ब्रोकर डीलर

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ब्रोकर को लाभ

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क्या आप ट्रैक्टर ब्रोकर हैं?

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यदि हां, तो ट्रैक्टर जंक्शन आपके लिए उपयुक्त है। हम यहां दलालों "ब्रोकर डीलर्स" के लिए एक शानदार सेगमेंट लेकर आए हैं। ब्रोकर ट्रैक्टरों को अपडेट कर सकते हैं और इसे प्रमाणित खरीदारों को बेच सकते हैं। यह एक त्वरित और आसान प्रक्रिया है। यहां आप ट्रैक्टर अपलोड करके 5 प्रतिशत अधिक कमाई कर सकते हैं।

यहां ब्रोकर किसी भी ब्रांड के ट्रैक्टर को अपलोड कर सकते हैं, और ट्रैक्टर जंक्शन आपको सत्यापित खरीदार का आश्वासन देता है। आप अपने ट्रैक्टर को कुछ दिनों में बेच सकते हैं और त्वरित भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। हम आपकी ट्रैक्टर दृश्यता की भी परवाह करते हैं, इसीलिए हम पृष्ठ के शीर्ष पर आपके ट्रैक्टर को प्रदर्शित करते हैं।

Broker Dealer

ब्रोकर ट्रैक्टर जंक्शन पर ट्रैक्टर को कैसे अपडेट कर सकते हैं?

यह एक सरल प्रक्रिया है। बस ट्रैक्टर जंक्शन के ब्रोकर डीलर पृष्ठ पर जाएं और दिए गए फॉर्म में कुछ व्यक्तिगत और व्यावसायिक विवरण की जानकारी भरें।

  • आपका नाम
  • मोबाइल नंबर
  • अब आपको कम से कम तीन ट्रैक्टर ब्रांड भरने होंगे।
  • फिर भरें, एक महीने में कितने ट्रैक्टर खरीदते / बेचते हैं।
  • फिर अपना राज्य दर्ज करें
  • और जिला
  • अब अनुरोध भेजें ऑप्शन पर क्लिक करें।

फिर हमारी टीम आगे आपकी मदद करेगी और आप आगे की पूछताछ के लिए हमारे ट्रैक्टर जंक्शन नंबर 9770-976-976 पर व्हाट्सएप संदेश या कॉल भी कर सकते हैं। हम ट्रैक्टर ब्रोकर और डीलरों के सहयोग के लिए सबसे अच्छा ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।

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क्रेता को लाभ

अब खरीदारों को भी शानदार लाभ मिलते हैं, यहां जानें।
आप अपनी जरूरत के हिसाब से उचित मूल्य पर ट्रैक्टर चुन सकते हैं।
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अपनी जरूरत के अनुसार कई विकल्पों में से ट्रैक्टर का चयन करें।

एक ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं?

ट्रैक्टर जंक्शन एक ऐसी जगह है जहां आप उचित दर पर अपने लिए उपयुक्त ट्रैक्टर प्राप्त कर सकते हैं।

कम ब्याज दरों में तुरंत ऋण प्राप्त करें

"वित्त के बारे में चिंता करने से उत्पाद सस्ता नहीं होता है, बल्कि वित्त पोषण से ऐसा संभव है!"

वैश्विक बाजारों में विकास के साथ, नए युग के समाधानों ने भारतीय बाजारों के दरवाजे भी खटखटाए हैं। बजट और खर्चों की पारंपरिक समस्या को अब पिछले एक दशक के दौरान निपटा दिया गया है। ग्लोब को नए वित्तपोषण समाधान मिल गए हैं और इसलिए आपके पास हैं। भारतीय बाजारों में उपलब्ध ट्रैक्टर फाइनेंस की सुविधा उन खरीदारों के लिए अपार वृद्धि का एक बड़ा अवसर खोलते हैं जो शायद ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं, लेकिन किसी तरह अपने बजट और खर्चों से डरे हुए हैं।

यदि यह आपके सपने अपने ब्रोकर को जानें की मशीन को खरीदने में देरी का कारण था, तो देरी अब और नहीं।

ट्रैक्टर जंक्शन आपके सपनों की मशीन के लिए ट्रैक्टर लोन प्राप्त करने का विकल्प उपलब्ध कराता है और वह भी सभी नई योजनाओं और ऑफऱ के साथ, जो विभिन्न कंपनियों द्वारा अलग-अलग ब्रांडों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। हमारे बिजनेस पार्टनर की सूची के माध्यम से अपने लिए सबसे अच्छी योजनाओं का चयन करें। ईएमआई की गणना के साथ आवश्यक दस्तावेजों और अन्य औपचारिकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें। यह भ्रामक लग सकता है लेकिन ट्रैक्टर जंक्शन इस प्रक्रिया को सरल बनाता है। हमारे उच्च पेशेवर वित्त अधिकारी 24 3 7 काम करते हैं ताकि नए तरीकों और विशेषताओं को शामिल करके आपके लिए प्रक्रिया को और भी आसान बनाया जा सके, ताकि आप न्यूनतम दस्तावेजों से अपना पंसदीदा ट्रैक्टर खरीद सकें।

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Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें

मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं

Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं.

ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो ब्रोकर चुनने से पहले इन बातों का ध्यान रखें.

1. अपने मार्जिन पर ट्रेड करें

सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.

वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक अपने ब्रोकर को जानें को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.

Zerodha के COO वेणु माधव कहते हैं, "इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा."

2. फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा

अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.

3. भुगतान में देरी से सावधान रहें

ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.

4. ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें

अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.

5. अन्य सेवाओं की जानकारी

कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.

ट्रेडिंग अकाउंट में लाखों रुपए के नुकसान से बचना है तो गलती से भी न भूलें इन टिप्स को

हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर अपने ब्रोकर को जानें अपने ब्रोकर को जानें अपने ब्रोकर को जानें रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सभी लोगों.

ट्रेडिंग अकाउंट में लाखों रुपए के नुकसान से बचना है तो गलती से भी न भूलें इन टिप्स को

हाल के दिनों में फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आपको इनसे बचकर रहने की जरूरत है। अगर आप थोड़ी सी भी चूक होगी तो आपको लाखों रुपए का चूना लग सकता है। आजकल शेयर मार्केट में ट्रेडिंग में सभी लोगों की दिलचस्पी होती है और आप में से बहुत लोग शेयर बाजार में ट्रेडिंग भी करते होंगे, आपके ट्रेडिंग अकाउंट में काफी स्टॉक्स होंगे और उनकी वैल्यू भी काफी होगी। ऐसे में अगर आप सावधानी नहीं रखेंगे तो आपको लाखों रुपए का नुकसान होने की आशंका है। हम आपको बता रहे हैं, शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय किन बातों को गलती से भी नहीं भूलना चाहिए-

> केवल रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के साथ ही व्यवहार/अनुबंध करें - जिस ब्रोकर के साथ आप लेन-देन कर रहे हों, उसके रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जाँच कर लें।

> फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रोटेक्शन प्लान्स से सावधान रहें। ब्रोकर या उनके औथोरइज्ड व्यक्ति या उनका कोई भी प्रतिनिधि/कर्मचारी आपके इन्वेस्ट पर फिक्सड/गारंटीकृत/नियमित रिटर्न/कैपिटल प्रिजरवेसन देने के लिए औथोरइज्ड नहीं है या आपके द्वारा दिये गए पैसो पर ब्याज का भुगतान करने के लिए आपके साथ कोई लोन समझौता करने के लिए औथोरइज्ड नहीं है। कृपया ध्यान दें कि आपके खाते में इस प्रकार का कोई व्यवहार पाए जाने पर आपका दिवालिया/निष्कासित ब्रोकर संबंधी दावा निरहन कर दिया जाएगा।

> कृपया आपने 'केवाईसी' (KYC) पेपर में सभी जरूरी जानकारी खुद भरें और ब्रोकर से अपने 'केवाईसी' पेपर की नियम अनुसार साइन की हुई प्रति प्राप्त करें। उन सभी शर्तों की जांच करें जिन्हें आपने सहमति और स्वीकृति दी है।

> सुनिश्चित करें कि आपके स्टॉक ब्रोकर के पास हमेशा आपका नया और सही कांटैक्ट डिटेल हो जैसे ईमेल आईडी/मोबाइल नंबर। ईमेल और मोबाइल नंबर जरूरी है और एक्सचेंज रिकॉर्ड में अपडेट के लिए आपको अपने ब्रोकर को मोबाइल नंबर देना होगा। यदि आपको एक्सचेंज/डिपॉजिटरी से नियमित रूप से संदेश नहीं मिल रहे हैं, तो आपको स्टॉक ब्रोकर/एक्सचेंज के पास इस मामले को उठाना चाहिए।

> इलेक्ट्रॉनिक (ई-मेल) कॉन्ट्रैक्ट नोट्स/फाइनेंशियल डिटेल्स का चयन सिर्फ तभी करें जब आप खुद कंप्यूटर के जानकार हों और आपका अपना ई-मेल अकाउंट हो और आप उसे प्रतिदिन/नियमित देखते हो।

> आपके द्वारा किए गए ट्रेड के लिए एक्सचेंज से प्राप्त हुए किसी भी ईमेल/एसएमएस को अनदेखा न करें। अपने ब्रोकर से मिले कॉन्ट्रैक्ट नोट/अकाउंट के डिटेल से इसे वेरिफ़ाई करें। यदि कोई गड़बड़ी हो, तो अपने ब्रोकर को तुरंत इसके बारे में लिखित रूप से सूचित करें और यदि स्टॉक ब्रोकर जवाब नहीं देता है, तो एक्सचेंज/डिपॉजिटरी को तुरंत रिपोर्ट करें।

> आपके द्वारा निश्चित की गई अकाउंट के सेटलमेंट कि फ्रिक्वेन्सी की जांच करें। यदि आपने करेंट अकाउंट (running account) का ऑप्शन चुना है, तो कृपया कन्फ़र्म करें कि आपका ब्रोकर आपके अकाउंट का नियमित रूप से सेटलमेंट करता है और किसी भी स्थिति में 90 दिनों में एक बार ( यदि आपने 30 दिनों के सेटलमेंट का विकल्प चुना है तो 30 दिन) डिटेल्स भेजता है । कृपया ध्यान दें कि आपके ब्रोकर द्वारा डिफॉल्ट होने अपने ब्रोकर को जानें की स्थिति में एक्सचेंज द्वारा 90 दिनों से अधिक की अवधि के दावे एक्सैप्ट नहीं किए जाएंगे।

> डिपॉजिटरी से प्राप्त जॉइंट अकाउंट की जानकारी (Consolidated Account Statement- CAS) नियमित रूप से वेरिफ़ाई करते रहें और अपने ट्रेड/लेनदेन के साथ सामंजस्य स्थापित करें।

> कन्फ़र्म करें कि पे-आउट की तारीख से 1 वर्किंग डे के भीतर आपके खाते में धनराशि/सिक्योरिटी (शेयर) का पेमेंट हो गया हो। कन्फ़र्म करें कि आपको अपने ट्रेड के 24 घंटों के भीतर कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलते हों।

> एनएसई की वेबसाइट पर ट्रेड वेरिफिकेशन की सुविधा भी उपलब्ध है जिसका उपयोग आप अपने ट्रेड के वेरिफिकेशन के लिए कर सकते हैं।

> ब्रोकर के पास अनावश्यक बैलेंस न रखें। कृपया ध्यान रहे कि ब्रोकर के दिवालिया निष्कासित होने पर उन खानों के दावे स्वीकार नहीं होंगे जिनमें 90 दिन से कोई ट्रेड ना हुआ हो।

> अपने ब्रोकर को जानें ब्रोकर्स को सिक्यूरिटि के ट्रांसफर को मार्जिन के रूप में स्वीकार करने की अनुमति नहीं है। मार्जिन के रूप में दी जाने वाली सिक्योरिटी ग्राहक के अकाउंट में ही रहनी चाहिए और यह ब्रोकर को गिरवी रखी जा सकती हैं। ग्राहकों को किसी भी कारण से ब्रोकर या ब्रोकर के सहयोगी या ब्रोकर के औथोरइज्ड व्यक्ति के साथ कोई सिक्यूरिटी रखने की अनुमति नहीं है। ब्रोकर केवल कस्टमर द्वारा बेची गई सिक्योरिटी के डिपोजिट करने के लिए ग्राहकों से संबंधित सिक्योरिटी ले सकता है।

> भारी मुनाफे का वादा करने वाले शेयर/सिक्योरिटी में व्यापार करने का लालच देकर ईमेल और एसएमएस भेजने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आएं। किसी को अपना यूजर आईडी और पासवर्ड ना दें। आपके सारे शेयर या बैलेंस शून्य हो सकता है। यह भी हो सकता है कि आपके खाते में बड़ी राशि की वसूली निकल आए।

> पीओए (पावर ऑफ अटॉर्नी) देते समय सावधान रहें - सभी अधिकार जिनका स्टॉक ब्रोकर प्रयोग कर सकते हैं और समय सीमा जिसके लिए पीओए मान्य है, इसे स्पष्ट रूप से बताएँ। यह ध्यान रहे कि सेबी/एक्सचेंजों के अनुसार पीओए अनिवार्य / आवश्यक नहीं है।

> ब्रोकर द्वारा रिपोर्ट किए गए फंड और सिक्योरिटी बैलेंस के बारे में साप्ताहिक आधार पर एक्सचेंज द्वारा भेजे गए मैसेजों की जांच करें और यदि आप इसमें कोई अंतर पाते हैं, तो तुरंत एक्सचेंज को शिकायत करें।

> किसी के साथ पासवर्ड (इंटरनेट अकाउंट) शेयर न करें। ऐसा करना अपने सुरक्षित पैसे शेयर करने जैसा है।

> कृपया सेबी के रेजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के अलावा किसी औथोरइज्ड व्यक्ति या ब्रोकर के सहयोगी सहित किसी को भी ट्रेडिंग के उद्देश्य से फंड ट्रांसफर न करें।

डिस्क्लेमर- जानकारी आपको एनएसई से मिली सूचना के आधार पर है।

Exclusive: निवेशकों के लिए अच्छी खबर! जल्द मोबाइल ऑपरेटर की तरह बदल सकेंगे ब्रोकर्स, जानें कब से लागू हो सकता है नियम

Demat Account Change Rules: निवेशक जब चाहें ब्रोकर्स बदल सकते हैं. ब्रोकर्स इंटरोऑपरेबिलिटी पर SEBI विचार कर रहा है. SEBI और एक्सचेंज के बीच चर्चा जारी है. दिसंबर के अंत तक सेबी इस संबंध में नियम जारी कर सकता है.

इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम (Interoperability Scheme) के तहत निवेशक जल्द ही अपने ब्रोकर को बदल सकेंगे.

Demat Account Change Rules: स्टॉक मार्केट में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छी खबर है, अब वे मोबाइल फोन ऑपरेटर्स की तरह अपने ब्रोकर्स अपने ब्रोकर को जानें को बदल सकेंगे. जी हां, इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम (Interoperability Scheme) के तहत, निवेशक जल्द ही अपने ब्रोकरों को बदल सकेंगे अगर वे उनकी सेवा से संतुष्ट नहीं हैं. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (Sebi) और स्टॉक एक्सचेंज इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इस योजना को कैसे क्रियान्वित किया जा सकता है.

दिसंबर तक जारी हो सकता है नियम

उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक सेबी इस संबंध में नियम जारी कर सकता है. निवेशक जब चाहें ब्रोकर्स बदल सकते हैं. ब्रोकर्स इंटरोऑपरेबिलिटी पर SEBI विचार कर रहा है. SEBI और एक्सचेंज के बीच चर्चा जारी है.

अभी क्या है नियम?

वर्तमान में, अगर निवेशक ब्रोकर्स को बदलना चाहते हैं, तो उन्हें अपने मौजूदा ब्रोकर से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेना होगा और अपने फंड को नए ब्रोकर को ट्रांसफर करने से पहले अपनी स्थिति शून्य बनानी होगी. कहा जा रहा है कि मार्केट रेगुलेटर नियमों में इस तरह की कवायद को खत्म कर देगा. नियम लागू होने के बाद अब निवेशक मार्जिन के साथ फंड ट्रांसफर कर सकता है.

🔸निवेशक जब चाहे अपना ब्रोकर बदल सकेंगे

🔸ब्रोकर्स इंटरोऑपरेबिलिटी पर SEBI कर रहा है विचार

🔸SEBI और एक्सचेंज के बीच चर्चा जारी

विचाराधीन इंटरऑपरेबिलिटी स्कीम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मार्केट एक्सपर्ट और सेठी फिनमार्ट प्राइवेट के एमडी विकास सेठी ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है और उन निवेशकों के लिए अच्छी खबर है जो एक ब्रोकर के कारण परेशान हैं और किसी अन्य समान फर्म को फंड ट्रांसफर नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा कि अब ब्रोकरों को अपनी सेवाओं में सुधार पर और काम करना होगा. यह उन्हें निवेशकों के प्रति अधिक जवाबदेह भी बनाएगा. यह सही दिशा में एक कदम है, जो अच्छी सेवाएं दे रहे हैं उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन जो पिछड़ रहे हैं उन्हें सुधार करना होगा.

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