ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय
विशेषकर विदेशी यात्रा का एक अलग ही रोमांच होता है। यह रोमांच चाहे भ्रमण के लिए हो या व्यापार के लिए हो, विदेशी मुद्रा का विनिमय और उससे जुड़ी परेशानियाँ एक जैसी ही होती हैं। लेकिन जब आप इस ट्रिप से वापस आ जाते हैं तब बची हुई विदेशी मुद्रा को आप बेचने का प्रयास करते हैं।
अधितर स्थितियों में विदेश यात्रा पर जाने वाले अपने साथ किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए थोड़ी एक्स्ट्रा विदेशी मुद्रा ले कर जाते हैं। क्यूंकी वे जानते हैं कि विदेशी मुद्रा को विदेशी धरती पर खरीदना महंगा और समय लगाने वाला होता है। इसलिए देर से सुरक्षा भली वाला नियम यहाँ भी लागू होता है और जरूरत से थोड़ी अधिक विदेशी करेंसी अपने साथ लेकर जाएँ और किसी भी अनदेखी परेशानी से बचें। ट्रिप से वापस आने के बाद अगर आप अपनी बची हुई विदेशी मुद्रा का विक्रय नहीं करते हैं तो वह आपके लिए मृत धन के समान है। कुछ लोग यह काम इसलिए भी नहीं कर पाते हैं कि वे ऑनलाइन विक्रय या एजेंट के माध्यम से विक्रय में से उपयुक्त माध्यम का चयन नहीं कर पाते हैं। थॉमस कुक के पास आपकी हर समस्या का हल है। फिर भी यदि आप अपनी अनुपयोगी विदेशी मुद्रा को ट्रिप कि यादगार बना कर, किसी डर के कारण या ठीक जानकारी न होने के कारण अपने पास रखना चाहते हैं तो इस्क्में कोई समझदारी नहीं है।
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ऑनलाइन विदेशी मुद्रा का विक्रय कैसे हो ?
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हेजिंग क्या है क्योंकि यह विदेशी मुद्रा व्यापार से संबंधित है?
कैसे दोनों दिशाओं में पैसा बनाने के लिए एक विदेशी मुद्रा व्यापार से बचाव के लिए (दिसंबर 2022)
जब कोई मुद्रा व्यापारी विदेशी मुद्रा विनिमय दरों में एक अवांछित चाल से मौजूदा या अनुमानित स्थिति की सुरक्षा के इरादे से एक व्यापार में प्रवेश करता है, तो ये कहा जा सकता है कि वह विदेशी मुद्रा बचाव। एक विदेशी मुद्रा बचाव का उपयोग करके ठीक से, एक व्यापारी जो लंबे समय से एक विदेशी मुद्रा जोड़ी है, खुद को नकारात्मक जोखिम से बचा सकता है; जबकि एक विदेशी मुद्रा जोड़ी कम है व्यापारी, उल्टा जोखिम के खिलाफ की रक्षा कर सकते हैं
खुदरा विदेशी मुद्रा व्यापारी के लिए हेजिंग मुद्रा व्यापार के प्राथमिक तरीकों के माध्यम से है:
- स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट्स, और
- विदेशी मुद्रा विकल्प
स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट अनिवार्य रूप से नियमित प्रकार के व्यापार हैं जो एक खुदरा विदेशी मुद्रा व्यापारी द्वारा किया जाता है। क्योंकि स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट्स की एक छोटी अवधि की डिलीवरी डेट (दो दिन) होती है, वे सबसे प्रभावी मुद्रा हेजिंग वाहन नहीं हैं। नियमित रूप से हाजिर अनुबंध आमतौर पर हेज की आवश्यकता के मुकाबले बचाव की आवश्यकता के मुकाबले एक हेज की आवश्यकता होती है।
विदेशी मुद्रा विकल्प, हालांकि मुद्रा हेजिंग के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक हैं। अन्य प्रकार की प्रतिभूतियों पर विकल्पों के साथ, विदेशी मुद्रा विकल्प खरीददार को सही देता है, लेकिन भविष्य में कुछ समय पर किसी विशेष विनिमय दर पर मुद्रा जोड़ी खरीदने या बेचने का दायित्व नहीं देता है। किसी भी व्यापार की हानि की क्षमता को सीमित करने के लिए, नियमित विकल्प रणनीतियों को नियोजित किया जा सकता है, जैसे कि लंबे समय तक टकराकर, लंबे समय तक संघर्ष और बैल या भालू फैलता है। (अधिक जानकारी के लिए, हेजिंग के लिए एक शुरुआती गाइड देखें।)
विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति
विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति चार भागों में विकसित होती है, जिसमें विदेशी मुद्रा व्यापारी के जोखिम जोखिम, जोखिम सहिष्णुता के विश्लेषण और रणनीति की वरीयता ये घटक विदेशी मुद्रा बचाव बनाते हैं:
- जोखिम का विश्लेषण: व्यापारी को यह पता होना चाहिए कि मौजूदा या प्रस्तावित स्थिति में वह किस प्रकार के जोखिम (जोखिम) ले रहा है। वहां से, व्यापारी को यह अवश्य पहचानना चाहिए कि इस खतरे को अनफिट करने पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और यह निर्धारित करें कि मौजूदा विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार में जोखिम उच्च या निम्न है या नहीं।
- जोखिम सहिष्णुता निर्धारित करें: इस कदम में, व्यापारी अपने जोखिम जोखिम स्तर का उपयोग करता है, यह निर्धारित करने के लिए कि स्थिति के जोखिम को कितना ढीला होना चाहिए। कोई भी व्यापार कभी शून्य जोखिम नहीं होगा; यह जोखिम लेने वाले जोखिम के स्तर को निर्धारित करने के लिए व्यापारी पर निर्भर है, और अधिक जोखिम को हटाने के लिए वे कितना भुगतान करने के इच्छुक हैं
- विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति निर्धारित करें: यदि विदेशी मुद्रा विकल्पों का उपयोग मुद्रा व्यापार के जोखिम को सुरक्षित रखने के लिए करता है, तो व्यापारी को यह निर्धारित करना होगा कि कौन सी रणनीति सबसे अधिक लागत प्रभावी है
- रणनीति को लागू करें और निगरानी करें: यह सुनिश्चित करके कि रणनीति उस तरह से काम करती है जिस तरह से, जोखिम कम से कम रहेगा
विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार बाजार एक जोखिम भरा है, और हेजिंग केवल एक तरीका है कि एक व्यापारी जोखिम की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है। एक व्यापारी होने का इतना पैसा और जोखिम प्रबंधन है, जो शस्त्रागार में हेजिंग जैसे अन्य टूल को अविश्वसनीय रूप से उपयोगी है
सभी खुदरा विदेशी मुद्रा दलालों उनके प्लेटफार्मों में हेजिंग की अनुमति नहीं देते हैं। ब्रोकर को पूरी तरह से अनुसंधान करना सुनिश्चित करें जो आप व्यापार से पहले शुरू करते हैं।
अधिक जानकारी के लिए, देखें व्यावहारिक और किफायती हेजिंग रणनीतियां
विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा व्यापार: जोखिम और पुरस्कार
विदेशी मुद्राएं पीटा पथ से दूर हैं और नौसिखियों के लिए नहीं हैं, लेकिन अनुभवी विदेशी मुद्रा निवेशकों को उच्च जोखिम-प्रतिफल संभावित रोमांचक मिल सकता है
तुलनात्मक लाभ के निहितार्थ क्या हैं क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित है?
व्यापार के लिए तुलनात्मक लाभ के निहितार्थों को पता चलता है: व्यापारिक तालिका में रिटर्न का अधिकतमकरण और प्रत्येक देश के लिए एक स्थान।
विदेशी मुद्रा व्यापार की रणनीति बनाने के लिए मैं डुअल कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीसीआई) का उपयोग कैसे करूं? | विदेशी मुद्रा बाजार के व्यापार के लिए एक अनूठी ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए इन्व्हेस्टॉपिया
दोहरी कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीआईआईआई) के वैकल्पिक व्याख्या का उपयोग करें।
Sri Lanka Crisis: अब लोगों के लिए विदेशी मुद्रा रखने की लिमिट घटाई गई, फॉरन रिजर्व बढ़ाने पर जोर
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. विदेशी मुद्रा भंडार की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि सरकार ने एक व्यक्ति के लिए विदेशी मुद्रा रखने की लिमिट 15 हजार डॉलर से घटाकर 10 हजार डॉलर कर दी है.
विदेशी मुद्रा के गहरे संकट से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka Economic Crisis) में एक व्यक्ति के पास रखी जाने वाली विदेशी मुद्रा (Foreign विदेशी मुद्रा बाजार में कितना खरीदना और बेचना है? Currency) की सीमा घटा दी गई है. अब एक व्यक्ति के पास अधिकतम 10,000 डॉलर की विदेशी मुद्रा ही रह सकती है. श्रीलंका सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि श्रीलंका में रहने वाले या वहां के किसी व्यक्ति द्वारा अपने कब्जे में रखी गई विदेशी मुद्रा की मात्रा को 15,000 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 10,000 अमेरिकी डॉलर कर दिया गया है. श्रीलंका सरकार ने खाद्य और ईंधन सहित जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए जरूरी विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने के मकसद से यह सीमा लागू की है. गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को अप्रैल में अपने अंतरराष्ट्रीय ऋण की चूक के लिए मजबूर होना पड़ा था.
वित्त मंत्रालय का भी दायित्व संभालने वाले प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की तरफ से जारी इस आदेश में कहा गया है कि औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में विदेशी मुद्रा को आकर्षित करने के इरादे से विदेशी मुद्रा अधिनियम के तहत विदेशी मुद्रा रखने की सीमा घटाई जा रही है. अतिरिक्त विदेशी मुद्रा जमा करने या अधिकृत डीलर को बेचने के लिए 16 जून, 2022 से 14 कार्य दिवसों की मोहलत दी गई है.
विदेशी मदद से चल रहा है काम
पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं होने से श्रीलंका को ईंधन एवं अन्य जरूरी सामान की खरीद के लिए विदेशी मदद का इंतजार करना पड़ रहा है. इस दौरान देश भर में हिंसक प्रदर्शन भी हुए. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Sri Lankan PM Wickremesinghe) ने पिछले दिनों कहा कि कर्ज के बोझ से दबी उनकी अर्थव्यवस्था महीनों तक खाद्य पदार्थों, ईंधन और बिजली के अभाव के बाद चरमरा गई है. उन्होंने संसद में कहा, श्रीलंका ईंधन, गैस, बिजली और खाद्य सामग्री के अभाव के अलावा और भी गंभीर हालात का सामना कर रहा है. हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. पीएम विक्रमसिंघे ने कहा, हमारे सामने अब एकमात्र सुरक्षित विकल्प अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ चर्चा करना है. वास्तव में, यह हमारा एकमात्र विकल्प है. हमें यह रास्ता अपनाना चाहिए.
आजादी के बाद आर्थिक स्थिति सबसे खराब
लगभग 2.2 करोड़ लोगों की आबादी वाला श्रीलंका 70 से अधिक वर्ष में सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अत्यधिक ईंधन की कमी, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और दवाओं की कमी का सामना कर रही है. श्रीलंका के पीएम ने कहा, सेंट्रल बैंक, ट्रेजरी, संबंधित सरकारी अधिकारियों, पेशेवरों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के बाद यह योजना पहले ही तैयार की जा चुकी है. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि यदि उपलब्ध हो तो बेहतर समाधान के बारे में हमें सूचित करें. बता दें कि विक्रमसिंघे देश के वित्त मंत्री भी हैं जिन पर अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका आयातित तेल खरीदने में असमर्थ है क्योंकि उसके पेट्रोलियम निगम पर भारी कर्ज है.
विदेशी निवेशकों की बिकवाली और गोल्ड में आई गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार घटा, जानिए RBI के खजाने में अब कितना है
रिजर्व बैंक के होल्डिंग में गोल्ड रिजर्व भी होता है. सोने की कीमत में आई गिरावट के कारण रिजर्व बैंक का गोल्ड रिजर्व 1.7 बिलियन डॉलर घटकर 42 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया.
इस सप्ताह भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में भारी गिरावट आई है. रुपए को सपोर्ट करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने डॉलर को बेचा जिसके विदेशी मुद्रा बाजार में कितना खरीदना और बेचना है? कारण इस सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.6 बिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 619.6 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. पिछले सप्ताह इसमें 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा की गिरावट दर्ज विदेशी मुद्रा बाजार में कितना खरीदना और बेचना है? की गई थी. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia-Ukraine Crisis) के कारण करेंसी मार्केट में वोलाटिलिटी काफी ज्यादा है. ऐसे में आरबीआई ने गिरते रुपए को संभालने के लिए डॉलर रिजर्व को बेचा है.
रिजर्व बैंक के होल्डिंग में गोल्ड रिजर्व भी होता है. सोने की कीमत में आई गिरावट के कारण रिजर्व बैंक का गोल्ड रिजर्व 1.7 बिलियन डॉलर घटकर 42 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. फॉरन करेंसी असेट यानी FCA में 703 मिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 553 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया.
गोल्ड में लगातार आ रही है गिरावट
इस सप्ताह MCX पर अप्रैल डिलिवरी वाला सोना 51888 रुपए के स्तर पर बंद हुआ. जून डिलिवरी वाला सोना 52381 रुपए प्रति दस ग्राम के स्तर पर बंद हुआ. यूक्रेन क्राइसिस के बीच 8 मार्च को अप्रैल डिलिवरी वाला सोना 55558 रुपए प्रति दस ग्राम के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया. हालांकि, उसके बाद से लगातार इसमें गिरावट देखी जा रही है. जून डिलिवरी वाला सोना 56163 रुपए के स्तर तक पहुंचा था. उसके बाद से इसमें भी लगातार गिरावट आ रही है.
FII की बिकवाली से रुपए पर दबाव बढ़ा
रिजर्व बैंक समय-समय पर डॉलर रिजर्व को बेचकर करेंसी की वैल्यु को बरकरार रखता है. शेयर बाजार से फॉरन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) लगातार बिकवाली कर रहे हैं जिसके कारण डॉलर आउटफ्लो था. यही वजह है कि रिजर्व बैंक को डॉलर रिजर्व बेचना पड़ा. हालांकि, पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से विदेशी निवेशक खरीदारी कर रहे हैं. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि विदेशी निवेशक जैसे-जैसे खरीदारी करेंगे, वैसे-वैसे रुपए में मजबूती आएगी. रिलायंस सिक्यॉरिटीज के सीनियर रिसर्च ऐनालिस्ट श्रीराम अय्यर ने कहा कि अगले कुछ सप्ताह में रुपया 76 के स्तर तक पहुंच सकता है.
इस सप्ताह डॉलर के मुकाबले 76.22 के स्तर पर बंद हुआ रुपया
विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा के कमजोर होने के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया कारोबार के अंत में 11 पैसे की तेजी के साथ 76.22 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 76.15 पर खुला. कारोबार के दौरान रुपए ने 76.12 रुपए के दिन के उच्चस्तर और 76.29 के निचले स्तर को छुआ. गुरुवार को रुपया छह पैसे के सुधार के साथ 76.33 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
करेंसी स्वैप किसे कहते हैं और इससे अर्थव्यवस्था को क्या फायदे होंगे?
करेंसी स्वैप का शाब्दिक अर्थ होता है मुद्रा की अदला बदली. जब दो देश/ कम्पनियाँ या दो व्यक्ति अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी वित्तीय नुकसान के पूरा करने के लिए आपस में अपने देशों की मुद्रा की अदला बदली करने का समझौता करते हैं तो कहा जाता है कि इन देशों में आपस में करेंसी स्वैप का समझौता किया है.
विनिमय दर की किसी भी अनिश्चित स्थिति से बचने के लिए दो व्यापारी या देश एक दूसरे के साथ करेंसी स्वैप का समझौता करते हैं.
विनिमय दर का अर्थ: विनिमय दर का अर्थ दो अलग अलग मुद्राओं की सापेक्ष कीमत है, अर्थात “ एक मुद्रा के सापेक्ष दूसरी मुद्रा का मूल्य”. वह बाजार जिसमें विभिन्न देशों की मुद्राओं का विनिमय होता है उसे विदेशी मुद्रा बाजार कहा जाता है.
वर्ष 2018 भारत और जापान ने 75 अरब डॉलर के करेंसी स्वैप एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये हैं जिससे कि दोनों देशों की मुद्राओं में डॉलर के सापेक्ष उतार चढ़ाव को कम किया जा सके.
इस एग्रीमेंट का मतलब यह है कि भारत 75 अरब डॉलर तक का आयात जापान से कर सकता है और उसको भुगतान भारतीय रुपयों में करने की सुविधा होगी. ऐसी ही सुविधा जापान को होगी अर्थात जापान भी इतने मूल्य की वस्तुओं का आयात भारत से येन में भुगतान करके कर सकता है.
आइये इस लेख में जानते हैं कि करेंसी स्वैप किसे कहते हैं?
करेंसी स्वैप का शाब्दिक अर्थ होता है "मुद्रा की अदला बदली". अपने अर्थ के अनुसार ही इस समझौते में दो देश, कम्पनियाँ और दो व्यक्ति आपस में अपने देशों की मुद्रा की अदला बदली कर लेते हैं ताकि अपनी अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी वित्तीय नुकसान के पूरा किया जा सके.
करेंसी स्वैप को विदेशी मुद्रा लेन-देन माना जाता है और किसी कंपनी के लिए कानूनन जरूरी नहीं है कि वह इस लेन-देन को अपनी बैलेंस शीट में दिखाए. करेंसी स्वैप एग्रीमेंट में दो देशों द्वारा एक दूसरे को दी जाने वाली ब्याज दर फिक्स्ड और फ्लोटिंग दोनों प्रकार की हो सकती है.
करेंसी स्वैप से भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या लाभ होंगे?
1. मुद्रा भंडार में कमी रुकेगी: डॉलर को दुनिया की सबसे मजबूत और विश्वसनीय मुद्रा माना जाता है यही कारण है कि पूरे विश्व में इसकी मांग हर समय बनी रहती है और कोई भी देश डॉलर में पेमेंट को स्वीकार कर लेता है.
डॉलर की सर्वमान्य स्वीकारता के कारण जब भारत से विदेशी पूँजी बाहर जाती है या विदेशी निवेशक अपना धन वापस निकलते हैं तो वे लोग डॉलर ही मांगते हैं जिसके कारण भारत के बाजार में डॉलर की मांग बढ़ जाती है जिसके कारण उसका मूल्य भी बढ़ जाता है. ऐसी हालात में RBI को देश के विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर निकालकर मुद्रा बाजार में बेचने पड़ते हैं जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आती है.
यदि भारत का विभिन्न देशों के साथ करेंसी स्वैप एग्रीमेंट है तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में (डॉलर के साथ विनिमय दर में परिवर्तन होने पर) कमी बहुत कम आएगी.
2. करेंसी स्वैप का एक अन्य लाभ यह है कि यह विनिमय दर में परिवर्तन होने से पैदा हुए जोखिम को कम करता है साथ ही यह ब्याज दर के जोखिम को भी कम कर देता है. अर्थात करेंसी स्वैप समझौते से अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रा की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से राहत मिलती है.
3. वित्त मंत्रायल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत और जापान के बीच हुए करेंसी स्वैप समझौते से भारत के कैपिटल मार्केट और विदेशी विनिमय को स्थिरता मिलेगी. इस समझौते के बाद से भारत जरूरत पड़ने पर 75 अरब डॉलर की पूंजी का इस्तेमाल कर सकता है.
4. जिस देश के साथ विदेशी मुद्रा बाजार में कितना खरीदना और बेचना है? करेंसी स्वैप एग्रीमेंट होता है संबंधित देश सस्ते ब्याज पर कर्ज ले सकता है. इस दौरान इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उस वक्त संबंधित देश की करेंसी का मूल्य क्या है या दोनों देशों के बीच की मुद्राओं के बीच की विनिमय दर क्या है.
आइये करेंसी स्वैप एग्रीमेंट को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं;
मान लो कि भारत में व्यापार करने करने वाले व्यापारी रमेश को 10 साल के लिए 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत है. रमेश किसी अमेरिकी बैंक से 1 मिलियन डॉलर का लोन लेने का प्लान बनाता है लेकिन फिर उसे याद आता है कि यदि उसने आज की विनिमय दर ($1 = रु.70) पर 7 करोड़ का लोन ले लिया और बाद में रुपये की विनिमय दर में गिरावट आ जाती है और यह विनिमय दर गिरकर $1 = रु.100 पर आ जाती है तो रमेश को 10 साल बाद समझौते के पूरा होने पर 7 करोड़ के लोन के लिए 10 करोड़ रूपये चुकाने होंगे. इस प्रकार रमेश को लोन लेने पर बाजार में उतार चढ़ाव के कारण 3 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है.
लेकिन तभी रमेश को एक फर्म से पता चलता है कि अमेरिकी व्यापारी अलेक्स को 7 करोड़ रुपयों की जरूरत है. अब रमेश और अलेक्स दोनों करेंसी विदेशी मुद्रा बाजार में कितना खरीदना और बेचना है? स्वैप का एग्रीमेंट करते हैं जिसके तहत रमेश 7 करोड़ रुपये अलेक्स को दे देता है और अलेक्स 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर रमेश को. दोनों के द्वारा समझौते की राशि का मूल्य $1 =रु.70 की विनिमय दर के हिसाब से बराबर है.
अब रमेश, अलेक्स को अमेरिका के बाजार में प्रचलित ब्याज दर (मान लो 3%) की दर से 1 मिलियन डॉलर पर ब्याज का 10 साल तक भुगतान करेगा और अलेक्स, रमेश को भारत के बाजार में प्रचलित ब्याज दर (मान लो 6%) के हिसाब से 7 करोड़ रुपयों के लिए ब्याज देगा.
समझौते की परिपक्वता अवधि (date of maturity) पर रमेश, अलेक्स को 1 मिलियन डॉलर लौटा देगा और अलेक्स भी रमेश को 7 करोड़ रुपये लौटा देगा. इस प्रकार के आदान-प्रदान के लिए किया गया समझौता ही करेंसी स्वैप कहलाता है.
इस प्रकार करेंसी स्वैप की सहायता से रमेश और अलेक्स दोनों ने विनिमय दर के उतार चढ़ाव की अनिश्चितता से बचकर अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा कर लिया है.
समय की जरुरत को देखते हुए भारत ऐसी ही समझौते अन्य देशों के साथ करने की तैयारी कर रहा है. भारत, कच्चा टेल खरीदने के लिए ईरान के साथ ऐसा ही समझौता करने की प्रोसेस में है. अगर भारत और ईरान के बीच यह समझौता हो जाता है तो भारत हर साल 8.5 अरब डॉलर बचा सकता है.
उम्मीद है कि ऊपर दिए गए विश्लेषण और उदाहरण की सहायता से आप समझ गए होंगे कि करेंसी स्वैप किसे कहते हैं और इससे किसी अर्थव्यवस्था को क्या फायदे होते हैं.
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