भास्कर एक्सप्लेनर: फूट गया बिटकॉइन का बुलबुला! क्या क्रिप्टो में निवेश करने का यही सही समय है? जानिए कैसे काम करती है क्रिप्टो करेंसी
अमेरिका, यूके के बाद चीन ने क्रिप्टो करेंसी के खिलाफ कदम उठाना शुरू किया, तो बिटकॉइन का बुलबुला ही फूट गया। अप्रैल में 50 लाख रुपए तक पहुंचा बिटकॉइन पिछले दो दिन में 25 लाख के आसपास रह गया है। क्रिप्टो की अन्य करेंसी भी इस दौरान ढह गई। निवेशकों को दो महीने में 50% तक का नुकसान हुआ है।
भारत में क्रिप्टो करेंसी कानूनी तौर पर मान्य नहीं है। इसके बाद भी इसका लेन-देन हो रहा है। इस पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है। क्रिप्टो एक्सचेंज इसे एक एसेट क्लास के तौर पर मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। ताकि निवेशकों के लिए एक और साधन मिल सके। भारत में क्रिप्टो करेंसी का 1000-1500 करोड़ रुपए का डेली टर्नओवर है। भले ही स्टॉक एक्सचेंज के 2 लाख करोड़ रुपए के डेली वॉल्यूम के मुकाबले यह 1% से भी कम है, इसमें 1 करोड़ से अधिक भारतीय ट्रेड और इन्वेस्ट कर रहे हैं। इसके बाद भी ज्यादातर लोगों के लिए क्रिप्टो करेंसी के बारे में जानना और उसे समझना एक मुश्किल काम है।
हमने उनोकॉइन के सह-संस्थापक और सीईओ सात्विक विश्वनाथ से बात की, ताकि आपको क्रिप्टो कॉइन को लेकर हो रहे डेवलपमेंट्स के बारे में जानकारी दी जा सके…
आखिर यह क्रिप्टो करेंसी है क्या?
- यह आपके रुपए, डॉलर, येन या पाउंड जैसी ही करेंसी है। पर यह डिजिटल यानी वर्चुअल है। क्रिप्टोग्राफी के सिद्धांत पर काम करती ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से ही यह वर्चुअल करेंसी बनी है। इसी वजह से इसे क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।
- जब आप रुपए, डॉलर, येन या पाउंड की बात करते हैं तो उस पर उसे जारी करने वाले देश के क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला केंद्रीय बैंक का नियंत्रण होता है। यह करेंसी कितनी और कब छपेगी, वह यह देश की आर्थिक परिस्थिति को देखकर तय करते हैं। पर क्रिप्टोकरेंसी पर किसी का कंट्रोल नहीं है, यह पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है। कोई भी सरकार या कंपनी इस पर नियंत्रण नहीं कर सकती। इसी वजह से इसमें अस्थिरता भी है। यह डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम पर काम करती है, जिसे न तो कोई हैक कर सकता है और न ही किसी तरह की छेड़छाड़।
क्या यह निवेश के लिए सुरक्षित और पारदर्शी प्लेटफॉर्म है?
- हां। ब्लॉकचेन सबसे सुरक्षित और सबसे पारदर्शी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी है। लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन 2008 की आर्थिक मंदी के बाद तेजी से आगे बढ़ी। तब से अब तक एक सिक्के की कीमत में 90 लाख प्रतिशत की उछाल है।
- पर इसके साथ दिक्कत यह है कि यह बेहद अस्थिर है। अचानक ऊपर जाती है और धड़ाम से गिर भी जाती है। इस वजह से रिस्क बहुत है। 12 साल में इसने बहुत उतार-चढ़ाव देखा है। करीब 400 बार तो इसके खत्म होने की घोषणा तक हो गई होगी। इस समय भी ऐसा ही माहौल है। दुनियाभर में ज्यादातर सरकारें क्रिप्टो करेंसी को स्वीकार करने में हिचक रही हैं। इससे पहले दिसंबर 2020 में भी सभी क्रिप्टो करेंसी रसातल में पहुंच गई थी। अब एनालिस्ट कह रहे हैं कि बिटकॉइन फिर उठेगी।
दुनियाभर में क्रिप्टो करेंसी को किस तरह लिया जा रहा है?
- इसे लेकर देशों का रिस्पॉन्स एक-सा नहीं है। मसलन, भारत और चीन जैसे देश इसका विरोध करते हैं। भारत में तो रिजर्व बैंक ने इस पर बैन लगा रखा था। पर अमेरिका समेत कई देश इसके अनुकूल स्कीम बना रहे हैं। सेंट्रल अमेरिका के अल सल्वाडोर की कांग्रेस ने 8 जून 2021 को बिटकॉइन कानून पास किया और यह छोटा देश अब बिटकॉइन को लीगल टेंडर बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
- अब तक अल सल्वाडोर में अमेरिकी डॉलर से ही लेन-देन होते थे। पर अब वहां डिजिटल करेंसी में भी लेन-देन हो सकेंगे। उसकी देखा-देखी, कई दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी देश भी बिटकॉइन को लीगल स्टेटस देने पर विचार कर रहे हैं।
- दक्षिण कोरिया जैसे बड़े देश भी क्रिप्टो करेंसी और एक्सचेंज को रेगुलेट करने के लिए कानूनी स्ट्रक्चर बनाने पर काम कर रहे हैं। दूसरी ओर क्रिप्टो फ्रेंडली मियामी, यूएस ने हाल ही में क्रिप्टो एनक्लेव का आयोजन किया। पूरी दुनिया में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी को अपनाने के प्रयास हो रहे हैं। कुछ देशों ने बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टो करेंसी पर आधारित म्यूचुअल फंड भी लॉन्च किए हैं।
भारत में बिटकॉइन का लीगल स्टेटस क्या है?
- इस समय क्रिप्टो को रुपए या डॉलर जैसे लीगल मुद्रा का स्टेटस हासिल नहीं है। पर भारत में क्रिप्टो करेंसी को खरीदना और बेचना प्रतिबंधित नहीं है। रिजर्व बैंक ने 2018 में सर्कुलर जारी कर क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था। पर मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिजर्व बैंक यह साबित नहीं कर पाया क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला कि क्रिप्टो लेनदेन की वजह से आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसका दबाव बना और रिजर्व बैंक ने नया सर्कुलर जारी किया। बैंकों को ग्राहकों को क्रिप्टो लेनदेन की अनुमति देने को कहा।
- भारत सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 संसद में पेश करने वाली है। यह प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाएगा और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के तौर पर विकल्प देने का रास्ता खोलेगा। भारत में क्रिप्टो बिजनेस एनालिस्ट कहते हैं कि भले ही इस समय भारत में क्रिप्टो को लेकर विरोध हो रहा है, पर जल्द ही हालात बदलेंगे। भारत सरकार को भी देर-सवेर क्रिप्टो करेंसी टेक्नोलॉजी को स्वीकार करना होगा।
RBI का नया नोटिफिकेशन इस पर क्या कहता है?
- रिजर्व बैंक के नए सर्कुलर में बैंकों से कहा गया है कि डिजिटल करेंसी से जुड़े लेन-देन पर रोक न लगाएं। क्रिप्टो एनालिस्ट कहते हैं कि इंडस्ट्री को रेगुलेशन की जरूरत है और रिजर्व बैंक का सर्कुलर इस दिशा में अहम कदम है।
- रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन करने वालों के लिए अपने कस्टमर को जानिए (KYC), मनी लॉन्डरिंग रोकने (AML), आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले अकाउंट्स पर नजर रखने के प्रावधानों पर जोर दिया है। इसके साथ ही विदेश से आने वाले धन पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत निर्धारित प्रावधानों पर नजर रखी जा रही है।
- क्रिप्टो इन्वेस्टर कम्यूनिटी इन कदमों से उत्साहित है। उसे लग रहा है कि अल सल्वाडोर की तरह उचित रेगुलेशन भी सरकार ला सकती है।
भारत में क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्टमेंट कैसे कर सकते हैं?
- पहले यह समझना होगा कि बिटकॉइन सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी है। पर उसकी तरह और भी कई क्रिप्टो करेंसी हैं, जिनका लेनदेन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और एक्सचेंज पर किया जा सकता है।
- अगर आप क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने का सोच रहे हैं तो आपको क्रिप्टो वॉलेट खोलना पड़ेगा। यह वैसा ही है, जैसा आप स्टॉक ट्रेडिंग करने के लिए डीमैट अकाउंट खोलते हैं। उनोकॉइन, वजीरएक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर कोई भी क्रिप्टो वॉलेट खोल सकता है। इसके लिए KYC समेत अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। इसके बाद आपको क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने के लिए अपने बैंक से पैसा डिपॉजिट करना होगा। यह सरल और आसान प्रक्रिया है।
- भारत में कुछ प्लेटफॉर्म ऐसे हैं जो 100 रुपए से वॉलेट खोलने की अनुमति देते हैं। वहीं, कुछ क्रिप्टो वॉलेट फ्री ट्रेडिंग की अनुमति देते हैं, तो कुछ इसके लिए कम से कम 100 रुपए मेंटेनेंस चार्ज वसूल सकते हैं। यह क्रिप्टो एक्सचेंज पर निर्भर करता है।
- बिटकॉइन की हालिया गिरावट से पहले ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की रिसर्च रिपोर्ट ने कहा था कि इस क्रिप्टो करेंसी का टेक्निकल आउटलुक मजबूत है। 2021 में इसकी कीमत 4 लाख डॉलर तक पहुंच सकती है।
जनवरी से अब तक भारत की प्रमुख क्रिप्टो करेंसी ने किस तरह रिटर्न दिया?
Crypto News: क्या खत्म हो रहा है क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज? बंद हो रहा है एक और क्रिप्टो एक्सचेंज, जानिए वजह
Bitfront Shuts Down Operations: Bitfront ने कहा है कि इस कदम का हालिया इश्यूज से कोई लेना-देना नहीं है जिनमें कुछ क्रिप्टो एक्सचेंज पर कदाचार के आरोप क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला लगे हैं.
Bitfront ने कहा है कि इस कदम का हालिया इश्यूज से कोई लेना-देना नहीं है जिनमें कुछ क्रिप्टो एक्सचेंज पर कदाचार के आरोप क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला लगे हैं.
एक समय में दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज में शामिल रहा एफटीएक्स (FTX) इस समय जांच के दायरे में है. अथॉरिटीज एक्सचेंज के खिलाफ लगे आपराधिक कदाचार के आरोपों की जांच कर रहे हैं.
कंपनी ने इस महीने की शुरुआत में बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी लेडर ब्लॉकफाई (BlockFi) ने सोमवार को चैप्टर 11 बैंकरप्सी प्रोटेक्शन के लिए आवेदन किया है. कंपनी को एफटीएक्स के Collapse के दौरान एक्सपोजर की वजह से नुकसान उठाना पड़ा था. दूसरी ओर, FTX Collapse के बाद Bitcoin सहित सभी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी में गिरावट देखने को मिली थी.
Bitfront ने दी है ये जानकारी
बिटफ्रंट ने कहा है कि उसने 28 नवंबर को नए साइनअप और क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स की फैसिलिटी को सस्पेंड कर दिया है और 31 मार्च, 2023 से निकासी पर भी रोक लगा देगा. कंपनी ने कहा कि पांच दिसंबर से 11 दिसंबर के बीच के डिपॉजिट पर ब्याज का भुगतान 13 दिसंबर 2022 को किया जाएगा.
फूट गया क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला
आभासी मुद्रा बिटक्वाइन की निवेश की दुनिया में काफी चर्चा हो रही है। कुछ समय पहले से बिटक्वाइन की कीमत आसमान को छू रही थी लेकिन अचानक इसकी कीमत में 30 फीसदी से ज्यादा गिरावट आ गई। ऐसे में स्वयं निवेशक यह सवाल करने लगे हैं कि क्या बिटक्वाइन समेत अन्य क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला फूट गया है? 19 मई को बिटक्वाइन, इथेरियम,डॉजकाइन समेत लगभग सभी क्रिप्टो करेंसी में गिरावट देखी गई। इसके पीछे कई कारण हैं। क्रिप्टो करेंसी को आनलाइन बेचा-खरीदा जाता है। नोट सरकारें छापती हैं और मुद्रा का उठना-गिरना बना रहता है। डिजिटल मुद्रा की शुरूआत 2009 में की गई, जो किसी सरकार के अधीन नहीं है। बिटक्वाइन की खरीद-फरोख्त की कोई आधिकारिक व्यवस्था भी नहीं है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप से आपकी जेब में नहीं होती, यह पूरी तरह से आनलाइन होती है और बिना किसी नियमों के इसके जरिये व्यापार होता है। भारत में तो 2018 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था। आरबीआई ने डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया था। लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के खिलाफ फैसला सुनाते हुए सरकार को कोई निर्णय लेने से पहले इस मामले पर कानून बनाना चाहिए। पिछले महीने आरबीआई ने एक बार फिर कहा था कि वे भारत की खुद की क्रिप्टो करेंसी को लाने और उसके चलन को लेकर विकल्प तलाश रही है। सरकार ने साफ किया कि वे क्रिप्टो करेंसी को रखने वालों को इसे बेचने के लिए वक्त देगी। ऐसा कोई आंकड़ा हमारे पास नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं। यह निश्चित है कि भारतीयों ने भी डिजिटल करेंसी में निवेश किया हुआ है और महामारी के दौरान इसमें बढ़ौतरी हुई है।
जब बिटक्वाइन की शुरूआत हुई तो लोगों को इस बारे में ज्यादा समझ नहीं थी और इसका मूल्य कम था। परन्तु महामारी के दौरान पिछले वर्ष लाकडाउन हुआ तो सरकारों ने कई तरह के प्रोत्साहन दिए, तब यूरोप, अमेरिका, कोरिया, जापान आैर चीन में अनेक आनलाइन निवेशक बाजार में उतरे। क्योंकि उन्हें सरकार से आर्थिक मदद मिल रही थी, ऐसे में लोग उन पैसों से इसे खरीदने लग गए। क्रिप्टो मुद्रा पारदर्शी नहीं है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में निवेशकों के लिए निवेशक सुरक्षा निधि होती है। यदि निवेशक का पैसा डूब जाता है तो एक्सचेंज उसकी क्षतिपूर्ति करवाता है, सेबी इसका विनियमन करता है परन्तु डिजिटल मुद्रा का किसी एक्सचेंज के साथ कोई विनियमन नहीं है। ऐसे में यदि आपका पैसा डूब जाए तो किसी की कोई जवाबदेही नहीं है। इसका मूल्य गिरने से निवेशकों को काफी नुक्सान पहुंचा है। इसका मूल्य गिराने के कारणों में चीन द्वारा क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला अपने वित्तीय संस्थानों और पेमेंट कम्पनियों को क्रिप्टो करेंसी से संबंधित लेन-देन या अन्य किसी प्रकार की सेवा देने के लिए प्रतिबंधित करना भी रहा। यह खबर बाजारों में फैलते ही पैनिक सेलिंग शुरू हो गई। देखते ही देखते कुछ ही घंटों में क्रिप्टो करेंसी सिर के बल क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला पर गिर गई। इसकी कीमतों में गिरावट के लिए अकेला चीन ही जिम्मेदार नहीं। पिछले हफ्ते इलैक्ट्रिक कार बनाने वाली कम्पनी रेस्ला के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने यह घोषणा की थी कि पर्यावरणीय नुक्सान को देखते हुए अब अपनी कार की बिक्री के लिए बिटक्वाइन को टेस्ला को पेमेंट मोड के रूप में स्वीकार नहीं करेगी। हालांकि इससे एक हफ्ते पहले उन्होंने बिटक्वाइन का पेमेंट के रूप में इस्तेमाल किए जाने को लेकर स्वीकृति दी थी। इससे भी निवेशक भ्रम की स्थिति में आ गए। एलन मस्क पहले बिटक्वाइन की बड़ी तारीफ करते थे लेकिन अन्य क्रिप्टो करेंसीज आने के बाद उनका रुख बदल गया।
क्रिप्टो करेंसी के साथ एक समस्या यह है कि इसकी कीमत कैसे तय हो? सोना है, उसके आभूषण हैं और सिक्के हैं जबकि बिटक्वाइन मुद्रा तो कम्प्यूटर में लिखा एक कोड है। यदि आप इसे तोड़ते (बिटक्वाइन माइजिंग) है अत्याधिक बिजली की खपत होती है। लोगों ने इसे जल्दी अमीर बनने की योजना जैसा समझ लिया है, जहां बेहद कम समय में अत्याधिक लाभ मिल जाता है। जिन्होंने इसेे बहुत सस्ते में खरीद कर ट्रेडिंग की और काफी फायदा कमाया, वह तो ठीक रहे लेकिन जिन्होंने इसे होल्ड करके रखा, उन्हें काफी नुक्सान हुआ। कई देशों की सरकारें और राष्ट्रीय बैंक जनता को चेतावनी दे चुके हैं कि आभासी मुद्रा किसी सरकार के अधिनियम के तहत नहीं है। फिर भी लालचवश लोग इसमें जा रहे हैं। कुछ दिन पहले इंटरनेट कम्प्यूटर के नाम से एक नया क्वाइन ईजाद हुआ। एक ही दिन में यह 45 अरब डालर का हो गया। किसी को नहीं पता कि यह किसने ईजाद किया। भारत में आभासी मुद्रा के ट्रेडिंग की अनुमति नहीं। इस पर टैक्स कैसे लगाया जाए यह भी किसी को पता नहीं है। इस पर टैक्स रिटर्न में सरकार पूछ रही है कि यदि आपके पास क्रिप्टो करेंसी है तो आप इस बारे में बताइये। अभी भारत कोरोना की महामारी से लड़ रहा है, देर-सवेर सरकार को क्रिप्टो मुद्रा के लिए कानून लाना ही पड़ेगा। अगर भारत सरकार ऐसी खुद की आभासी मुद्रा लाता है तो देखना होगा कि क्या लोग इसे स्वीकार करेंगे या नहीं?
क्रिप्टो ने मचाई तबाही, 3200 निवेशकों के 2700 क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला करोड़ डूबे, जानिए क्यों मिला झटका
दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से भाग रही क्रिप्टो करेंसी का बुलबुला ऐसा फूटा कि 5100 निवेशकों की जेब खाली हो गई। सबसे ज्यादा 3200 निवेशकों को 2000 करोड़ से ज्यादा का झटका लगा है। बचे निवेशकों की जेब से 700 करोड़ रुपये निकल गए। क्रिप्टो का बाजार धराशायी होने की चपेट में सबसे ज्यादा नए ग्राहक आए हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान या बाद में पैसा लगाया था।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 665