एफडी पर भी पा सकते हैं 8 फीसदी रिटर्न !

आरबीआई द्वारा पिछले तीन महीने में रेपो रेट में 140 बेसिस प्वाइंट की बढोतरी किए जाने के बाद से फिक्स्ड डिपॉजिट की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। आने वाले दिनों में रेपो रेट में और बढोतरी की संभावना प्रबल है, क्योंकि खुदरा महंगाई दर अभी भी आरबीआई के कम्फर्ट जोन यानी 2 से 6 फीसदी के ऊपर है। निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प साथ ही अमेरिकी केंद्रीय बैंक यानी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में और बढ़ोतरी के संकेत आ रहे हैं।

अगर आरबीआई भविष्य में ब्याज दरों में और इजाफा करता है तो स्वाभाविक है कि एफडी पर ब्याज दरों में और बढोतरी होगी। इस संभावना को इस बात से भी बल मिला है कि बैंकों का डिपॉजिट ग्रोथ फिलहाल क्रेडिट ग्रोथ की तुलना में तकरीबन 5 फीसदी कम है। यानी बैंकों में जितना जमा हो रहा है उससे ज्यादा बैंक उधार दे रहे हैं।

कहने का कुल मतलब यह है कि एकमुश्त नहीं भी तो थोड़ा रुक-रुक कर एफडी में निवेश की शुरुआत की जा सकती है। लेकिन बैंक एफडी पर रियल रेट ऑफ रिटर्न अभी भी माइनस में है यानी इंटरेस्ट महंगाई की तुलना में कम है। जुलाई के लिए खुदरा महंगाई 6.71 फीसदी रही। जबकि ज्यादातर बडे प्राइवेट व सरकारी बैंक एफडी पर अभी भी 5 से 6 फीसदी इंटरेस्ट दे रहे हैं। इसलिए कॉरपोरेट यानी कंपनी एफडी उन लोगों के लिए निवेश का बेहतर विकल्प है जो फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश को प्राथमिकता देते हैं और चाहते हैं कि उनका रियल रेट ऑफ रिटर्न पॉजिटिव हो।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कॉरपोरेट निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प एफडी के तहत कंपनियां अपनी जरूरतों के लिए पूंजी जुटाने के मकसद से आम लोगों को निश्चित अवधि के लिए निवेश का ऑफर देती हैं। बदले में कंपनियां जमाकर्ता/निवेशक को फिक्स्ड ब्याज देती है। कंपनियों को बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों से लोन लेने पर ज्यादा ब्याज (15 से 20 फीसदी) देना पड़ता है। ऐसे में उनके लिए आम जनता के बीच सीधे जाकर कॉरपोरेट एफडी के जरिए पैसा निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प जुटाना फायदेमंद है।

सामान्यतया कॉरपोरेट एफडी पर बैंक एफडी के मुकाबले 2 से 3 फीसदी तक ज्यादा ब्याज मिलता है। फिलहाल कॉरपोरेट एफडी पर 9 फीसदी तक का ब्याज मिल रहा है। जबकि बैंक एफडी पर यह 5 से 6 फीसदी है। यही वजह है कि कॉरपोरेट एफडी बैंक एफडी के मुकाबले निवेशकों को ज्यादा आकर्षित करती है। लेकिन एक आम निवेशक को कॉरपोरेट एफडी में निवेश करते समय रिटर्न के अतिरिक्त जोखिम (रिस्क) और लिक्विडिटी पर भी ध्यान देना चाहिए। आइए जानते हैं कि कॉरपोरेट एफडी में निवेश करने से पहले किन बातों को जानना जरूरी है।

कंपनी एफडी की निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प रेटिंग

सिर्फ ज्यादा ब्याज देखकर किसी कंपनी के एफडी में निवेश करने का फैसला न करें। ब्याज के साथ कंपनी एफडी का क्रेडिट रेटिंग जरूर देखें। क्रिसिल, इक्रा और केयर रेटिंग्स कुछ ऐसी रेटिंग एजेंसियां हैं जिनकी रेटिंग बहुत मायने रखती है। सबसे बेहतर रेटिंग AAA है। इसलिए AAA रेटिंग वाली कंपनियों में एफडी करना ज्यादा बेहतर है। बेहतर रेटिंग का मतलब यह है कि पेमेंट (ब्याज और प्रिंसिपल अमाउंट) को लेकर कंपनी के डिफॉल्ट की आशंका कम है।

कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड

रेटिंग निवेश की एकमात्र कसौटी नहीं होनी चाहिए। कंपनी का बैकग्राउंड यानी पुराना परफार्मेंस, मौजूदा वित्तीय स्थिति को लेकर भी ठीक से जांच लें। ज्यादा कर्ज यानी डेट वाली कंपनियों के एफडी में निवेश से बचें। कंपनी के ब्याज और प्रिंसिपल अमाउंट के पेमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड भी जरूर देखें। साथ ही हो सके तो कंपनी का इंटरेस्ट कवरेज रेश्यो, डेट टू सेल्स रेश्यो और एसेट टर्नओवर रेश्यो को भी थोड़ा समझने की कोशिश करें। कंपनी के प्रमोटर्स के बारे में भी तहकीकात कर लें।

मिनिमम सुरक्षा गारंटी

कॉरपोरेट एफडी, बैंक एफडी जितनी सुरक्षित नहीं हैं। बैंक एफडी के लिए आरबीआई एक कस्टमर को अधिकतम 5 लाख रुपए तक के डिपॉजिट पर सुरक्षा गारंटी (बीमा) प्रदान करता है, जबकि कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में निवेशक की एफडी (कॉरपोरेट एफडी) की रकम (प्रिंसिपल अमाउंट + ब्याज ) के डूबने का खतरा रहता है। हालांकि कंपनी एक्ट 2013 के तहत कॉरपोरेट एफडी पर भी 20,000 रुपए तक के बीमा का प्रावधान किया गया है, लेकिन कंपनियां इस पर कम ही अमल करती हैं।

टैक्सेशन

सालाना 5,000 रुपए की राशि से ज्यादा के ब्याज पर आपको कंपनी एफडी पर टीडीएस देना होगा, जबकि बैंक एफडी में यह सीमा 40 हजार रुपए (सीनियर सिटीजन के लिए 50 हजार रुपये) की है। अगर आप टीडीएस से बचना चाहते हैं तो आप कंपनी निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प के पास 15जी या 15एच फॉर्म भर कर जमा कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी प्रावधान किए गए हैं। मसलन अगर सभी एग्जेंप्शन और डिडक्शन के बाद जमाकर्ता की टोटल इनकम पर टैक्स देनदारी शून्य हो, साथ ही एफडी पर मिलने वाला सालाना ब्याज टैक्स में छूट की बेसिक लिमिट यानी 2.5 लाख रुपये से कम हो, तभी वे 15जी फॉर्म जमा कर सकते हैं। वहीं अगर आपकी उम्र 60 साल या इससे अधिक है तो आपको 15एच फार्म जमा करना होगा। इस मामले में सिर्फ आपकी कुल आय पर टैक्स देनदारी नहीं होनी चाहिए। मतलब निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प ब्याज की राशि टैक्स में छूट की बेसिक लिमिट से ज्यादा होने पर भी सीनियर और सुपर सीनियर सिटीजन 15एच फॉर्म भर कर जमा कर सकते हैं।

बैंक एफडी में पांच साल के डिपॉजिट पर 80 सी के तहत 1.5 लाख की रकम पर डिडक्शन का प्रावधान है, जबकि निवेश आकर्षित करने के लिए 8 विकल्प कंपनी एफडी पर इस तरह का कोई टैक्स बेनिफिट नहीं है।

बैंक एफडी की तरह कंपनी एफडी पर भी ओवरड्राफ्ट/लोन की सुविधा मिलती है।

सुझाव

जोखिम कम करने, एवरेजिंग और बेहतर लिक्विडिटी के लिए आप लैडरिंग स्ट्रैटिजी का इस्तेमाल कर अपने इन्वेस्टमेंट अमाउंट को अलग-अलग कंपनी के अलग-अलग मैच्योरिटी वाले एक से अधिक एफडी में इन्वेस्ट कर सकते हैं। लैडरिंग स्ट्रैटिजी की मदद से इन्वेस्ट करने पर आपको रेगुलर इंटरवल पर लिक्विडिटी की सुविधा मिलेगी। वहीं, अगर आप कम रेटिंग वाली कंपनियों के एफडी में निवेश करना भी चाहते हैं तो शार्ट टर्म के लिए करें। बेहतर रेटिंग वाले कंपनी एफडी में भी ज्यादा से ज्यादा तीन साल के लिए ही निवेश करें।

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