जहाँगीर ने ऐसा ना किया होता तो भारत अंग्रेजों का गुलाम कभी ना बनता
1615 में जहांगीर के दरबार (मुगल सम्राट) में सर थॉमस रो की भारत यात्रा ने अंग्रेजों के लिए भारत में व्यापार के दरवाज़े खोल दिए, लेकिन जानने योग्य यह है कि भारतीय भूमि पर ऐसा क्या हुआ जिससे इस तुच्छ तथ्य ने जहांगीर के कदमो को भारतीय इतिहास में एक दिलचस्प झलक बना दी।
भारत मे अंग्रेजों के आगमन को एक नये युग का सूत्रपात माना जा सकता है। सन् 1600 ई. में कुछ अंग्रेज व्यापारियों ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ से, भारत से व्यापार करने की अनुमति ली। इसके लिए उन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी नामक एक कम्पनी बनाई।
उस समय भारत पर मुगल बादशाह ज़हाँगीर का शासन था। हॉकिंस अपने साथ इंग्लैण्ड के बादशाह जेम्स प्रथम का एक पत्र ज़हाँगीर के नाम लाया था। उसने सन 1608-09 के दौरान ज़हाँगीर के राज-दरबार में स्वयं को राजदूत के रूप में पेश किया तथा घुटनों के बल झुककर उसने बादशाह ज़हाँगीर को सलाम किया। चूंकि वह इंग्लैण्ड के सम्राट का राजदूत बनकर आया था, इसलिए ज़हाँगीर ने भारतीय परम्परा के अनुरूप अतिथि का विशेष स्वागत किया तथा उसे सम्मान दिया। जब अंग्रेजों का दूत कैप्टेन हाकिंस मुग़ल सम्राट जहाँगीर के दरबार में भारत से व्यापार करने की अनुमति लेने गया तो जहाँगीर ने अनुमति नही दी ।
लेकिन 1615 तक ऐसा क्या हुआ कि जब टोमस रो जहाँगीर के दरबार में व्यापार की अनुमति लेने गया तो जहाँगीर ने उसे ना सिर्फ व्यापार की अनुमति दे दी बल्कि उसे काफी सम्मान भी दिया। तो क्या आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि जहाँगीर ने ऐसा क्यों किया और इस अनुमति ने पूरे भारत को कैसे गुलामी व्यापार करने के लिए सबसे अच्छा वायदा अनुबंध में धकेल दिया। आइये जानते हैं उस घटना के बारे में-
घटना तब की है जब जहांगीर की बेटी जहाँआरा अपने 30वें जन्मदिन के जश्न की तैयारी के दौरान गंभीर रूप से जल गई जिससे सम्राट परेशान हो गया और डर गया। सम्राट ने उसके अच्छा होने के लिए, हाकिमो और वैद्यों की पूरी सेना लगा दी और साथ-साथ प्रार्थना करने के लिए पवित्र स्थानों की यात्रा भी की परन्तु उसकी बेटी की हालत वैसी ही रही। जबकि भारत एक ऐसे देशों में से था जहा की आयुर्वेदिक प्रणाली बहुत विकसित थी लेकिन दुर्भाग्य से ये चिकित्सा भी विफल रही।
जहांगीर के दरबार में सर थॉमस रो (जेम्स मैं के राजदूत) की यात्रा के दौरान उन्होंने पाया कि जहांगीर परेशान था और इसलिए उन्होंने कारण पूछा। तब जहांगीर ने उसे अपनी बेटी की जली चोटों की हालत के बारे में और भारतीय हकीम / वैद् के असफल प्रयास के बारे में बताया । फिर थॉमस रो ने ब्रिटिश डॉक्टर की मदद से और ब्रिटिश मेडिकल सिस्टम (आधुनिक समय का एलोपैथिक) के माध्यम से उसकी बेटी का इलाज करने के लिए उसकी अनुमति मांगी।
सर थॉमस रो (जो एक अंग्रेजी चिकित्सक था) को जहांगीर की बीमार बेटी के इलाज के लिए मुगल अन्त:पुर (Harem) (मुगल अन्त:पुर में प्रवेश करने वाला पहला यूरोपीय था) में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई । एक सप्ताह के भीतर जहांगीर की बेटी की जली हुई त्वचा ठीक होने लगी और अन्य कुछ हफ्तों में वह अपने पैरों पर चलने लगी । मुगल सम्राट जहांगीर सर थॉमस रो का बहुत आभारी था और उसने अपनी बेटी की जान बचाने के लिए बदले में कुछ भी देने के लिए उससे वादा कर दिया था।
फिर सर थॉमस रो ने ब्रिटिश देशवासियों को मुगल दायरे के प्रशासन में व्यापार के लिए अनुमति देने के लिए कहा । जहांगीर अनुमति देना कभी नहीं चाहता था क्योंकि पुर्तगाली भारतीयों को पहले से ही परेशान कर रहें थे व्यापार करने के लिए सबसे अच्छा वायदा अनुबंध लेकिन अपने वादे की खातिर उसने रॉयल आदेश (अर्थात् फरमान) जारी करके अंग्रेजों को व्यापार के लिए अनुमति दे दी थी।
इस तरह से जहांगीर की बेटी की जान बचाने के लिए ब्रिटिश लोगो को भारत में मुक्त व्यापार करने की अनुमति मिल गई थी और फिर यही ब्रिटिशों ने 250 वर्षों तक भारत पर शासन किया। जहाँगीर ने ये बिलकुल नहीं सोचा था की बेटी की जान को बचाने के लिए जो वादा किया था वो उसके परिवार के वंश की मौत पर मुगलों का व्यय बन जायेगा।
ऐसे बनाएं नर्सिंग में करियर, लाखों में पैकेज, विदेश में भी जॉब के मौके
आज पूरी दुनिया में हेल्थ केयर वर्कर्स सरकार और प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. डॉक्टर्स के बाद नर्स का एक ऐसा पद है जो सेवा के जरिये लोगों को संतुष्टि भी दे रहा है. आइए जानते हैं कि नर्सिंग की पढ़ाई के कितने फायदे हैं, विदेश में नौकरी के क्या हैं अवसर. कैसे बनते हैं नर्स.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 23 अप्रैल 2020,
- (अपडेटेड 23 अप्रैल 2020, 8:14 PM IST)
मानवता की सेवा के लिए नर्सिंग की जॉब को सबसे बेहतर माना जाता है. अगर आप में भी सेवाभाव, सहनशीलता और समर्पण जैसे गुणों के साथ रोगियों और दुखियों की सेवा करने का जुनून है तो नर्सिंग आपके लिए बेस्ट करियर है. तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी लम्बे समय तक काम करने की क्षमता रखने वालों के लिए यह सबसे अच्छा है. आइए जानते हैं कि नर्सिंग में करियर कैसे बना सकते हैं.
ऐसे करें शुरुआत
नर्स (परिचर्या) बनने के इच्छुक लोग विभिन्न स्तरों से इसकी शुरुआत कर सकते हैं. आप सहायक नर्स मिडवाइफ/हेल्थ वर्कर (एएनएम) कोर्स से शुरू कर सकते हैं. इस डिप्लोमा कोर्स की अवधि डेढ़ वर्ष है और न्यूनतम योग्यता दसवीं पास है. इसके अलावा आप जनरल नर्स मिडवाइफरी (जीएनएम) कोर्स भी कर सकते हैं जो कि साढ़े तीन साल का होता है. इसके लिए न्यूनतम योग्यता 40 प्रतिशत अंकों के साथ भौतिक, रासायनिक एवं जीव विज्ञान में बारहवीं उत्तीर्ण होना है.
एएनएम व जीएनएम के अलावा देश भर में फैले हुए विभिन्न नर्सिंग स्कूलों-कॉलेजों से नर्सिंग में स्नातक भी किया जा सकता है. इसके लिए न्यूनतम योग्यता 45 प्रतिशत अंकों के साथ अंग्रेज़ी, भौतिक, रासायनिक एवं जीव विज्ञान में बारहवीं उत्तीर्ण रखी गई है. इसके लिए आपकी आयु कम से कम 17 वर्ष होनी चाहिए.
बीएससी नर्सिंग (बेसिक के पश्चात) पाठ्यक्रम के लिए आप दो वर्ष के रेगुलर कोर्स या त्रिवर्षीय दूरस्थ शिक्षा वाले पाठ्यक्रम में से किसी एक को चुन सकते हैं. रेगुलर कोर्स के लिए जहां न्यूनतम योग्यता 10+2+जीएनएम है. वहीं दूरस्थ शिक्षा से यह कोर्स करने के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2+जीएनएम+ दो वर्ष का अनुभव है. बता दें कि बेसिक बीएससी नर्सिंग कोर्स ही आधुनिक माना जाता है.
भारतीय रक्षा सेवाओं द्वारा संचालित बीएससी (नर्सिंग) कोर्स के लिए 17 से 24 वर्ष की महिलाओं का चयन किया जाता है. यहां भी न्यूनतम योग्यता भौतिक, रसायन, जीव विज्ञान तथा अंग्रेज़ी विषयों में 45 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं है. प्रार्थी को एक लिखित परीक्षा भी पास करनी होती है. उसे शारीरिक रूप से भी फिट रहना चाहिए. चयनित लोगों को रक्षा सेवाओं के लिए पांच वर्ष का अनुबंध करना होता है.
किसी भी आयुर्विज्ञान संस्थान में नौकरी प्राप्त करने के लिए जीएनएम अथवा बीएससी ही पर्याप्त होता है. प्रत्येक राज्य में नर्सों को रजिस्टर करने वाली अलग-अलग संगठन होते हैं. शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात आप अपने राज्य की नर्सिंग काउंसिल में अपना पंजीकरण करा सकते है. पंजीयन आपको जॉब प्राप्त करने में सहायता करता है.
नर्सिंग के बेसिक कोर्स के अलावा आप पोस्ट-बेसिक स्पेशियलिटी (एक-वर्षीय डिप्लोमा) कोर्स करके निम्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता भी हासिल कर सकते हैं:
कार्डिएक थोरेकिक नर्सिंग
इमरजेंसी एवं डिजास्टर नर्सिंग
नवजात की परिचर्या (नियो-नेटल नर्सिंग)
मस्तिष्क-संबंधी रोगों में परिचर्या (न्यूरो नर्सिंग)
नर्सिंग शिक्षा एवं प्रशासन
कर्क-रोग संबंधी नर्सिंग (ऑन्कोलोजी नर्सिंग)
विकलांग चिकित्सा नर्सिंग
मिड वाइफरी प्रैक्टिशनर
मनोरोग परिचर्या (साइकैट्रिक नर्सिंग)
नर्सिंग की पढ़ाई का खर्च संस्थान पर निर्भर करता है. सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज, निजी संस्थानों की अपेक्षा कम दर पर शिक्षा मुहैय्या कराते हैं. निजी संस्थान बीएससी नर्सिंग कोर्स के लिए 40,000 से 1,80,000 तक वार्षिक फीस वसूलते हैं. जीएनएम कोर्स के लिए यहां फीस 45,000 से 1,40,000 के बीच होती है. वहीं सरकारी कॉलेजों से इसकी फीस काफी कम होती है.
नौकरी के अपार अवसर
सरकारी अथवा निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम, अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, आरोग्य निवास, विभिन्न अन्य उद्योगों एवं रक्षा सेवाओं में ट्रेंड नर्सों के लिए नौकरी के अपार अवसर हैं. इनके लिए इन्डियन रेड-क्रॉस सोसाइटी, इन्डियन नर्सिंग काउंसिल, स्टेट नर्सिंग काउन्सिल्स और अन्य नर्सिंग संस्थानों में भी कई अवसर हैं. यहां तक कि एएनएम कोर्स के बाद ही इन्हें सारे देश में फैले हुए प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवक के रूप में नौकरी मिल जाती है.
नर्सें मेडिकल कॉलेज व नर्सिंग स्कूलों में शिक्षण कार्य के अलावा प्रशासनिक कार्य भी कर सकती हैं. उद्यमी लोग अपना खुद का नर्सिंग ब्यूरो शुरू करके अपनी शर्तों पर काम कर सकते हैं.
इस क्षेत्र में शुरुआती तौर पर आपको 7 से 17 हज़ार रुपये तक मासिक वेतन मिल सकता है. मिड-लेवल पदों पर नर्सें 18 से 37 हज़ार रुपये प्राप्त कर लेती हैं. अधिक अनुभवी नर्सों को 48 से 72 हज़ार रुपये तक भी मासिक वेतन के रूप में मिल सकते हैं. यूएस, कनाडा, इंग्लैण्ड व मध्य-पूर्व के देशों में रोज़गार पाने वाली नर्सों को इससे भी अधिक वेतन मिलता है.
विदेश में भी जॉब के मौके
विदेशों में उच्च शिक्षित नर्सों की बहुत मांग है. भारत कई देशों में नर्सों की आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश बन चुका है. अच्छे पैसे व बेहतर रहन-सहन की चाहत में अनुभवी भारतीय नर्सें विदेशों का रुख करने लगी हैं. देश में नर्सों की संख्या में कमी की एक बड़ी वजह यह भी है
नर्सिंग करियर के लिए अपनाएं ये 3 स्टेप
स्टेप 1. किसी प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री या डिप्लोमा करें.
स्टेप 2. किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करना आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा.
स्टेप 3. कोर्स के बाद स्वयं को किसी भी राज्य की नर्सिंग काउंसिल में पंजीकृत कराना.
रेरा कानून क्या है: रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी रजिस्ट्रेशन और स्वीकृति (अप्रूवल) के बारे में सारी जानकारी
रियल एस्टेट एक्ट के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को अपने कानून के नियम अगले 6 महीने में केंद्रीय कानून के मॉडल नियमों के आधार पर नोटिफाई करने की जरूरत है. यहाँ देखें कि रेरा स्वीकृत प्रोजेक्ट्स कैसे प्राप्त करें और विभिन्न राज्यों में रेरा पर नवीनतम अपडेट जानें।
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रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (रेरा / RERA) एक कानून है, जिसे भारतीय संसद ने पास किया था. रेरा का मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों का निवेश बढ़ाना और उनके हितों की रक्षा करना है. 10 मार्च 2016 को राज्यसभा ने रेरा बिल को पास किया था. इसके बाद 15 मार्च 2016 को लोकसभा ने इसे पास किया. 1 मई 2016 को इसे लागू किया गया. 92 में से 59 सेक्शन्स 1 मई 2016 को नोटिफाई किए गए और बाकी के प्रावधान 1 मई 2017 से लागू कर दिए गए . इस कानून के तहत, अगले 6 महीने में केंद्रीय कानून के मॉडल नियमों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को अपने नियम नोटिफाई करने हैं.
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[Sansar Editorial] भारत और जापान के बीच करेंसी स्वैप करार – समझौते का महत्त्व
भारत और जापान ने 29 अक्टूबर, 2018 के बीच 75 अरब डॉलर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली (currency swap) की व्यवस्था पर समझौता हुआ. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह करार भारतीय रुपये की विनिमय दर और पूँजी बाजार में स्थिरता बनाए रखने में सहायक सिद्ध होगा.
The Indian Express Editorial – “Explained: Where India, Japan ties stand now and what is planned for the future.”
समझौते का आर्थिक महत्त्व
- विदित हो कि भारत ने जापान के साथ व्यापार करने के लिए सबसे अच्छा वायदा अनुबंध 75 अरब डॉलर का मुद्रा अदला-बदली (currency swap) समझौता किया है. इस समझौते के अनुसार दोनों देश अब 75 अरब डॉलर तक के बराबर राशि का भुगतान आपसी मुद्रा में, यानी भारतीय रुपये या जापानी येन में कर सकेंगे. कहा जा रहा है कि इस समझौते के द्वारा भारत में गिरते रुपये के मूल्य और पूंजी बाज़ार की अस्थिरता को में सँभालने में मदद मिलेगी. भारत और जापान के मध्य व्यापार करने के लिए सबसे अच्छा वायदा अनुबंध टु-प्लस-टु संवाद को लेकर भी सहमति बन गई है.
- इस महत्त्वपूर्ण भेंट में दोनों देशों ने एशिया-प्रशांत में साझी रणनीति और चीन के विस्तार नीति पर खुल कर चर्चा की.
- 5-G लैब निर्मित करने के लिए टेक महिंद्रा और रॉकटेन के बीच करार हुआ.
- दोनों देशों ने योग और आयुर्वेद में सहयोग करने का वादा किया.
इस समझौते का रणनीतिक महत्त्व
- एशिया-प्रशांत में चीन की बढ़ती व्यापार करने के लिए सबसे अच्छा वायदा अनुबंध ताकत और सैन्य हस्तक्षेप को लेकर भारत और जापान दोनों देश चिंतित हैं. उधर अमेरिका भी चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर अत्यंत सजग है.
- भारत सरकार भी Act East Policy के अंतर्गत दक्षिणी-पूर्वी एशिया और पूर्वी एशिया से संबंधों को दृढ़ बनाना चाहती है. जापान के सन्दर्भ में भारत के भरोसे का अनुमान सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल जापान को ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश करने की अनुमति प्राप्त है.
- वर्तमान में जापान की दो अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ, मेघालय और मिजोरम में चल रही हैं. इस समझौते से आपस रिश्ते मजबूत होने के बाद इस सूची में और अधिक परियोजनाओं के जोड़े जाने की संभावना है.
- भारतीय और जापानी सेनाओं के मध्य पहला सैन्य अभ्यास ‘धर्मा गार्डियन‘ अगले मास ही आरम्भ होने जा रहा है. यह अभ्यास पू्र्वोत्तर भारत में सम्पन्न होगा.
- वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत और जापान के मध्य केवल 13.61 अरब डॉलर का व्यापार हुआ इसलिए यह कहा जा सकता है कि इन दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है.
जापान Vs चीन
- जापान और चीन के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. हालिया सर्वेक्षण के अनुसार केवल 11% जापानी चीन के लिए सकारात्मक मत रखते हैं और दूसरी तरफ मात्र 14% चीनी जापान देश के बारे में अच्छे राय रखते हैं.
- 1931 में जापान ने चीन के मंचूरिया पर आक्रमण किया था. यह आक्रमण उस विस्फोट का बदला था जो जापानी नियंत्रण वाले रेलवे लाइन के निकट हुआ था. इसी बीच जापानी सैनिकों के विरुद्ध चीनी सैनिक टिक नहीं पाए और अंततः जापान ने चीन के कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया.
- उसके बाद से जापान चीन पर अपनी पकड़ मजबूत बनाता रहा. दूसरी तरफ चीन कम्युनिस्टों एवं राष्ट्रवादियों के गृह युद्ध से स्वयं परेशान था.
- कई जापानियों को यह आपत्ति है कि चीन में जापान के इस आक्रमण को वहाँ की स्कूली टेक्स्ट बुक में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.
- दूसरे विश्व युद्ध के बाद सब शांत पड़ गया और चीन अब सैन्य ताकत के मामले में काफी तीव्र गति से आगे निकल रहा है.
जापान-भारत-चीन
- जापान और भारत दोनों देशों का चीन से रिश्ता कभी भी अच्छा नहीं रहा है. जापान और भारत का चीन से व्यापारिक हित ही वह कारक मात्र है जिसके चलते ये दोनों देश और खुद चीन भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. पर दोनों देश समान रूप से चीन की महत्वाकांक्षी योजना One Belt One Road का पुरजोर विरोध करते आये हैं
- भारत का चीन के साथ सीमा-विवाद तो जगजाहिर है. दूसरी तरफ जापान का भी चीन के साथ समुद्री विवाद है. दक्षिण चीन सागर में जापान द्वारा युद्धपोत और हेलिकॉप्टर कैरियर JS Kaga तैनात किया गया है जो अमरीकी सैन्य बेड़े का सहयोग देता है.
- जापान का अफ़्रीकी देश जिबूती में अपना नौसैनिक बेस है. यह पश्चिमी देशों और भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है. भारतीय प्रधानमंत्री ने इस दौरे में जापान के सामने एक दूसरे की सैन्य सुविधाओं के प्रयोग पर भी समझौता करने का प्रस्ताव रखा है.
- भारत का अनुमान है कि जापान से मित्रता विपरीत स्थिति में काम आ सकती है. रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद तीन बार जापान जा चुके हैं और जापानी प्रधानमंत्री भी 2014, 2015 एवं 2017 में भारत आ चुके हैं. 2005 के बाद से दोनों देशों के प्रमुख लगभग प्रत्येक वर्ष मिलते रहे हैं.
विश्लेषण
आज भारत-जापान के बीच करीब 13 से 15 अरब डॉलर का व्यापार होता है जो चीन के साथ होने वाले व्यापार का एक चौथाई हिस्सा व्यापार करने के लिए सबसे अच्छा वायदा अनुबंध है. जबकि जापान-चीन का व्यापार लगभग 300 अरब डॉलर का है. जापान, भारत के लिए सबसे बड़ा दानकर्ता देश है और FDI प्रदान करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश भी है. हालाँकि 2013 से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार गिरावट आई है.
दोनों देशों ने उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण और दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधि के चलते इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए रक्षा संबंधों को मजबूत करने का निर्णय लिया है.
हाल ही में कनेक्टिविटी निर्माण के लिए एक अन्य प्रमुख पहल के तौर पर एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर का अनावरण किया गया. इस पहल के तहत जापान ने 30 बिलियन डॉलर और भारत ने 10 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है. इसे लाभप्रद बनाने के लिए भारत को विदेशों में परियोजनाओं को लागू करने की अपनी शैली में बदलाव लाने की आवश्यकता है. भारत इस प्रकार की अधिकांश परियोजनाएँ लागत और पूरा करने में अधिक समय लेने जैसी समस्याओं से ग्रस्त है.
Tags: भारत और जापान के बीच क्या समझौते हुए? 2018 meeting Modi highlights. Japan व्यापार करने के लिए सबसे अच्छा वायदा अनुबंध and India currency swap explained. समझौते agreement का सामरिक, रणनीतिक महत्त्व in Hindi.
डीजल के दाम में लगातार 5वें दिन गिरावट
नई दिल्ली। डीजल ( diesal ) के दाम में सोमवार को लगातार पांचवें दिन ( fifth days ) गिरावट का सिलसिला जारी रहा, हालांकि पेट्रोल ( petrol rates ) के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ। एक दिन पहले तेल विपणन कंपनियों ( Oil Companies ) ने पेट्रोल के दाम में कटौती की थी। देश के चार प्रमुख महानगरों दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में डीजल सोमवार को फिर छह पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार ( international market ) में कच्चे तेल ( crude oil ) में फिर नरमी देखी जा रही है, जिससे पेट्रोल और डीजल के भाव में और राहत मिलने की उम्मीद बनी हुई है।
इंडियन ऑयल ( indian oil ) की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम पूर्ववत क्रमश:71.99 रुपए, 74.69 रुपए, 77.65 रुपए और 74.78 रुपए प्रति लीटर बने रहे। हालांकि, चारों महानगरों में डीजल के दाम भी घटकर क्रमश: 65.43 रुपए, 67.81 रुपए, 68.60 रुपए और 69.13 रुपए प्रति लीटर हो गए हैं।
कच्चे तेल की वैश्विक मांग ( international demand ) कमजोर रहने के कारण कीमतों में फिर नरमी देखी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर सोमवार को बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के अक्टूबर वायदा अनुबंध में 0.09 फीसदी की कमजोरी के साथ 58.48 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था। वहीं, न्यूयार्क मर्केटाइल एक्सचेंज पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट के सितंबर डिलीवरी अनुबंध में 0.20 फीसदी की कमजोरी के साथ 54.39 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी व करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता के अनुसार अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर का साया पूरी दुनिया पर पड़ा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती का माहौल है। लिहाजा कच्चे तेल की खपत मांग कमजोर रहने से कीमतों पर लगातार दबाव बना हुआ है। ब्रेंट क्रूड का भाव अगस्त महीने में अब तक सात डॉलर प्रति बैरल घट चुका है। वहीं, इस साल सबसे ऊंचे भाव से तुलना करें तो पिछले करीब साढ़े तीन महीने में ब्रेंट क्रूड का दाम करीब 17 डॉलर प्रति बैरल घट गया है। गौरतलब है कि 25 अप्रेल को आईसीई पर ब्रेंट क्रूड का भाव 75.60 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया था।
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