Bitcoin Price: 6 पैसे से 40 लाख रुपये, बिटकॉइन ने 12 साल में निवेशकों को किया मालामाल

बिटकॉइन की शुरुआत कैसे हुई? | History of bitcoin? A Short History Of Bitcoin.

आपने बिटकॉइन के बारे में सुना तो होगा , जो की एक क्रिप्टो करेंसी है। हालाँकि बिटकॉइन को देखा या छुआ नहीं जा सकता लेकिन फिर भी इसका क्रेज प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है। अमीर लोग अपनी सेविंग्स को बढ़ा रहे है जिस कारण बिटकॉइन की मूल्य में वृद्धि होती जा रही है।

सन २०१७ में बिटकॉइन उच्च कीर्तिमान (रिकॉर्ड) बनाने के बाद इसके ग्राफ में थोड़ी कमी आ गए थी। लेकिन अंतिम ३ बर्षो में इसने फिर से रेकॉर्ड कायम कर लिया है। इस क्रिप्टो करेंसी में विषेस लोग निवेश कर रहे है। आइये थोड़ा History of bitcoin? के बारे में जानते है|

बिटकॉइन का इतिहास | What is the history of bitcoin

बिटकॉइन के बारे में पहली बार सन 2008 को सातोशी नकामोटो satoshi nakamoto ने वाइट पेपर में प्रकाशित किया था। उस वाइट पेपर में बिटकॉइन काम कैसे करता है ? इसके बारे में जानकारी दी गई थी। लेकिन इसको बनाने वाले की स्पष्ट जानकारी किसी को मालूम नहीं चली बस एक नाम उठ कर आया सातोशी नकामोटो।

हालांकि बिटकॉइन के पीछे कोई इंसान है या कोई ग्रुप ? इसके बारे में कोई भी ठीक से नहीं जानता। बिटकॉइन मुद्रा ३ जनवरी 2001 को प्रकाशित किया गया था। शुरुआत के दिनों में इसका प्रचलन बहुत धीमा रहा, लेकिन 2015 के आते ही पूरी दुनिया भर में इसका प्रचलन होने लगा। जिससे की लोगो ने इसमें ज्यादा से ज्यादा ट्रेडिंग (निवेश) करना शुरु कर दिया। देखते ही देखते बिटकॉइन कई देशो में कानूनी रूप से जाना जाने लगा।

जिस कारण इसकी कीमत में बढोतरी हुई। वर्तमान में इसकी कीमत 50000 डॉलर के आस पास है। हाल ही में भारत में इसका प्रचलन बहुत बढ़ा है।सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसकी मंजूरी दे दी है| अब भारतीय सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने पर विचार कर रही है।

बिटकॉइन में ट्रेडिंग कैसे करे ? How to trade Bitcoin?

दुनिया भर में बिटकॉइन की कीमत एक समान है जिससे लोग इसमें ज्यादा से ज्यादा निवेश(trading) करने लगे है। बिटकॉइन की ट्रेडिंग डिजिटल वॉलेट के द्वारा की जाती है। और इसकी कीमत दुनिया भर की गतिबिधियो को देखते हुए बढ़ती अथवा घटती रहती है कोईभी देश बिटकॉइन की कीमत को तय नहीं कर सकता है इसे केवल डिजिटली कण्ट्रोल किया जा सकता है। बिटकॉइन में ट्रेडिंग किसी भी समय सकते है इसका कोई निर्धारित समय नहीं होता है। और याद रखें बिटकॉइन ट्रेडिंग में बहुत तेज़ी से उतार चढाव होते रहते है। इसलिए बहुत सावधानी से इसमें निवेश करें।

बिटकॉइन का लेनदेन

बिटकॉइन में निवेस करने के लिए “kraken” प्लेटफार्म का उपयोग किया है जो की बिटकॉइन के लेनदेन का माध्यम है। “Kraken” को साल २०११ में जारी किया गया था। बिटकॉइन को एक्सचेंज करने के लिए आपको केवल ३ पद्धति का पालन करना होगा। वो है –

  • “kraken” प्लेटफार्म में अपना एक खता बनाये।
  • आप ट्रेडिंग पद्धति का चयन करे।
  • फिर आपको ट्रेडिंग के लिए बिटकॉइन की कीमत का रिकॉर्ड खाता मिलेगा। इसको ठीक से पढ़ कर आपको सही समय पर बिटकॉइन को खरीदें या आर्डर दें।

निष्कर्ष

अंत में यह कहना ठीक होगा की ये क्रिप्टो करेंसी आपकी निवेश को बढ़ा सकती है और आपको बहुत बड़ी राशि में लाभ भी दिला सकती है। लेकिन इसमें खतरा भी बहुत है। जब भी आप निवेश करें सोच समझ कर करें।

क्या है Bitcoin? कैसे करते हैं इस वर्चुअल करेंसी में ट्रेडिंग, जानिए आपके काम का सबकुछ

Bitcoin की शुरुआत 2009 में हुई थी. शुरुआती कुछ सालों में बिटकॉइन में धीरे-धीरे बढ़ रही थी. लेकिन, 2015 के बाद से इसमें बड़ी तेजी देखने को मिली और यह दुनिया की नजरों में आ गई.

बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है. इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई. (Reuters)

दुनियाभर में क्रिप्टोकरंसी (CryptoCurrency) बिटकॉइन (Bitcoin) का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. बिटकॉइन में निवेश करने वाले अमीर लोग इस ऑनलाइन करंसी (बिटकॉइन की शुरुआत कैसे हुई Online Currency) के जरिए अपनी पूंजी को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं. यही वजह है कि इसके दाम भी नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. 3 साल बाद एक बार फिर बिटकॉाइन में बड़ी तेजी देखने को मिली है. साल 2017 में बिटकॉइन में अपना रिकॉर्ड हाई (Bitcoin record High) बनाया था. इसके बाद नीचे की तरफ फिसलती गई. लेकिन, अब 3 साल का नया हाई बना दिया है. दुनियाभर में इस करंसी में लोग पैसा लगा रहे हैं. लेकिन, भारत सरकार (India Government) का मानना है कि उसके पास वर्चुअल करंसी (Virtual currency) का कोई डेटा नहीं है और इसलिए इसकी ट्रेडिंग में खतरा हो सकता है.

कब हुई थी बिटकॉइन की शुरुआत? (History of Bitcoin)
बिटकॉइन की शुरुआत 2009 में हुई थी. शुरुआती कुछ सालों में बिटकॉइन में धीरे-धीरे बढ़ रही थी. लेकिन, 2015 के बाद से इसमें बड़ी तेजी देखने को मिली और यह दुनिया की नजरों में आ गई. कई देशों में इस वर्चुअल करंसी में ट्रेडिंग (Virtual Currency trading) को लीगल माना गया और बिटकॉइन की कीमत लगातार बढ़ती गई. मौजूदा वक्त में इसकी कीमत 18000 डॉलर के पार निकल चुकी है. यह एक तरह की डिजिटल करंसी (Digital Currency) है. इसकी शुरुआत सतोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) नाम के शख्स ने की थी. भारत में भी गुपचुप तरीके से बिटकॉइन ट्रेडिंग (Bitcoin me trading kaise karein) की जा रही है. हालांकि, सरकार ने अब तक इसे लेकर नीतियां नहीं बनाई हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट से इसकी मंजूरी मिल चुकी है.

कैसे होती है बिटकॉइन में ट्रेडिंग? (How to trade in bitcoin?)
बिटकॉइन ट्रेडिंग डिजिटल वॉलेट (Digital wallet) के जरिए होती है. बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है. इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई. दुनियाभर की गतिविधियों के हिसाब से बिटकॉइन की कीमत घटती बढ़ती रहती है. इसे कोई देश निर्धारित नहीं करता बल्कि डिजिटली कंट्रोल (Digitally controlled currency) होने वाली करंसी है. बिटकॉइन ट्रेडिंग का कोई निर्धारित समय नहीं होता है. इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव भी बहुत तेजी से होता है.

बिटकॉइन का भी है एक्सचेंज (Bitcoin cryptocurrency trading exchange)
Kraken के जरिए बिटकॉइन में ट्रेडिंग (Bitcoin trading) की जा सकती है. यह क्रिप्टोकरंसी का एक्सचेंज (Cryptocurrency exchange) है. जिसे 2011 में बनाया गया था. इसके लिए पहले अपना अकाउंट बनाना होता है. इसके बाद ईमेल के जरिए अकाउंट कन्फर्म करना होता है. अकाउंट वेरिफाइ (Account verification) होने के बाद आप ट्रेडिंग मेथड सिलेक्ट कर सकते हैं. ट्रेडिंग के लिए चार्ट (Bitcoin trading chart) मौजूद होता है, जिसमें बिटकॉइन की कीमत की हिस्ट्री होती है. आप समय पर बिटकॉइन का ऑर्डर (How to order bitcoin) देकर खरीद सकते हैं और बेच सकते हैं. बिटकॉइन की कीमतों में बदलाव बहुत ही अप्रत्याशित और तेज होता है. इन्वेस्टमेंट के हिसाब से लोगों को ये काफी लुभावना लगता है.

खरीद-फरोख्त की नहीं होती कोई जानकारी (Bitcoin investment details)
बिटकॉइन (Bitcoin) के लेनदेन का एक लेजर बनाया जाता है. दुनिया में लाखों व्यापारी भी बिटकॉइन से लेनदेन करते हैं. हालांकि, किसी भी केंद्रीय बैंक ने अभी इसको मान्यता नहीं दी है. अमेरिका की कई दिग्गज कंपनियां भी बिटकॉइन को स्वीकार करती हैं. इंटरनेट की दुनिया में इसकी खरीद-फरोख्त कराने वाले कई एक्सचेंज हैं. इंटरनेट की कई वेबसाइट और ऐप के माध्यम से इसकी खरीद-फरोख्त होती है. इसमें खरीद-फरोख्त करने वालों की जानकारी छुपी रहती है.

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क्या है बिटकॉइन का नुकसान? (Disadvantage of Bitcoin)
बिटकॉइन करेंसी से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अगर आपका कंप्यूटर हैक हो गया तो फिर यह वापस नहीं होगी यानी रिकवर नहीं होगी. इतना ही नहीं इसकी चोरी होने की आप पुलिस में या कहीं भी शिकायत दर्ज नहीं करा सकते हैं.

Bitcoin Price: 6 पैसे से 40 लाख रुपये, बिटकॉइन ने 12 साल में निवेशकों को किया मालामाल

दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) एक बार फिर सुर्खियों में है। शुक्रवार को इसकी कीमत 56 हजार डॉलर (करीब 40 लाख 62 हजार रुपये) के पार पहुंच गई। साथ ही इसका मार्केट कैप पहली बार एक ट्रिलियन डॉलर (एक लाख करोड़ डॉलर) के पार पहुंच गया। शुक्रवार को बिटकॉइन की कीमत 56399.99 डॉलर पर पहुंच गई। 2009 में जब बिटकॉइन लॉन्च हुई थी तो इसकी कीमत 0.060 रुपये थी। यानी करीब 12 साल में ही बिटकॉइन ने जीरो से 40 लाख रुपये का सफर तय कर लिया।

bitcoin price was 60 paise in 2009 now it crossed rs 40 lakh

Bitcoin Price: 6 पैसे से 40 लाख रुपये, बिटकॉइन ने 12 बिटकॉइन की शुरुआत कैसे हुई साल में निवेशकों को किया मालामाल

2013 निर्णायक साल

2013-

2013 बिटकॉइन के लिए निर्णायक रहा। उस साल दो बार इसकी कीमत में भारी उछाल आई। अप्रैल 2013 की शुरुआत में यह 220 डॉलर पर पहुंच गई। लेकिन उसी महीने के मध्य में यह फिर 70 डॉलर पर आ गई। अक्टूबर में यह 123.20 डॉलर पर ट्रेड कर रही थी। दिसंबर में यह 1156.10 डॉलर पर पहुंच गई। लेकिन 3 दिन बाद यह फिर 760 डॉलर पर आ गई। 2015 की शुरुआत में यह इसकी कीमत घटकर 315 डॉलर रह गई थी।

2017 में रेकॉर्ड तेजी

2017-

बिटकॉइन की कीमतों में पांचवीं उछाल 2017 में आई। उस साल की शुरुआत में यह 1000 डॉलर के आसपास थी। 25 मार्च को यह 975.70 डॉलर पर थी और 17 दिसंबर को 20089 डॉलर पर पहुंच गई। इसकी तेजी से यह पूरी दुनिया में सुर्खियों में आ गई। इसके बाद एक बार फिर इसमें गिरावट आई।

इस महीने 70 फीसदी उछाल

-70-

जून 2019 में यह 10 हजार डॉलर के पास थी लेकिन दिसंबर आते-आते 7112.73 डॉलर पर आ गई। इसके बाद महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों की चिंता के बीच बिटकॉइन में फिर तेजी आई। 23 नवंबर को यह 18353 डॉलर पर ट्रेड कर रही थी। दिसंबर में बिटकॉइन की कीमत 24000 डॉलर पहुंच गई थी। जनवरी 2021 में इसने 40 हजार डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया। इस हफ्ते इसमें 14 फीसदी और इस महीने अब तक 70 फीसदी की उछाल आई है।

टेस्ला का निवेश

दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी टेस्ला (Tesla) ने हाल में बिटकॉइन में 1.5 अरब बिटकॉइन की शुरुआत कैसे हुई डॉलर का निवेश किया है। मस्क ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा कि रखना कैश रखने से थोड़ा बेहतर है। लेकिन यह थोड़ा अंतर ही बिटकॉइन को बेहतर एसेट (better asset) बनाता है। उनकी कंपनी टेस्ला ने दुनिया की सबसे बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। मस्क ने ट्वीट किया, 'हालांकि जब फिएट करेंसी का रियल इंट्रेस्ट निगेटिव हो तो कोई मूर्ख आदमी ही दूसरे विकल्प नहीं देखेगा। बिटकॉइन भी लगभग (almost) फिएट मनी की तरह ही है। इसमें लगभग (almost) ही कीवर्ड है।'

Cryptocurrency History: सोने से ज्यादा 'सोणी' क्यों क्रिप्टोकरेंसी, कहां से आई और कैसे छाई, जानें सब कुछ

वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की।

कैसे अस्तित्व में आई क्रिप्टोकरेंसी?

बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन सबसे पहले एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से उसके क्वाइन बनने तक की कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।

क्रिप्टोकरेंसी आजकल काफी चर्चा में है, लेकिन यह सुर्खियों में उस वक्त ज्यादा आई थी, जब जुलाई 2010 के दौरान बिटक्वाइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में आई और उससे लेन-देन भी होने लगा। उस वक्त बिटकॉइन की कीमत 0.0008 डॉलर थी, जो वर्तमान में 58 हजार डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है। बिटक्वाइन भले ही आज के जमाने की काफी प्रचलित है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 1980 से भी पहले हो गई थी।

जानकारी के मुताबिक, 1980 के दौर में अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविट चौम ने 'ब्लाइंडिंग' नाम की एल्गोरिदम का अविष्कार किया था, जो सेंट्रल से मॉडर्न वेब-बेस्ड इनक्रिप्शन पर आधारित थी। यह एल्गोरिदम सिक्योर, पार्टियों के बीच अपरिवर्तनीय सूचना के आदान-प्रदान और भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक करेंसी ट्रांसफर के लिए आधार तैयार करने के मकसद से बनाई गई थी। हालांकि, इस पर कुछ काम नहीं हुआ।

ब्लाइंडिंग के चर्चा में आने के 15 साल बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर वेई दई ने बी-मनी बिटकॉइन की शुरुआत कैसे हुई नाम की वर्चुअल करेंसी को लेकर व्हाइट पेपर तैयार किया। बी-मनी में मॉडर्न क्रिप्टोकरेंसी के कई बेसिक कंपोनेंट्स थे। व्हाइट पेपर में बी-मनी के जटिल प्रोटेक्शन और डिसेंट्रलाइजेशन का जिक्र किया गया था। हालांकि, बी-मनी कभी एक्सचेंज के रूप में बाजार में नहीं आ पाई।

वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की। हालांकि, यह भी सच है कि साल 2000 के बाद जब बिटक्वाइन अस्तित्व में आया, उसके बाद ही सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में तेजी दर्ज की गई।

नोट: 'कहानी क्रिप्टो की' सीरीज में आज क्रिप्टोकरेंसी के जन्म की दास्तां बताई गई। कल हम आपको बिटक्वाइन की शुरुआत होने और इसके शिखर पर चढ़ने के किस्से से रूबरू कराएंगे।

विस्तार

बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन सबसे पहले एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से उसके क्वाइन बनने तक की कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।

कब अस्तित्व में आई क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टोकरेंसी आजकल काफी चर्चा में है, लेकिन यह सुर्खियों में उस वक्त ज्यादा आई थी, जब जुलाई 2010 के दौरान बिटक्वाइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में आई और उससे लेन-देन भी होने लगा। उस वक्त बिटकॉइन की कीमत 0.0008 डॉलर थी, जो वर्तमान में 58 हजार डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है। बिटक्वाइन भले ही आज के जमाने की काफी प्रचलित है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 1980 से भी पहले हो गई थी।

सबसे पहले बनी थी ब्लाइंडिंग एल्गोरिदम

जानकारी के मुताबिक, 1980 के दौर में अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविट चौम ने 'ब्लाइंडिंग' नाम की एल्गोरिदम का अविष्कार किया था, जो सेंट्रल से मॉडर्न वेब-बेस्ड इनक्रिप्शन पर आधारित थी। यह एल्गोरिदम सिक्योर, पार्टियों के बीच अपरिवर्तनीय सूचना के आदान-प्रदान और भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक करेंसी ट्रांसफर के लिए आधार तैयार करने के मकसद से बनाई गई थी। हालांकि, इस पर कुछ काम नहीं हुआ।

बी-मनी थी पहली वर्चुअल करेंसी

ब्लाइंडिंग के चर्चा में आने के 15 साल बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर वेई दई ने बी-मनी नाम की वर्चुअल करेंसी को लेकर व्हाइट पेपर तैयार किया। बी-मनी में मॉडर्न क्रिप्टोकरेंसी के कई बेसिक कंपोनेंट्स थे। व्हाइट पेपर में बी-मनी के जटिल प्रोटेक्शन और डिसेंट्रलाइजेशन का जिक्र किया गया था। हालांकि, बी-मनी कभी एक्सचेंज के रूप में बाजार में नहीं आ पाई।

सबसे पहले एलन मस्क ने की थी वर्चुअल करेंसी की वकालत

वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की। हालांकि, यह भी सच है कि साल 2000 के बाद जब बिटक्वाइन अस्तित्व में आया, उसके बाद ही सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में तेजी दर्ज की गई।

नोट: 'कहानी क्रिप्टो की' सीरीज में आज क्रिप्टोकरेंसी के जन्म की दास्तां बताई गई। कल हम आपको बिटक्वाइन की शुरुआत होने और इसके शिखर पर चढ़ने के किस्से से रूबरू कराएंगे।

क्रिप्टो करेंसी की कब हुई थी शुरुआत, क्या हैं इसके फायदे और नुकसान, समझिए पूरा हिसाब

इन दिनों जिस क्रिप्टो करेंसी का जलवा है, ये डिजिटल करेंसी है. इसे आप छू नहीं सकते, लेकिन हां अमीर जरूर हो सकते हैं. आमतौर पर इसका इस्तेमाल किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है.

क्रिप्टो करेंसी की कब हुई थी शुरुआत, क्या हैं इसके फायदे और नुकसान, समझिए पूरा हिसाब

डिजिटल होती दुनिया में हर चीज वर्चुअल होती जी रही है. डिजिटल पेंमेट की सुविधा ने लोगों की लाइफ को काफी आसान बना दिया है. डिजिटल होते इस वर्ल्ड में क्रिप्टो करेंसी का क्रेज बढ़ गया है. दुनिया के हर एक देश की अपनी मुद्रा है. जैसे-भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर और ब्रिटेन में पाउंड. लेकिन इन दिनों जिस क्रिप्टो करेंसी का जलवा है, ये डिजिटल करेंसी है. इसे आप छू नहीं सकते, लेकिन हां अमीर जरूर हो सकते हैं. आइए अब समझ लेते हैं इस क्रिप्टो करेंसी का पूरा हिसाब.

कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी क्रिप्टो करेंसी एक इंडिपेंडेंट मुद्रा है. यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती. जैसे रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं का संचालन देश की सरकारें करती हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी का संचलान कोई भी अथॉरिटी नहीं करती. यह एक डिजिटल करेंसी होती है. इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है. आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है.

जापान के एक इंजीनियर ने की थी शुरुआत

सबसे पहले साल 2009 में क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई थी, जो बिटकॉइन थी. जापान के इंजीनियर सतोषी नाकमोतो ने इसे बनाया था. शुरुआत में इसे कोई खास सफलता नहीं मिली, लेकिन धीरे-धीरे इसकी कीमत आसमान छूने लगी और ये पूरी दुनिया में छा गया.

क्रिप्टो करेंसी के क्या हैं फायदे और नुकसान

क्रिप्टो करेंसी के कई फायदे हैं और इसके नुकसान भी हैं. पहला फायदा ये है कि डिजिटल करेंसी होने के कारण धोखाधड़ी की गुंजाइश ना के बराबर है. दूसरा ये कि इसकी कोई नियामक संस्था नहीं है. इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों असर इसपर नहीं पड़ता. क्रिप्टोकरेंसी में मुनाफा अधिक होता है और ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. इसका सबसे बड़ा नुकसान है कि वर्चुअल करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव आपके माथे पर पसीना ला देगा.

एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच साल में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी एक ही दिन में बिना किसी चेतावनी के 40 से 50 प्रतिशत गिर गई थी. इसका सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि वर्चुअल करेंसी होने के कारण इसमें सौदा जोखिम भरा होता है. इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त जैसे अवैध कामों के लिए किया जा सकता है. , इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजेक्शन आपसे गलती से हो गया तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं.

क्रिप्टो करेंसी से क्या भारत में होता है लेनदेन

भारत में क्रिप्टो करेंसी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था और वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की इजाजत दी थी. साल 2018 में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भारतीय रिजर्व बैंक के सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. बिटकॉइन के अलावा भी रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो कॉइन जैसी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं.

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