की तैयारी मे इस किस्म को भूसा, पुआल, गन्ने की खोई आदी पर आसानी से उगाया जा सकता है. आपको एक बात का ध्यान रखना होता है कि यह बरसात में भिगा हुआ न हो, वरना पैदावार प्रभावित हो सकती है. दूधिया मशरूम को उगाने के लिए गेहूं का भूसा या धान के पुआल को सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस्तेमाल से पहले भूसा या पुआल को उपचारित करना जरूरी है. भूसा या पुआल को काट कर आप जूट या कपड़े की छोटी थैलियों में भरकर गर्म पानी में कम से कम 12 से 16 घंटे तक घंटे तक डुबोकर रखते हैं ताकि भूसा या पुआळ पानी अच्छी तरह से सोंक ले, इसके बाद गर्म पानी में इसे डाल देते हैं भूसा डालने से पहले फर्श को धोकर या विकल्पों की पैदावार पॉलीथीन शीट बिछाकर 2 प्रतिशत फॉर्मलीन के घोल का छिड़काव किया जाता है आप रासायनिक तरीका भी अपना सकते हैं. ज्यादा मात्रा में भूसा को उपचारित करने पर गर्म पानी वाले विधि में खर्च ज्यादा आता है ! स्त्रोत:- Agrostar 👉🏻प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!

जैविक खाद बनाने का भरोसेमंद एवं सस्ता विकल्प है ‘प्रोम’ (PROM) Reading Time : 7 minutes -->

क्या आप जानते हैं फसल के उत्पादन में फॉस्फेट तत्व का प्रमुख योगदान होता है! रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग करने से खेती की लागत भी बढ़ती जा रही है, जमीन सख्त हो रही है, भूमि में पानी सोखने की क्षमता घटती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ भूमि तथा उपभोक्ताओं के स्वास्थ पर प्रतिकूल असर भी पड़ रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए नया उत्पाद विकसित किया गया है, जिसमें कार्बनिक खाद विकल्पों की पैदावार के साथ-साथ रॉक फॉस्फेट की मौजूदगी भी होती है। जिसे हम प्रोम के नाम से जानते हैं।

‘प्रोम’ को विस्तार पूर्वक समझते हैं

निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता सघन खेती के लिए सबसे उपयुक्त है?

quesImage56

University Grants Commission (Minimum Standards and Procedures for Award of Ph.D. Degree) Regulations, 2022 notified. As, per the new regulations, candidates with a 4 years Undergraduate degree with a minimum CGPA of 7.5 can enroll for PhD admissions. The notification for the 2023 cycle is expected to be out soon. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. By qualifying this exam, candidates will be deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.

रेटिंग: 4.49
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 373