लॉन्ग टर्म फंड्स से दूरी बनाएं
फंड मैनेजर्स ने लॉन्ग टर्म फंड में निवेश से चेताया है. मैनेजर्स के अनुसार लॉन्ग टर्म फंड्स में बदलाव होता रहता है, जिससे निवेशकों का पैसा डूबने की आशंका रहेगी. वैसे भी इंटरेस्ट रेट का बढ़ना लॉन्ग टर्म फंड्स के लिए हमेशा निगेटिव रहता है.
एसआईपी निवेश में बदलाव की कोई वजह नहीं
व्हाइटओक कैपिटल एएमसी के मुख्य कार्याधिकारी आशिष सोमैया ने कहा है कि एसआईपी के जरिये मजबूत खुदरा निवेश साल 2023 में बरकरार रह सकता है। लवीशा दराड़ को दिए साक्षात्कार में उन्होंने निवेशकों को एसआईपी या एसटीपी (एकमुश्त के बजाय छह महीने में फैला हुआ) से लेकर मिडकैप फंडों में पांच साल के नजरिये से निवेश की सलाह दी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...
एम्फी के आंकड़े बताते हैं कि इक्विटी इंडेक्स फंडों ने पिछले चार महीने में डेट इंडेक्स फंडों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। इसकी क्या वजह है?
बाजार का सेंटिमेंट इक्विटी इंडेक्स फंडों में निवेश लाता है, वहीं फिक्स्ड इनकम मार्केट में मौजूदा प्रतिफल डेट इंडेक्स फंडों की ओर निवेश खींचता है। डेट इंडेक्स फंडों में निवेश टार्गेट डेट फंडों से आता है क्योंकि निवेशक 7 से 8 फीसदी के बीच प्रतिफल हासिल करने की कोशिश करते हैं, जिसकी परिपक्वता अवधि 5 से 15 साल की होती है।
एसआईपी के जरिये प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) अक्टूबर में नई ऊंचाई को छू गई। क्या आपको लगता है कि इनमें खुदरा निवेश साल 2023 में भी बने रहेंगे? एमएफ उद्योग को लेकर आपका आउटलुक कैसा है?
एसआईपी और एसआईपी के जरिये म्युचुअल फंडों में निवेश देशव्यापी हो गया है और अब लंबी अवधि के लिए इक्विटी बाजारों में निवेश के लिए इस तरीके की व्यापक तौर पर सराहना की जाती है। एसआईपी निवेशकों को क्या जानना चाहिए? निवेश की राह में हमें बदलाव की कोई वजह नहीं दिखती। सेंटिमेंट में बदलाव को छोड़ दिया जाए तो हमें निवेश के इस तरजीही जरिये में किसी तरह का बदलाव नहीं दिखता।
व्हाइटओक कैपिटल की रिपोर्ट में कहा गया है कि एसआईपी के जरिए निवेश के लिए मिडकैप सेगमेंट निवेश का सबसे ज्यादा अनुकूल विकल्प रहा है। कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए क्या आप निवेशकों को मिडकैप से चिपके रहने की सलाह अभी भी देंगे?
हालिया कमजोर प्रदर्शन मिडकैप में निवेश प्रतिबद्धता में इजाफे की वजह दे रहा है। चूंकि इस महीने निफ्टी नई ऊंचाई पर पहुंच गया और बीएसई 500, निफ्टी मिडकैप 150 और निफ्टी स्मॉलकैप 250 अपनी-अपनी पिछली ऊंचाई के करीब हैं। ऐसे में हमारा अनुमान है कि निफ्टी में सीमित दायरे में तेजी खत्म हो जाएगी या व्यापक बाजार उसके करीब पहुंच जाएगा। चाहे जो भी स्थिति हो निवेशक एसआईपी या एसटीपी के जरिए मिडकैप फंडों में निवेश पांच साल के निवेश नजरिये से जारी रख सकता है।
बाजार में उतारचढ़ाव के दौरान निवेशक पैसिव फंडों को प्राथमिकता देते हैं। ऐसे फंडों की तलाश के दौरान निवेशकों को क्या देखना चाहिए?
मुझे नहीं लगता कि पैसिव फंड अनिवार्य रूप से बेहतर करते हैं या बाजार में उतारचढ़ाव के दौरान इनका प्रदर्शन सबसे खराब होता है। लेकिन ऐक्टिव फंड तब बेहतर करते हैं जब इंडेक्स नीचे आता है। ऐसे में यह मानने का कोई आधार नहीं है कि उतारचढ़ाव के दौरान पैसिव फंडों का प्रदर्शन बेहतर रहता है। चूंकि ज्यादातर लोग बेंचमार्क इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, ऐसे में वे उनकी चाल पर ज्यादा नजर रखते हैं क्योंकि उनके पोर्टफोलियो में इसका असर दिखता है।
भूराजनीतिक तनाव व कमजोर आर्थिक आंकड़ों के कारण जून 2022 में निफ्टी 15,200 पर था। जब बादल छंटने लगे तो बाजार नई ऊंचाई पर पहुंच गया। मौजूदा परिदृश्य में मैं अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड का चयन करूंगा, जो 6-7 फीसदी रिटर्न दे रहा है, जो कुछ महीने पहले 3-4 फीसदी था। लेकिन बाजार अगर जून 2022 के स्तर पर आता है तो मैं मिडकैप या स्मॉलकैप फंड या किसी ऐसे फंड में निवेश करूंगा, जो कम से कम 40-50 फीसदी रकम स्मॉलकैप व मिडकैप में आवंटित करते हैं।
जायडस लाइफसाइंसेज का शेयर बायबैक आज से खुला, जानें- निवेशकों को क्या करना चाहिए?
Zydus Lifesciences Buyback Offer: जायडस लाइफसाइंसेज का शेयर बायबैक आज से खुल गया है. ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि निवेशकों को आगे क्या करना चाहिए? Zydus Lifesciences के शेयरों में एक वर्ष की अवधि में 45% से अधिक की गिरावट आई है, जबकि फार्मा स्टॉक 2022 (YTD) में 27% से अधिक नीचे है.
Updated: June 23, 2022 2:54 PM IST
Zydus Lifesciences Buyback: जायडस लाइफसाइंसेज का 750 करोड़ रुपये का शेयर बायबैक ऑफर आज खुलेगा और बुधवार, 6 जुलाई, 2022 को समाप्त होगा. कंपनी ने 650 रुपये प्रति इक्विटी शेयर पर शेयर बायबैक करने की घोषणा की है. कंपनी के बोर्ड ने 1.15 करोड़ से अधिक शेयरों को बायबैक करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो कंपनी की कुल चुकता इक्विटी शेयर पूंजी के 1.13% तक की कुल राशि के लिए 750 करोड़ रुपये तक का प्रतिनिधित्व करता है.
Also Read:
शेयर बायबैक आनुपातिक आधार पर निविदा आधारित होगा. दवा फर्म, जिसे पहले कैडिला हेल्थकेयर के नाम से जाना जाता था, ने स्टॉक एक्सचेंजों पर बोलियों के निपटान की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2022 तय की है जो कि जल्दी भी हो सकती है.
कंपनी ने आगे बताया कि 31 मार्च, 2022 तक कंपनी के नवीनतम ऑडिटेड स्टैंडअलोन और समेकित वित्तीय विवरणों के अनुसार, बायबैक साइज कुल पेड-अप इक्विटी शेयर पूंजी और फ्री रिजर्व के कुल 6.85% और 4.36% का प्रतिनिधित्व करता है.
कंपनी ने 2 जून, 2022 को इक्विटी शेयरधारकों की पात्रता और नाम निर्धारित करने के उद्देश्य से रिकॉर्ड तिथि के रूप में तय किया, जो बायबैक में भाग लेने के लिए पात्र होंगे.
इसमें कहा गया है कि सभी इक्विटी शेयरधारक / इक्विटी शेयरों के लाभकारी मालिक, प्रमोटरों सहित, जो रिकॉर्ड तिथि पर शेयर रखते हैं, उन शेयरधारकों को जिन्हें उपयुक्त अधिकारियों द्वारा लागू कानूनों के तहत विशेष रूप से प्रतिबंधित किया जा सकता है. उनको छोड़कर बायबैक ऑफर में भाग लेने के लिए पात्र होंगे.
शेयर बायबैक, जिसे शेयर पुनर्खरीद के तौर पर भी जाना जाता है, अपने मौजूदा शेयरधारकों से अपने स्वयं के बकाया शेयरों को आमतौर पर प्रचलित बाजार मूल्य की तुलना में प्रीमियम रेट पर वापस खरीदने के लिए एक कॉर्पोरेट निवेशकों को क्या जानना चाहिए? कार्रवाई है. यह शेयरधारकों को पैसा लौटाने का एक वैकल्पिक कर-कुशल तरीका हो सकता है. शेयर बायबैक से प्रचलन में शेयरों की संख्या कम हो जाती है, जिससे शेयर मूल्य और प्रति शेयर आय (EPS) बढ़ सकती है.
Zydus Lifesciences के शेयरों में एक वर्ष की अवधि में 45% से अधिक की गिरावट आई है, जबकि फार्मा स्टॉक 2022 (YTD) में 27% से अधिक नीचे है, जबकि उक्त अवधि के दौरान बेंचमार्क सेंसेक्स में 12% की गिरावट आई है.
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें
RBI Repo Rate से म्यचुअल फंड पर क्या होगा असर, जानिए निवेशक निवेशकों को क्या जानना चाहिए? कहां लगाएं पैसा
RBI Repo Rate impacts Mutual Funds : आरबीआई के रेपो रेटे बढ़ाने के बाद किस म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए यह जानना बहुत जरूरी है.
Best Mutual Fund after RBI increased Repo Rate :म्युचुअल फंड के रिटर्न को बढ़ी हुई आरबीआई की बढ़ी हुई रेपो रेट प्रभावित करेगी.
भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने का असर म्यूचुअल फंड निवेशेकों पर पड़ने वाला है. खासकर डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों को लॉन्ग टर्म फंड्स में इनवेस्टमेंट के दौरान सावधानी बरतनी होगी. क्वांटम म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर पंकज पाठक कहते हैं कि निवेशकों को सावधानी के साथ एसेट एलोकेशन के हिसाब से अपने निवेश प्लान पर टिके रहना है.
Interest Rate Hike: स्मॉल सेविंग स्कीम के निवेशकों को दीवाली का तोहफा, सरकार ने बढ़ाई ब्याज दरें
इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशक क्या करें
फंड मैनेजर्स ने सलाह दी है कि यह म्यूचुअल फंड में निवेश के हिसाब से साहसी कदम उठाने का समय नहीं है. खासकर इक्विटी म्यूचुअल फंड के निवेशकों के लिए तेजी दिखाने का यह सही समय नहीं है. इस समय केवल अपने निवेश प्लान पर टिके रहने का समय है. फंड मैनेजर्स के अनुसार नए निवेशकों को हाइब्रिड स्कीम, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, लार्ज कैप फंड और फ्लेक्सी फंड के अपने प्लान पर टिके रहना चाहिए.
डेट म्यूचुअल फंड्स पर विशेषज्ञों की सलाह
फंड मैनेजर्स ने डेट म्यूचुअल फंड के निवेशकों को शॉर्ट टर्म स्कीम के साथ टिके रहने की सलाह दी है. फंड मैनेजर्स ने निवेश की सलाह देते हुए फंड स्कीम्स के सुझाव दिए हैं जैसे निवेशक लिक्विड फंड्स, मनी मार्केट फंड्स, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स, कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स, फ्लोटिंग रेट फंड्स, बैंकिंग और पीएसयू फंड्स में पैसा लगा सकते हैं.
Bank Holiday List : अक्टूबर में आने वाले हैं लॉन्ग वीकेंड, 21 दिन बंद रहेंगे बैंक, हॉलीडे लिस्ट देखिए
लॉन्ग टर्म फंड्स से दूरी बनाएं
फंड मैनेजर्स ने लॉन्ग टर्म फंड में निवेश से चेताया है. मैनेजर्स के अनुसार लॉन्ग टर्म फंड्स में बदलाव होता रहता है, जिससे निवेशकों का पैसा डूबने की आशंका रहेगी. वैसे भी इंटरेस्ट रेट का बढ़ना लॉन्ग टर्म फंड्स के लिए हमेशा निगेटिव रहता है.
क्या आपको बड़े निवेशकों का अनुसरण करना चाहिए?
आँख बंद करके बड़े इनवेस्टर्स का अनुसरण नहीं करने के कारण
यदि आप स्टॉक मार्केट के मूल के बारे में जानना चाहतें हैं, तो यहां क्लिक करें: शुरुआती के लिए ऑनलाइन स्टॉक मार्केट में प्रमाणन
1. बड़े निवेशक भी गलतियाँ करते हैं:
लोग सोचते हैं कि अत्यधिक सफल लोग अजेय हैं, वे गलतियाँ नहीं करते हैं। मगर आपको ये बता दें कि सभी निवेशक गलतियां करते हैं।
यहां तक कि महान वारेन बफेट भी गलतियां करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया हैं कि प्रमुख खुदरा विक्रेता टेस्को में उनका निवेश एक बहुत बड़ी गलती थी।
सिर्फ इसलिए कि एक बड़े निवेशक ने एक विशेष स्टॉक में निवेश किया है, इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह अच्छा प्रदर्शन ही करेगा।
2. अलग-अलग लोगों की अलग समय सीमा होती है:
एक बड़े निवेशक को आंख मूंदकर नक़ल करने की एक और समस्या यह भी है कि आप यह नहीं जानते कि वह 1 साल या 10 साल बाद कब बेचेगा या वह या वह काफी बड़े समय के लिए खरीद रहा है ।
कई खुदरा निवेशकों के पास अक्सर ऐसी समय सीमा से पहले बेचने के व्यक्तिगत कारण होते हैं जो बड़े निवेशकों की अवधि से कम होते हैं।
संक्षेप में, आपको उनके निवेश की समय सीमा पता नहीं होगी। इसलिए, यह खुदरा निवेशकों के जोखिम को बढ़ाता है।
3. नया निवेश – पोर्टफोलियो का एक छोटा सा हिस्सा:
जब ये बड़े निवेशक किसी कंपनी में एक प्रतिशत या उससे अधिक खरीदते हैं, तो एक संभावना यह भी हो सकती है कि निवेशित धन राशि उनके समस्त पोर्टफोलियो का 10% -15% तक का हिस्सा हो सकती है।
किसी भी चीज़ को बिना जाने नक़ल कर, खुदरा निवेशक अपने पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा उस विशेष स्टॉक में निवेश कर देता हैं।
यदि यह निवेश गलत हो जाता है, तो बड़े निवेशक, बेहतर जानकारी होने के कारण समय पर बाहर निकल जाएंगे। उनकी हिस्सेदारी वैसे भी उनके पोर्टफोलियो का एक छोटा सा हिस्सा होता है। लेकिन जो खुदरा निवेशक है उसे समान जानकारी नहीं होती है और अधिक निवेशित होने के कारण, वह अपने पैसे का एक बड़ा हिस्सा खो सकता है।
मार्केट एक्सपर्ट्स से शेयर मार्किट बेसिक सीखे
4. वे आपके ज्ञान के बिना प्रवेश कर सकते हैं और बाहर निकल सकते हैं:
यदि कोई बड़ा निवेशक अपने निवेश को प्रकट नहीं करना चाहता है, लेकिन फिर भी एक बड़ा हिस्सा खरीदता है; तो वह कई निवेश कंपनियों का उपयोग करके ऐसा कर सकता है।
यदि प्रत्येक कंपनी एक प्रतिशत से कम हिस्सेदारी खरीदती है, तो दूसरों को बड़े निवेशक का कंपनी में सही प्रतिशत का पता नहीं चलेगा।
स्टॉक में प्रवेश करने पर बड़े निवेशक काफी प्रचार करते हैं। । लेकिन जब वे बाहर निकलते हैं, तो वे आमतौर पर इसके बारे में बात भी नहीं करते हैं।
यह ट्रैक करना अच्छा है कि अन्य बड़े निवेशक क्या कर रहे हैं, लेकिन किसी का अनुसरण करते हुए स्टॉक की योग्यता और जोखिम को समझे बिना आँख बंद करके स्टॉक खरीदना अच्छा नहीं है।
क्लोनिंग रणनीति – दूसरा तरीका:
एक क्लोन बड़े निवेशकों के शेयर विचारों के आधार पर बनाए गए शेयरों का एक बस नया पोर्टफोलियो है।
शेयर बाजार के सभी लोग क्लोनिंग कर रहे हैं लेकिन इसे संघठित तरीके से करना अलग बात है।
क्लोनिंग रणनीति, मोहनीश पबराई द्वारा बनाया गया एक शब्द है।
वह अमेरिकी बाजार में वारेन बफेट जैसे नामी निवेशकों के पोर्टफोलियो का क्लोन बनाते थे और वार्षिक रूप से S&P 500 को सं 2000 से 10 फीसदी से पराजित निवेशकों को क्या जानना चाहिए? कर एक बहुत अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड कायम किया था।
आप यहां क्लिक करके हमारे क्लोनिंग पर बने वेबिनार को भी देख सकते हैं:
स्टॉक मार्केट की सफलता के लिए अपने तरीके का क्लोनिंग
क्लोनिंग पर विश्लेषण:
अमेरिका में कुछ प्रोफेसर थे जिन्होंने 1975 से 2005 तक के वॉरेन बफेट द्वारा खरीदे गए हर स्टॉक को देखा और उनका विश्लेषण किया।
यदि आपने सार्वजनिक रूप से ज्ञात होने के बाद उस स्टॉक को महीने के अंतिम दिन अधिक कीमत पर खरीदा जो बफेट ने खरीदा था, और बफ़ेट के बेचने के बाद सार्वजनिक रूप से ज्ञात हो जाने के बाद महीने के अंतिम दिन कम दाम पर भी बेचा है तो भी अगर आपने 30 साल तक हर शेयर को इसी तरह खरीदा और बेचा, निवेशकों को क्या जानना चाहिए? तो आप एक साल में सूचकांक को 11.5 फीसदी से हरा सकते हैं।
शेयर बाजार में करीब 5500 कंपनियां हैं। खुदरा निवेशक के लिए सभी कंपनियों या सभी उद्योगों का विश्लेषण करना संभव नहीं है।
इसलिए, क्लोनिंग को एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि बड़े निवेशक, म्यूचुअल फंड प्रबंधकों आदि के पास अच्छे शेयरों को चुनने के लिए अच्छा ज्ञान और अच्छे संसाधन हैं।
आप वॉच लिस्ट बनाने के लिए इस प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं और इसके बाद आप स्टॉकेज ऐप्प का उपयोग करके प्रमोटर, कंपनी और उद्योग का अध्ययन कर सकते हैं।
'निवेशकों को बाजार में उतार-चढ़ाव से घबराना नहीं चाहिए'
निवेशकों को बाजार-में उतार चढ़ाव से कभी घबराना नहीं चाहिए। अगर मुनाफा कमाना है, तो धैर्य रखकर दोनों ही परिस्थितयों में निवेशरत रहना चाहिए।
पिछले कुछ हफ्तों में कई स्मॉल और मिड कैप शेयरों ने अपने निचले स्तरों से वापसी की है। कुछ लार्ज कैप निवेशकों को क्या जानना चाहिए? शेयरों में भी पॉजिटिव मोमेंटम दिखा है। विदेशी संस्थागत निवेशक काफी पैसा लगा रहे हैं। ग्लोबल सेंटीमेंट पहले कमजोर था, जो अब संभलता दिख रहा है। चीन के प्रति अमेरिका का रुख नरम हुआ है। तमाम देशों में मॉनेटरी पॉलिसी में सख्ती के बजाय नरमी का रुझान दिख रहा है। इसी वजह से निवेश में बढ़ोतरी हो रही है। अभी निवेशकों को क्या जानना चाहिए? चुनाव की चर्चा है। निवेशक इसके नतीजे के इंतजार में हैं। माना जा रहा है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ बना रुझान पलट गया है।
आउटलुक कैसा दिख रहा है?
कोर फंडामेंटल्स या अर्निंग्स ग्रोथ से बात बनेगी। 2018-19 के पहले नौ महीनों में प्रॉफिटेबिलिटी में डबल डिजिट ग्रोथ रही है। साथ ही, कुछ सेक्टरों में नरमी भी दिखी है। ऑटोमोबाइल्स और एनबीएफसी के सामने कुछ चुनौतियां हैं। ये हालांकि अस्थायी हैं। चुनाव हो जाने पर फोकस फिर फंडामेंटल्स पर आएगा। मौजूदा उथल-पुथल को शेयरों में चुनिंदा तौर पर निवेश के मौके के रूप में देखा जाना चाहिए।
क्या मिड और स्मॉल कैप शेयरों में टर्नअराउंड सस्ते वैल्यूएशन के कारण आया है और यह फंडामेंटल्स पर आधारित नहीं है?
स्मॉल और मिड कैप कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ इस वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में दमदार रही है। फंडामेंटल्स में सुधार हुआ है। ऐसा नहीं है कि गिरावट से वैल्यूएशन आकर्षक हो जाने के कारण भाव चढ़े हैं। फंडामेंटल्स का भी योगदान रहा है। यह टर्नअराउंड तभी कायम रहेगा, जब कंपनियों का मुनाफा ठीकठाक बढ़ेगा।
क्या मिड और स्मॉल कैप्स में मौजूदा तेजी 2014 के चुनाव से पहले दिखी रैली की तरह है?
2014 से पहले ऊंची इंफ्लेशन और ज्यादा डेफिसिट के कारण परेशानी की स्थिति थी। अभी काफी बेहतर हालात हैं। मजबूत सरकार और रिफॉर्म्स के कारण इकनॉमिक ग्रोथ तेज होने की उम्मीद पर यह रैली आई। मोटे तौर पर ग्रोथ निराशाजनक रही है। ऐसा नीतियों के कारण नहीं, बल्कि बड़े रिफॉर्म्स के कारण हुआ है। जीएसटी जैसे रिफॉर्म्स से इकनॉमी को तालमेल बैठाने में समय लगता है। अब यहां से ग्रोथ की साफ राह दिखेगी।
क्या मिड और स्मॉल कैप्स में गिरावट के समय आपने इनमें निवेश रोकने पर विचार किया था?
वैल्यूएशन जब ऊंचे स्तरों पर थे, तो हमने डीएसपी स्मॉल कैप फंड में सब्सक्रिप्शंस रोक दिए थे। निवेशकों की गाढ़ी कमाई के प्रति हमारी फिड्यूसरी रिस्पॉन्सिबिलिटी है। इनमें से किसी भी सेगमेंट में अगर बड़ी गिरावट आए और अवसर दिखें तो हम बढ़-चढ़कर पैसा जुटा सकते हैं। एसआईपी सब्सक्रिप्शन के लिए हमने फंड खोल दिया है, लेकिन एकमुश्त निवेश के लिए यह अब भी बंद है। हमारा मानना है कि निवेश करने लायक शेयरों में ज्यादा गिरावट नहीं आई है। अगर निवेश लायक अच्छी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आए तो निवेशकों के लिए बढ़िया मौका बनेगा। हम अपने पोर्टफोलियो कंसॉलिडेट करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछड़ रहे शेयरों को हटा दिया गया है और दमदार शेयरों में एलोकेशन बढ़ाया गया है। मिड कैप फंड का आकार 65 शेयरों से घटकर 50 शेयरों पर आ गया है। इसी तरह स्मॉल कैप फंड में अब 88 के बजाय 75 शेयर हैं।
पिछले एक-दो साल में मिड कैप फंड्स में एसआईपी शुरू करने वाले कई लोगों के लिए नेगेटिव रिटर्न की स्थिति बन गई है। आप क्या सलाह दे रहे हैं?
इक्विटीज में निवेश का सफर ऐसा ही है। बाजार में तेजी होने पर निवेशक ज्यादा निवेश करते हैं और मार्केट डाउन होने पर पैसा निकालने लगते हैं। इक्विटी से लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिलता है। हमारे स्मॉल कैप फंड ने 2008-13 के बीच पांच वर्षों में रिटर्न जेनरेट नहीं किया था। निवेशकों को क्या जानना चाहिए? हालांकि सालभर के भीतर ही इसने भरपाई कर ली। अगर निवेशकों ने एक साल इंतजार किया होता तो उन्हें पिछले पांच वर्षों का इनाम मिल गया होता। मुश्किल दौर में निवेशक का मिजाज बदलना नहीं चाहिए।
अच्छे स्मॉल कैप शेयर तलाशते वक्त आप किन चीजों को प्राथमिकता देते हैं?
यह कैटेगरी ऐसी है कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। तो हमें यह ध्यान रखना होता है कि गलती कम से कम हो। इस सेगमेंट में चुनने जितनी ही अहम बात परे हटाने की है। हम भी मुश्किल में फंसे हैं, लेकिन सोच यही है कि ऐसा कम से कम हो। कुछ शेयरों में अपने निवेश पर हमें नुकसान हुआ, लेकिन अपने गहन विश्लेषण के जरिए हम कई अन्य से बचे भी रहे।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 467