लाभ और हानि विवरण क्या है, और इसका प्रारूप क्या है?
एक लाभ और हानि (पी एंड एल) विवरण एक वित्तीय विवरण है जो एक निर्दिष्ट अवधि के लिए कंपनी द्वारा किए गए राजस्व, लागत और व्यय का सारांश देता है, आमतौर पर एक तिमाही या वित्तीय वर्ष। राजस्व बढ़ाने, लागत कम करने या दोनों से लाभ उत्पन्न करने की एक संगठन की क्षमता इन अभिलेखों से प्राप्त की जा सकती है। वे आम तौर पर नकद या प्रोद्भवन आधार पर प्रस्तुत किए जाते हैं। पी एंड एल स्टेटमेंट तीन वित्तीय विवरणों में से एक है जो प्रत्येक सार्वजनिक कंपनी त्रैमासिक और वार्षिक जारी करती है, और बैलेंस शीट और कैश फ्लो स्टेटमेंट। एक व्यवसाय योजना का लाभ और हानि विवरण अक्सर सबसे लोकप्रिय होता है क्योंकि यह कंपनी द्वारा उत्पन्न लाभ या हानि की मात्रा को दर्शाता है। नकदी प्रवाह विवरण के रूप में, पी एंड एल या आय विवरण कुछ समय की अवधि में खातों में परिवर्तन दिखाता है। बैलेंस शीट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कंपनी के पास क्या है और एक विशिष्ट समय पर बकाया है। कॉपी ट्रेडिंग की लागत क्या है नकद बदलने से पहले एक कंपनी राजस्व और व्यय रिकॉर्ड कर सकती है।
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1 जनवरी से बंद हो जाएगा 2000 रुपये का नोट, 1000 रुपये के नए नोट की होगी वापसी, जानें क्या है माजरा
सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत सरकार इन 2000 रुपये के नोटों को भी बंद करने जा रही है और 1000 रुपये (1000 Rupees Note) के नोट नए रूप में वापस आ जाएंगे.
1 जनवरी से बंद हो जाएगा 2000 रुपये का नोट, 1000 रुपये के नए नोट की होगी वापसी, जानें क्या है माजरा (PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 8 नवंबर, 2016 की रात को देश संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की जानकारी दी थी. जिसके बाद भारत में 2000 रुपये (2000 Rupees Note) के नए नोट आए. अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत सरकार इन 2000 रुपये के नोटों को भी बंद करने जा रही है और 1000 रुपये (1000 Rupees Note) के नोट नए रूप में वापस आ जाएंगे. इस तरह की खबरों ने लोगों को काफी परेशान कर दिया है. लेकिन किसी भी तरह का कोई कदम उठाने से पहले इन खबरों का सच जानना भी बहुत जरूरी है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में क्या है
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में बताया जा रहा है कि 1 जनवरी, 2023 से 1000 रुपये का नया नोट आने वाला है और 2000 रुपये के नोट कॉपी ट्रेडिंग की लागत क्या है वापस लौट जाएंगे. वीडियो में बताया जा रहा है कि आपको सिर्फ 50 हजार रुपये ही बैंक में जमा करने की इजाजत होगी और ये इजाजत भी सिर्फ 10 दिनों के लिए ही होगी. इसके बाद 2 हजार के नोटों का कोई मोल नहीं होगा. इसलिए अपने पास 2000 रुपये के ज्यादा नोट न रखें.
क्या सच में 1 जनवरी, 2023 से बंद हो जाएंगे 2000 के नोट
1 जनवरी, 2023 से 2000 रुपये के नोट कॉपी ट्रेडिंग की लागत क्या है वापस होने और 1000 रुपये के नए नोट आने का दावा कर रहे इस वीडियो ने उन सभी लोगों की टेंशन बढ़ा दी है, जिनके पास ये मैसेज पहुंच रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए PIB Fact Check ने दावे की पड़ताल करते हुए दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में दावा किया जा रहा कि 1 जनवरी से 1 हजार का नया नोट आने वाले हैं और 2 हजार के नोट बैंकों में वापस लौट जाएंगे। #PIBFactCheck
▶️कृपया ऐसे भ्रामक मैसेज फॉरवर्ड ना करें। pic.twitter.com/rBdY2ZpmM4
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) December 16, 2022PIB Fact Check की पड़ताल में क्या मालूम चला
PIB Fact Check ने कॉपी ट्रेडिंग की लागत क्या है अपनी जांच-पड़ताल में पाया कि वीडियो में किया जा रहा दावा पूरी तरह से फर्जी है. केंद्र सरकार (Government of India) ने 2000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला नहीं लिया है. PIB Fact Check ने लोगों से अपील की है कि इस तरह के भ्रामक मैसेज को कॉपी ट्रेडिंग की लागत क्या है बिल्कुल भी फॉरवर्ड न करें.
1 जनवरी से बंद हो जाएगा 2000 रुपये का नोट, 1000 रुपये के नए नोट की होगी वापसी, जानें क्या है माजरा
सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत सरकार इन 2000 रुपये के नोटों को भी बंद करने जा रही है और 1000 रुपये (1000 Rupees Note) के नोट नए रूप में वापस आ जाएंगे.
1 जनवरी से बंद हो जाएगा 2000 रुपये का नोट, 1000 रुपये के नए नोट की होगी वापसी, जानें क्या है माजरा (PTI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 8 नवंबर, 2016 की रात को देश संबोधित करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की जानकारी दी थी. जिसके बाद भारत में 2000 रुपये (2000 Rupees Note) के नए नोट आए. अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत सरकार इन 2000 रुपये के नोटों को भी बंद करने जा रही है और 1000 रुपये (1000 Rupees Note) के नोट नए रूप में वापस आ जाएंगे. इस तरह की खबरों ने लोगों को काफी परेशान कर दिया है. लेकिन किसी भी तरह का कोई कदम उठाने से पहले इन खबरों का सच जानना भी बहुत जरूरी है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में क्या है
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में बताया जा रहा है कि 1 जनवरी, 2023 से 1000 रुपये का नया नोट आने वाला है और 2000 रुपये के नोट वापस लौट जाएंगे. वीडियो में बताया जा रहा है कि आपको सिर्फ 50 हजार रुपये ही बैंक में जमा करने की इजाजत होगी और ये इजाजत भी सिर्फ 10 दिनों के लिए ही होगी. इसके बाद 2 हजार के नोटों का कोई मोल नहीं होगा. इसलिए अपने पास 2000 रुपये के ज्यादा नोट न रखें.
क्या सच में 1 जनवरी, 2023 से बंद हो जाएंगे 2000 के नोट
1 जनवरी, 2023 से 2000 रुपये के नोट वापस होने और 1000 रुपये के नए नोट आने का दावा कर रहे इस वीडियो ने उन सभी लोगों की टेंशन बढ़ा दी है, जिनके पास ये मैसेज पहुंच रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए PIB Fact Check ने दावे की पड़ताल करते हुए दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में दावा किया जा रहा कि 1 जनवरी से 1 हजार का नया नोट आने वाले हैं और 2 हजार के नोट बैंकों में वापस लौट जाएंगे। #PIBFactCheck
▶️कृपया ऐसे भ्रामक मैसेज फॉरवर्ड ना करें। pic.twitter.com/rBdY2ZpmM4
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) December 16, 2022PIB Fact Check की पड़ताल में क्या मालूम चला
PIB Fact Check ने अपनी जांच-पड़ताल में पाया कि वीडियो में किया जा रहा दावा पूरी तरह से फर्जी है. केंद्र सरकार (Government of India) ने 2000 रुपये के नोट को बंद करने का फैसला नहीं लिया है. PIB Fact Check ने लोगों से अपील की है कि इस तरह के भ्रामक मैसेज को बिल्कुल भी फॉरवर्ड न करें.
BWRetailLeadership: कोरोना से कितना बदल गया रिटेल वर्ल्ड, यहां मिला जवाब
by बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो ।।
Published - Wednesday, 21 December, 2022
'रिटेल लीडरशिप समिट' दिल्ली में शुरू हो चुकी है. BW Businessworld द्वारा आयोजित इस समिट में रिटेल सेक्टर से जुड़े दिग्गज शिरकत कर रहे हैं. समिट की शुरुआत BW Business World के चेयरमैन एवं एडिटर कॉपी ट्रेडिंग की लागत क्या है इन चीफ डॉक्टर अनुराग बत्रा के Welcome Address के साथ हुई. इस दौरान, हुए एक पैनल डिस्कशन में कोरोना के बाद रिटेल सेक्टर में आए बदलावों पर चर्चा की गई.
इन्होंने की शिरकत
समिट में 'Shifts towards Physical retailing following the pandemic and core areas of focus for omnichannel retail' विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ, जिसमें SignatureGlobal India के MD रवि अग्रवाल, Meena Bazar के मालिक समीर मंगलानी, Libas के फाउंडर सिद्धांत केसवानी, Hindware Home Innovation के CEO राकेश कौल शामिल हुए. इस डिस्कशन की अध्यक्षता BW Businessworld के सीनियर एडिटर रूहेल अमीन ने की. रूहेल ने सबसे पहले पैनलिस्ट से पूछा कि कोरोना से पहले और बाद में रिटेल सेक्टर में किस तरह का बदलाव आया है?
बदल गई है कंज्यूमर की सोच
इस सवाल के जवाब में SignatureGlobal India के MD रवि अग्रवाल ने कहा कि कोरोना से पहले और बाद में जो सबसे बड़ा बदलाव आया है, वो कंज्यूमर की सोच है. पहले लोग सेविंग पर जोर देते थे, लेकिन अब वह अपनी लाइफ को पूरी तरह एन्जॉय करना चाहते हैं. जहां तक बात बिजनेस की है, तो उसके लिए भी काफी कुछ बदला है. सिग्नेचर ग्लोबल अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए फेमस है. हम रिटेल शॉप जैसे कमर्शियल प्रोजेक्ट पर भी काम करते हैं. अब बाजार कोरोना के प्रभाव से निकल रहा है.
फन, फूड और फैशन
उन्होंने आगे कहा, 'फन, फूड और फैशन के बिना लाइफ पूरी नहीं हो सकती. और इसके बाद आती है नीड यानी जरूरत. एक रिटेलर के पास समाधान होना चाहिए. कई रिटेलर दिवालिया हो रहे हैं, इसकी वजह है अधिग्रहण की उच्च लागत और बढ़ता रेंट. लेकिन हमारे पास इस समस्या का समाधान भी है. हम सभी सेंगमेंट में काम कर रहे हैं. कंज्यूमर हमेशा हमारे लिए पहली प्राथमिकता है'.
रिटेल डिक्शनरी में जुड़े नए शब्द
Libas के फाउंडर सिद्धांत केसवानी ने कहा कि बीते कुछ सालों में रिटेल डिक्शनरी में कई नए शब्द शामिल हुए हैं, जैसे फिजीटल, ओमनी चैनल आदि. यदि हम कोरोना काल के बाद की बात करें, तो रिटेल सेक्टर में बहुत कुछ बदल गया है. खासकर, लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है. कुछ साल पहले तक हम कह सकते थे कि ऑनलाइन कस्टमर, ऑफलाइन कस्टमर की तरह नहीं हैं, लेकिन अब सब बदल गया है. इसी वजह से रिलायंस और टाटा जैसी कंपनियां अब ईको सिस्टम बनाने पर जोर दे रही हैं. अब ग्राहकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन के आधार पर अलग नहीं किया जाता. ब्रैंड्स भविष्य में भी ईको-सिस्टम बनाने पर जोर देंगे.
उदाहरण देकर समझाई बात
सिद्धांत केसवानी ने एक उदाहरण के जरिए अपनी बात समझाते हुए कहा, 'मान लीजिए मैं किसी ग्रोसरी स्टोर जाता हूं और कोई नया ब्रैंड खरीदता हूं. अगले कुछ दिनों में जब मुझे फिर उसकी जरूरत पड़ती है, तो मैं किसी कारणवश स्टोर नहीं जा पाता. ऐसे में यदि ब्रैंड अलग-अलग ईको सिस्टम जैसे कि ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म, बिग बास्केट आदि पर उपलब्ध नहीं है, तो शायद मैं ब्रैंड बदल लूं. इस तरह, जिस नए ब्रैंड को मैंने चुना था, उसका एक कस्टमर कम हो जाएगा. कोरोना के दौर में ग्राहकों को घर बैठे-बैठे समय पर सामान की डिलीवरी की आदत हो गई थी, जो अभी भी जारी है. लिहाजा, कंपनियों को इसके अनुसार काम करना होगा. उन्हें एक ईको-सिस्टम विकसित करना होगा'.
डिजिटल की भूमिका महत्वपूर्ण
Hindware Home Innovation के सीईओ राकेश कौल ने कहा कि कोरोना की वजह से काफी कुछ बदला है. कोरोना ने कंपनियों को डिजिटल होने पर मजबूर किया है, लेकिन हमारे लिए यह कोई नई बात नहीं थी. हमने भविष्य को ध्यान में रखते हुए 2016 से ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया था. Hindware Home Innovation एक ट्रेडिशनल बाथरूम कंपनी है, जिसने डिजिटल फर्स्ट पर जोर दिया है. 'डिजिटल फर्स्ट' को जल्दी अपनाने का फायदा हमें कोरोना काल में भी मिला. दूसरे शब्दों में कहूं तो कोरोना में हम एडवांटेज में थे, क्योंकि हमने ऑनलाइन या डिजिटल मोड को पहले अपना लिया था. डिजिटल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यही टेकओवर करेगा.
टेक्नोलॉजी को इग्नोर नहीं कर सकते
उन्होंने आगे कहा कि फिजिकल में स्पेस आदि की समस्या होती है, जबकि डिजिटल में ऐसा कुछ नहीं है. हम अपने उत्पादों के बारे में छोटी से छोटी जानकारी डिजिटल मोड पर डाल सकते हैं, ताकि ग्राहक को अपना पसंदीदा उत्पाद चुनने में आसानी हो. आजकल फिजीटल स्पेस और ओमनी चैनल महत्वपूर्ण हैं. टेक्नोलॉजी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कंपनियों को फुटप्रिंट को मापना होगा और उसी अनुसार अपनी रणनीति तैयार करनी होगी. कोरोना के बाद मिली अच्छी ग्रोथ
समीर मंगलानी ने बताया कि कोरोना के बाद उनकी कंपनी Meena Bazar ने काफी अच्छी ग्रोथ हासिल की है. उन्होंने कहा, 'कोरोना महामारी के बाद हम विस्तार कर रहे हैं, हम हर महीने 3 स्टोर खोलने के लिए प्रतिबद्ध हैं. छोटे शहरों पर भी हम फोकस कर रहे हैं. स्थिति सामान्य होने के बाद अब लोग अपने स्थानीय बाजार और दुकानों पर जाकर खरीदारी करना चाहते हैं. कोरोना ने काफी कुछ बदला है, लेकिन हमारे लिए स्थिति पहले जैसी होती नजर आ रही है. बाजार में भीड़ बढ़ने का मतलब है दुकानदारों को फायदा मिलना.
अगले साल क्या हो रणनीति?
अगले साल यानी 2023 में कंपनियों और ब्रैंड को किस रणनीति पर काम करना चाहिए? इस पर SignatureGlobal India के MD रवि अग्रवाल ने कहा, 'पोस्ट पेंडमिक में नया ट्रेंड डेवलप हुआ है. ग्राहकों के सपने पूरे हैं. आने वाले साल में जो उनके लिए समाधान लेकर आएगा, वही विनर होगा, क्योंकि उनके पास फंड सीमित है'. Meena Bazar के मालिक समीर मंगलानी के मुताबिक, कंपनियों को पर्सनलाइजेशन पर जोर देना होगा. सिद्धांत केसवानी का मानना है कि कंपनियों को सुविधाजनक ईको सिस्टम विकसित करना चाहिए.
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