विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते

25 सितंबर • विदेशी मुद्रा खाता • 5759 बार देखा गया • टिप्पणियाँ Off विदेशी मुद्रा प्रबंधित खातों के अवलोकन और लाभ पर

एक विदेशी मुद्रा प्रबंधित खाता उन व्यक्तियों के लिए अविश्वसनीय रूप से सहायक है जो विदेशी मुद्रा बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं लेकिन इसके माध्यम से नेविगेट करने की क्षमता नहीं है। यह वास्तव में असामान्य नहीं है कि विदेशी मुद्रा का विषय कितना विशाल है, जिससे व्यापारियों के लिए बाजार में अच्छा प्रदर्शन करने से पहले वर्षों और महीनों के लिए सीखना आवश्यक हो जाता है।

मूल रूप से, विदेशी मुद्रा प्रबंधित खाता मालिक द्वारा आयोजित एक खाता है, लेकिन किसी और द्वारा संचालित किया जाता है। उनकी ओर से, प्रबंधक लाभ प्राप्त करने के प्रयास में मुद्राओं को बेच या खरीद सकता है। वास्तव में बहुत सारे कारण हैं कि व्यापारियों के लिए इस तरह की सेटिंग बहुत फायदेमंद है। सभी की जाँच करें एफएक्ससीसी फॉरेक्स ट्रेडिंग खाता प्रकार.

कार्य के बिना ट्रेडिंग में आसानी

विदेशी मुद्रा प्रबंधित खाते का सबसे बड़ा लाभ यह तथ्य है कि यह खाता स्वामी से बोझ को कम करता है। इसमें भाग लेने के लिए उनके लिए वास्तव में बाजार सीखना और निगरानी करना आवश्यक नहीं है। इसके बजाय, अनुभवी व्यापारियों को प्रक्रिया को संभालने वाले और अधिक महत्वपूर्ण बात होगी - ग्राहक के पक्ष में ध्वनि निर्णय लेना।

विविधता

विदेशी मुद्रा निवेश एक व्यक्ति के पोर्टफोलियो का विस्तार करने का एक शानदार तरीका है। यह खाता मालिक के हिस्से पर काम करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें भविष्य में उपयोग के लिए अपने फंड को बढ़ाने की अनुमति देता है। चूंकि विदेशी मुद्रा बाजार स्टॉक मार्केट या अन्य उद्योगों से अलग है, इसलिए इसमें कोई भी समस्या अन्य निवेशों को प्रभावित नहीं करेगी और इसके विपरीत।

लाभ की संभावनाएँ

विदेशी मुद्रा प्रबंधित खातों के हैंडलर आमतौर पर अपने क्षेत्र में अनुभव किए जाते हैं। वे अर्जित ज्ञान के वर्षों से समर्थित हैं और इसलिए निर्णय लेने के लिए सही स्थिति में हैं। खाते के स्वामी की ओर से, इसका अर्थ है कि वे शुरू में खाते में कितना निवेश करते हैं, उसके आधार पर मुनाफे की संभावना बढ़ जाती है। ध्यान दें कि प्रबंधित खातों में आमतौर पर ब्रोकर के आधार पर न्यूनतम शुरुआत होती है।

सुरक्षा सावधानियों

विदेशी मुद्रा प्रबंधित खाता प्राप्त करने में लोग अनिच्छुक होने के कारणों में से एक यह है कि वे उस व्यक्ति के नियंत्रण से डरते हैं जो उसके पैसे पर है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। अधिकांश प्रबंधित खाते एक अनुबंध के साथ आते हैं, जो ट्रेडिंग से परे फंडों को संभालने के लिए ब्रोकर की क्षमता को गंभीर रूप से सीमित करता है। कुछ दलाल - उनमें से सभी नहीं - पारदर्शिता विकल्प भी प्रदान करते हैं। इसका मतलब यह है कि खाता स्वामी केवल एक डोमेन में लॉग इन कर सकते हैं और अपने फंड के मूवमेंट का पता लगा सकते हैं।

त्वरित निधि पहुंच

क्या खाता मालिकों को चुनना चाहिए, वे आसानी से उन फंडों को निकाल सकते हैं जो उन्होंने खाते में रखे हैं। यह किसी भी मुनाफे के लिए विशेष रूप से सच है जो व्यापार के दौरान उन्हें हो सकता है। बेशक, हैंडलर इस समय के दौरान फीस और कमीशन को घटाएगा, लेकिन यह लेनदेन चार्ट के माध्यम से आसानी से देखा जा सकेगा।

बेशक, वे विदेशी मुद्रा प्रबंधित खाता होने का एकमात्र लाभ नहीं हैं। हालांकि ध्यान रखें कि ऊपर वर्णित लाभ खाते के हैंडलर के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। यही कारण है कि व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे उस ब्रोकर को चुनते समय बहुत सतर्क रहें जो उनके खाते को संभालेगा। निर्णय लेने से पहले हर एक की तुलना, विश्लेषण और आकलन करें।

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अंतर्राष्ट्रीय संस्थान/संगठन

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 189 सदस्य देशों वाला एक संगठन है जिनमें से प्रत्येक देश का इसके वित्तीय विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते महत्त्व के अनुपात में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड में प्रतिनिधित्व हैं। इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो देश अधिक शक्तिशाली है उस देश के पास अधिक मताधिकार है।

ईडी की बड़ी कार्रवाई: Xiaomi पर कसा शिकंजा, कंपनी के बैंक खातों में जमा 5551 करोड़ रुपये जब्त

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) चीनी कंपनी शाओमी पर अपना शिकंजा कसता जा रहा है। शनिवार को इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए ईडी ने बैंक खातों में जमा शाओमी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 5551.27 करोड़ रुपये जब्त कर लिए।

ईडी की कार्रवाई

स्मार्टफोन निर्माता चीनी कंपनी Xiaomi पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अपना शिकंजा कसता जा रहा है। शनिवार को इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए ईडी ने बैंक खातों में जमा शाओमी विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 5551.27 करोड़ रुपये जब्त कर लिए। इस संबंध में जारी एक बयान में कहा गया कि ईडी ने कंपनी द्वारा किए गए गोरखधंधे में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया है।

एमआई ब्रांड के साथ भारत में कारोबार
गौरतलब है कि कंपनी भारत में एमआई (MI) और रेडमी (विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते Redmi) ब्रांड नाम के तहत मोबाइल फोन का कारोबार करती है। ईडी ने शनिवार को की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शाओमी इंडिया चीन स्थित शाओमी ग्रुप की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। एजेंसी ने कहा कि फरवरी 2022 में चीनी फर्म द्वारा विदेश भेजे गए कथित अवैध प्रेषण के संबंध में कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। इसके बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) की संबंधित धाराओं के तहत खातों में जमा राशि की जब्ती की गई है।

2015 से पैसे भेजना शुरू किया
रिपोर्ट के मुताबिक, Xiaomi इंडिया ने वर्ष 2014 में देश में अपना परिचालन शुरू किया था और वर्ष 2015 से बाहर पैसे भेजना शुरू कर दिया था। कंपनी ने तीन फॉरेन बेस्ड कंपनियों को रॉयल्टी की आड़ में 5551.27 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा का प्रेषण किया। इन कंपनियों में शाओमी समूह की एक एंटिटी का नाम भी शामिल है। रॉयल्टी के नाम पर ये भारी-भरकम राशि शाओमी ग्रुप की एंटिटीज के निर्देश पर भेजी गई थी, जबकि अन्य दो कंपनियां अमेरिकी थीं।

तीनों कंपनियों की नहीं लीं सेवाएं
ईडी ने अपने बयान में कहा कि शाओमी इंडिया मोबाइल फोन के निर्माण से लेकर उसके वितरण तक की जिम्मेदारी संभालती रही, जबकि उसने इन तीनों विदेशी कंपनियों से कभी कोई सेवा नहीं ली। लेकिन, इन कंपनियों को पैसे जरूर भेजे जाते रहे। कंपनी ने रॉयल्टी के नाम पर विदेश में इतनी बड़ी राशि भेजी, जो फेमा की धारा 4 का सीधा उल्लंघन है। कंपनी की ओर से विदेशों में पैसा भेजने को लेकर बैंकों को भी गलत जानकारी मुहैया कराई गई।

विस्तार

स्मार्टफोन निर्माता चीनी कंपनी Xiaomi पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अपना शिकंजा कसता जा रहा है। शनिवार को इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए ईडी ने बैंक खातों में जमा शाओमी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के 5551.27 करोड़ रुपये जब्त कर लिए। इस संबंध में जारी एक बयान में कहा गया कि ईडी ने कंपनी द्वारा किए गए गोरखधंधे में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया है।

एमआई ब्रांड के साथ भारत में कारोबार
गौरतलब है कि कंपनी भारत में एमआई (MI) और रेडमी (Redmi) ब्रांड नाम के तहत मोबाइल फोन का कारोबार करती है। ईडी ने शनिवार को की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शाओमी इंडिया चीन स्थित शाओमी ग्रुप की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। एजेंसी ने कहा कि फरवरी 2022 में चीनी फर्म द्वारा विदेश भेजे गए कथित अवैध प्रेषण के संबंध में कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। इसके बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) की संबंधित धाराओं के तहत खातों में जमा राशि की जब्ती की गई है।

2015 से पैसे भेजना शुरू किया
रिपोर्ट के मुताबिक, Xiaomi इंडिया ने वर्ष 2014 में देश में अपना परिचालन शुरू किया था और वर्ष 2015 से बाहर पैसे भेजना शुरू कर दिया था। कंपनी ने तीन फॉरेन बेस्ड कंपनियों को रॉयल्टी की आड़ में 5551.27 करोड़ रुपये के बराबर विदेशी मुद्रा का प्रेषण किया। इन कंपनियों में शाओमी समूह की एक एंटिटी का नाम भी शामिल है। रॉयल्टी के नाम पर ये भारी-भरकम राशि शाओमी ग्रुप की एंटिटीज के निर्देश पर भेजी गई थी, जबकि अन्य दो कंपनियां अमेरिकी थीं।

तीनों कंपनियों की नहीं लीं सेवाएं
ईडी ने अपने बयान में कहा कि शाओमी इंडिया मोबाइल फोन के निर्माण से लेकर उसके वितरण तक की जिम्मेदारी संभालती रही, जबकि उसने इन तीनों विदेशी कंपनियों से कभी कोई सेवा नहीं ली। लेकिन, इन कंपनियों को पैसे जरूर भेजे जाते रहे। कंपनी ने रॉयल्टी के नाम पर विदेश में इतनी बड़ी राशि भेजी, जो फेमा की धारा 4 का सीधा उल्लंघन है। कंपनी की ओर से विदेशों में पैसा भेजने को लेकर बैंकों को भी गलत जानकारी मुहैया कराई गई।

विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते

साईं संस्थान का जमा हुआ विदेशी मुद्रा खाता, देश के 6,000 संगठनों के तिरुपति बालाजी देवस्थान ने भी रोका सहायता का प्रवाह

साई संस्थान और तिरुपति देवस्थान सहित केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ अपने खातों का नवीनीकरण नहीं किया था।

साईं संस्थान का जमा हुआ विदेशी मुद्रा खाता, देश के 6,000 संगठनों के तिरुपति बालाजी देवस्थान ने भी रोका सहायता का प्रवाह

नई दिल्ली। शिरडी विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के तहत समय पर नवीनीकरण नहीं होने के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा साईं संस्थान का विदेशी मुद्रा खाता 1 जनवरी से फ्रीज कर दिया गया है। इसके चलते संस्थान के करोड़ों रुपये फंस गए हैं।

देश भर में लगभग 6,000 एनजीओ और महाराष्ट्र में 1,263 एनजीओ ने एफसीआरए अधिनियम के अनुसार 31 दिसंबर, 2021 तक साई संस्थान और तिरुपति देवस्थान सहित केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ अपने खातों का नवीनीकरण नहीं किया था। सामाजिक-धार्मिक, शैक्षिक, चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत अनेक संस्थाओं को विदेशों से आर्थिक सहायता मिलती है। खातों को फ्रीज करने विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते से मदद का प्रवाह ठप हो गया है।

तदर्थ समिति साईं संस्थान के अस्थायी प्रबंधन की प्रभारी थी। नवीनीकरण के लिए पदाधिकारियों का केवाईसी नहीं होने से ठप हो गया विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते नवीनीकरण बताया जाता है। नए प्रबंधन के आने के बाद सभी ट्रस्टियों का केवाईसी किया गया और 25 दिसंबर को संस्थान ने नवीनीकरण के लिए आवेदन दिया। हालांकि, संस्थान का खाता भी फ्रीज कर दिया गया था क्योंकि आईबी से सत्यापन लंबित था। खाता जल्द ही चालू हो जाएगा, विश्वसनीय सूत्रों ने कहा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेशी मुद्रा कानून में बदलाव किया है। तदनुसार, जुलाई से, विदेशी मुद्रा के साथ दाता की पहचान का प्रमाण जमा करना होगा।

विदेशी मुद्रा दान करने वाले दानदाताओं से लेकर संगठन के दान कक्ष तक उसके पासपोर्ट की फोटोकॉपी ली जा रही है। कई इसे देने से कतरा रहे हैं। इसके अलावा, कई विदेशी मुद्रा चेक डाक द्वारा आते हैं। उन्हें डाक पहचान पत्र के प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए भी कहा जा रहा है। पता चला है कि कई दानदाताओं ने भी इस तरह के साक्ष्य जमा करने से इनकार कर दिया है। खास बात यह है कि डोनेशन बॉक्स में बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा निकल जाती है। चूंकि इस चालान के दाता का निर्धारण करना मुश्किल है, इसलिए सवाल यह है कि इस चालान का क्या किया जाए। साईं संस्थान महीने में दो बार केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिख चुका है।

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करेंसी स्वैप किसे कहते हैं और इससे अर्थव्यवस्था को क्या फायदे होंगे?

करेंसी स्वैप का शाब्दिक अर्थ होता है मुद्रा की अदला बदली. जब दो देश/ कम्पनियाँ या दो व्यक्ति अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी वित्तीय नुकसान के पूरा करने के लिए आपस में अपने देशों विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते की मुद्रा की अदला बदली करने का समझौता करते हैं तो कहा जाता है कि इन देशों में आपस में करेंसी स्वैप का समझौता किया है.

Currency Swap

विनिमय दर की किसी भी अनिश्चित स्थिति से बचने के लिए दो व्यापारी या देश एक दूसरे के साथ करेंसी स्वैप का समझौता करते हैं.

विनिमय दर का अर्थ: विनिमय दर का अर्थ दो अलग अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत है, अर्थात “ एक मुद्रा के सापेक्ष दूसरी मुद्रा का मूल्य”. वह बाजार जिसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं का विनिमय होता है उसे विदेशी मुद्रा बाजार कहा जाता है.

वर्ष 2018 भारत और जापान ने 75 अरब डॉलर के करेंसी स्वैप एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये हैं जिससे कि दोनों देशों की मुद्राओं में डॉलर के सापेक्ष उतार चढ़ाव को कम किया जा सके.

इस एग्रीमेंट का मतलब यह है कि भारत 75 अरब डॉलर तक का आयात जापान से कर सकता है और उसको भुगतान भारतीय रुपयों में करने की सुविधा होगी. ऐसी ही सुविधा जापान को होगी अर्थात जापान भी इतने मूल्य की वस्तुओं का आयात भारत विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते से येन में भुगतान करके कर सकता है.

आइये इस लेख में जानते हैं कि करेंसी स्वैप किसे कहते हैं?

करेंसी स्वैप का शाब्दिक अर्थ होता है "मुद्रा की अदला बदली". अपने अर्थ के अनुसार ही इस समझौते में दो देश, कम्पनियाँ और दो व्यक्ति आपस में अपने देशों की मुद्रा की अदला बदली कर लेते हैं ताकि अपनी अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी वित्तीय नुकसान के पूरा किया जा सके.

करेंसी स्वैप को विदेशी मुद्रा लेन-देन माना जाता है और किसी कंपनी के लिए कानूनन जरूरी नहीं है कि वह इस लेन-देन को अपनी बैलेंस शीट में दिखाए. करेंसी स्वैप एग्रीमेंट में दो देशों द्वारा एक दूसरे को दी जाने वाली ब्याज दर फिक्स्ड और फ्लोटिंग दोनों प्रकार की हो सकती है.

करेंसी स्वैप से भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या लाभ होंगे?

1. मुद्रा भंडार में कमी रुकेगी: डॉलर को दुनिया की सबसे मजबूत और विश्वसनीय मुद्रा माना जाता है यही कारण है कि पूरे विश्व में इसकी मांग हर समय बनी रहती है और कोई भी देश डॉलर में पेमेंट को स्वीकार कर लेता है.

डॉलर की सर्वमान्य स्वीकारता के कारण जब भारत से विदेशी पूँजी बाहर जाती है या विदेशी निवेशक अपना धन वापस निकलते हैं तो वे लोग डॉलर ही मांगते हैं जिसके कारण भारत के बाजार में डॉलर की मांग बढ़ जाती है जिसके कारण उसका मूल्य भी बढ़ जाता है. ऐसी हालात में RBI को देश के विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर निकालकर मुद्रा बाजार में बेचने पड़ते हैं जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है.

यदि भारत का विभिन्न विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते देशों के साथ करेंसी स्वैप एग्रीमेंट है तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में (डॉलर के साथ विनिमय दर में परिवर्तन होने पर) कमी बहुत कम आएगी.

2. करेंसी स्वैप का एक अन्य लाभ यह है कि यह विनिमय दर में परिवर्तन होने से पैदा हुए जोखिम को कम करता है साथ ही यह ब्याज दर के जोखिम को भी कम कर देता है. अर्थात करेंसी स्वैप समझौते से अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रा की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से राहत मिलती है.

3. वित्त मंत्रायल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत और जापान के बीच हुए करेंसी स्वैप समझौते से भारत के कैपिटल मार्केट और विदेशी विनिमय को स्थिरता मिलेगी. इस समझौते के बाद से भारत जरूरत पड़ने पर 75 अरब डॉलर की पूंजी का इस्तेमाल कर सकता है.

4. जिस देश के साथ करेंसी स्वैप एग्रीमेंट होता है संबंधित देश सस्ते ब्याज पर कर्ज ले सकता है. इस दौरान इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उस वक्त संबंधित देश की करेंसी का मूल्य क्या है या दोनों देशों के बीच की मुद्राओं के बीच की विनिमय दर क्या है.

आइये करेंसी स्वैप एग्रीमेंट को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं;

मान लो कि भारत में व्यापार करने करने वाले व्यापारी रमेश को 10 साल के लिए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत है. रमेश किसी अमेरिकी बैंक से 1 मिलियन डॉलर विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते का लोन लेने का प्लान बनाता है लेकिन फिर उसे याद आता है कि यदि उसने आज की विनिमय दर ($1 = रु.70) पर 7 करोड़ का लोन ले लिया और बाद में रुपये की विनिमय दर में गिरावट आ जाती है और यह विनिमय दर गिरकर $1 = रु.100 पर आ जाती है तो रमेश को 10 साल बाद समझौते के पूरा होने पर 7 करोड़ के लोन के लिए 10 करोड़ रूपये चुकाने होंगे. इस प्रकार रमेश को लोन लेने पर बाजार में उतार चढ़ाव के कारण 3 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है.

लेकिन तभी रमेश को एक फर्म से पता चलता है कि अमेरिकी व्यापारी अलेक्स को 7 करोड़ रुपयों विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते की जरूरत है. अब रमेश और अलेक्स दोनों करेंसी स्वैप का एग्रीमेंट करते हैं जिसके तहत रमेश 7 करोड़ रुपये अलेक्स को दे देता है और अलेक्स 1 मिलियन विश्वसनीय प्रबंधित विदेशी मुद्रा खाते अमेरिकी डॉलर रमेश को. दोनों के द्वारा समझौते की राशि का मूल्य $1 =रु.70 की विनिमय दर के हिसाब से बराबर है.

अब रमेश, अलेक्स को अमेरिका के बाजार में प्रचलित ब्याज दर (मान लो 3%) की दर से 1 मिलियन डॉलर पर ब्याज का 10 साल तक भुगतान करेगा और अलेक्स, रमेश को भारत के बाजार में प्रचलित ब्याज दर (मान लो 6%) के हिसाब से 7 करोड़ रुपयों के लिए ब्याज देगा.

समझौते की परिपक्वता अवधि (date of maturity) पर रमेश, अलेक्स को 1 मिलियन डॉलर लौटा देगा और अलेक्स भी रमेश को 7 करोड़ रुपये लौटा देगा. इस प्रकार के आदान-प्रदान के लिए किया गया समझौता ही करेंसी स्वैप कहलाता है.

इस प्रकार करेंसी स्वैप की सहायता से रमेश और अलेक्स दोनों ने विनिमय दर के उतार चढ़ाव की अनिश्चितता से बचकर अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा कर लिया है.

समय की जरुरत को देखते हुए भारत ऐसी ही समझौते अन्य देशों के साथ करने की तैयारी कर रहा है. भारत, कच्चा टेल खरीदने के लिए ईरान के साथ ऐसा ही समझौता करने की प्रोसेस में है. अगर भारत और ईरान के बीच यह समझौता हो जाता है तो भारत हर साल 8.5 अरब डॉलर बचा सकता है.

उम्मीद है कि ऊपर दिए गए विश्लेषण और उदाहरण की सहायता से आप समझ गए होंगे कि करेंसी स्वैप किसे कहते हैं और इससे किसी अर्थव्यवस्था को क्या फायदे होते हैं.

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