[BEST 3] BOOKS FOR SHARE MARKET IN Hindi | शेयर मार्केट के लिये हिंदीमे अच्छी किताबे

हम सभी जानते है की जीवन में किताबो का कितना महत्व होता है| किताबो में लेखा का वर्षो का अनुभव समाहित होता है| इस लिए इन किताबो से काफी कुछ सिखने को मिल सकता है| यहाँ पर हम आपसे इसी सिल सिले में कुछ ऐसी किताब की जानकारी दे रहे है जो आपके लिए काफी ज्ञानवर्धक होगी|

शेयर मार्केट में कई लोगो ने बहुत पैसे बनाए है तो कई लोग इसमे डूब भी गए है| हर दिन कई लोग पैसे कमाने की आशा से शेयर मार्किट की और देखते तो है लेकिन अच्छा ज्ञान नहीं होने की वजह से वह शेयर मार्किट में अपना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते है|

अब प्रश्न यह है की शेयर मार्केट सीखे कहा से?

शेयर मार्केट दो तरह से सिखा जा सकता है एक दूसरो के अनुभव से और दूसरा खुद के अनुभव से| खुद के अनुभव् से सीखना बहोत ही लम्बी रिस्की प्रक्रिया है इसीलिए दूसरो के अनुभव से अगर इसे सीखन ही बहेतर होता है|

आज कल कई लोग अपने अनुभव और ज्ञान विडियो के रूप में फ्री और बहोत कीमती कोर्स चलाकर दे रहे है जो की खरीदना आम लोगो के लिए शुरूआती रूप में कठिन है|

शेयर मार्केट में अच्छा करना है तो किताब आपकी बहोत मदद कर सकती है| बहोत से ऐसे लोग होते है जो अपना अनुभव् किताबो के रूप में शेयर करते है| उन किताबो से उनके अनुभव् और ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है| इसी लिए हम यहाँ पर आपको शेयर मार्किट की 3 सबसे अच्छी किताबो के बारे में जानकारी देंगे| यह आप दी गयी लिंक के माध्यम से खरीद सकते है|

Best Books to Learn the Basics of Share Market in Hindi| शेयर मार्किट की मुलभुत जानकारी के लिए महत्वपूर्ण किताब

यहाँ पर हमने आपसे कुछ ऐसी किताब की जानकारी दी है जो आपको शेयर बाजार की मुलभुत जानकारी प्रदान करेंगी| यह किताबे शेयर बाज़ार को सिखने के लिए काफी महत्वपूर्ण है| और सबसे बढ़िया बात यह है की यह हिंदी भाषा में उपलब्ध है|

कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें

Share Market Books in Hindi

Books Language: Hindi
Pages: 333
Publisher: CNBC
Publication Date: 1st January 2015
Book Description:कैसे स्टॉक मार्केट में निवेश करें” यह किताब आपकी शेयर बाजार में निवेश कैसे करे उसमे मदद करेंगी| इससे आपको अपनी निवेश कहा करनी और उसके साथ कोन कोन रिस्क जुड़े हुए है और आपको किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिए| शेयर बाज़ार के कुछ ऐसे पहलू से भी आपको अवगत कराएंगी जो आपको जानना आवश्यकहै|

इंट्रा डे ट्रेडिंग की पहचान

Share Market Books in Hindi

Books Language: Hindi
Pages: 192
Price: 225
Publisher: Buzzingstock Publishing
Publication Date: 1 January 2009
Book Description:इंट्रा डे ट्रेडिंग की पहचान” यह किताब आपकी शेयर बाजार में निवेश कैसे करे उसमे मदद करेंगी| यह किताब अंकित गाला और जीतेन्द्र गाला के द्वारा लिखी गई है| इसमे इंट्राइंट्राडे के साथ, जोखिम नियंत्रण, दिमागी खेल, स्टॉक चयन के लिए रणनीतियाँ, जानकारी का स्रोत, तकनीकी विश्लेषण, प्रवेश और निकास जैसी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी|Books Language: Hindi
Pages: 192
Price: 225
Publisher: Buzzingstock Publishing
Publication Date: 1 January 2009
Book Description:इंट्रा डे ट्रेडिंग की पहचान” यह किताब आपकी शेयर बाजार में निवेश कैसे करे उसमे मदद करेंगी| यह किताब अंकित गाला और जीतेन्द्र गाला के द्वारा लिखी गई है| इसमे इंट्रा

Other Best Book for Learning Share Market in Hindi | शेयर मार्केट सीखने के लिए अन्य किताब

यहाँ पर हम कुछ और किताब की जानकारी आपको दे रहे है जो आपको शेयर बाजार को अच्छे से समजने में आपकी मदद कर सकता है|

स्विंग ट्रेडिंग विथ टेक्निकल एनालिसिस

Swing Trading with Technical Analysis

Books Language: Hindi
Pages: 240
Price: 225
Publisher: Buzzingstock Publishing
Publication Date: 1 January 2019
Book Description:स्विंग ट्रेडिंग विथ टेक्निकल एनालिसिस” यह किताब आपकी शेयर बाजार में निवेश कैसे करे उसमे मदद करेंगी| यह किताब रवि पटेल के द्वारा लिखी गई है| इससे आपको स्विंग ट्रेडिंग की अल्पकालिक ट्रेडिंग तकनीक में महारत हासिल करने में मदद मिलेगी। यह आपको शेयर बाजार में कब निवेश करना और कब बहार निकल जाना चाहिए उसकी भी समज देता है| कैंडल स्टिक एनालिसिस में भी मदद करता है|

यहाँ पर हमने आपसे शेयर बाज़ार के बारे में तिन ऐसी book की जानकारी दी है जो शेयर बाज़ार को समजने में आपकी काफी मदद करेंगी| आप इस लेख best books for share market in hindi पर अपने सुझाव निचे कमेंट कर के अवश्य दे|

शेयर बाजार में चाहते हैं पैसा कमाना तो इन 5 पसंदीदा ट्रेडिंग रणनीतियों के बारे में आपको होगा जानना

शेयर बाजार में ट्रेडिंग की कई रणनीतियां हैं लेकिन यहां पर हम सबसे ज्यादा लोकप्रिय रणनीतियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं

ट्रेडर्स चाहें तो हर प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति से जुड़े जोखिम और लागत को समझकर ट्रेडिंग में रणनीतियों के संयोजन का उपयोग भी कर सकते हैं

ट्रेडिंग का मतलब सिक्टोरिटीज को खरीदना और बेचना होता है। ट्रेडिंग भी कई प्रकार की होती हैं। एक दिन से लेकर सालों के लंबे अंतराल के लिए भी ट्रेडिंग की जाती है। इसके साथ ही अलग-अलग बाजारों के माहौल और वहां मौजूद जोखिम से जुड़ी विभिन्न ट्रेडिंग रणनीतियां (trading strategies) शेयरों में कारोबार करने के समय अपनाई जाती हैं।

यहां पर हम कुछ ट्रेडिंग रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं जो बाकी रणनीतियों में से सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। ये रणनीतियां निवेशकों को तर्कसंगत निवेश निर्णय लेने में मदद कर सकती हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)

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इंट्राडे ट्रेडिंग जिसे डे ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है। ये ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें निवेशक एक ही दिन में शेयरों को खरीदते और बेचते हैं। वे शेयर बाजार के बंद होने के समय से पहले ट्रेडिंग बंद कर देते हैं। एक ही दिन में वे मुनाफा और घाटा बुक करते हैं।

निवेशक इन शेयरों में एक दिन में कुछ सेकंड, घंटे के लिए या इसमें दिन भर में कई बार ट्रेड ले सकते हैं। इसलिए इंट्राडे एक अत्यधिक वोलाटाइल ट्रेडिंग रणनीति मानी जाती और इसके लिए तेजी से निर्णय लेना होता है।

पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)

पोजिशनल ट्रेडिंग एक ऐसी रणनीति है जहां शेयर्स को महीनों या सालों के लंबे समय तक रखा जाता है। ऐसे शेयरों में समय के साथ भाव में बड़ी बढ़त की अपेक्षा के साथ मुनाफा कमाने की उम्मीद की जाती है। निवेशक आमतौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ कंपनी का टेक्निकल ग्राउंड देखकर इस शैली को अपनाते हैं।

इसलिए इस प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति में आमतौर पर बाजार के रुझान और उतार-चढ़ाव जैसी अल्पकालिक जटिलताओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग आमतौर पर एक ऐसी रणनीति है जहां निवेशक शेयरों के भाव में और तेजी की उम्मीद में एक दिन से अधिक समय तक शेयरों को अपने पास रखते हैं। स्विंग ट्रेडर्स आने वाले दिनों में बाजार की गतिविधियों और रुझानों की भविष्यवाणी करने के लिए जाने जाते हैं।

इंट्राडे ट्रेडर्स और स्विंग ट्रेडर्स के बीच स्टॉक को अपने पास रखने की समय सीमा में महत्वपूर्ण अंतर होता है। इसलिए कहा जाता है कि ज्यादातर टेक्निकल ट्रेडर्स स्विंग ट्रेडिंग की कैटेगरी में आते हैं।

टेक्निकल ट्रे़डिंग (Technical Trading)

टेक्निकल ट्रेडिंग में ऐसे निवेशक शामिल हैं जो शेयर बाजार में प्राइस चेंज की भविष्यवाणी करने के लिए अपने तकनीकी विश्लेषण ज्ञान का उपयोग करते हैं। इस ट्रेडिंग शैली में कोई विशेष समय-सीमा नहीं होती है क्योंकि यह एक दिन से लेकर महीनों तक के लिए भी हो सकती है।

बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करने के लिए अधिकांश ट्रेडर्स अपने टेक्निकल एनालिसिस स्किल्स का उपयोग करते हैं। हालांकि स्टॉक की कीमतों का निर्धारण करते समय सबसे महत्वपूर्ण टेक्निकल एनालिसिस बाजार की परिस्थिति होती है।

फंडामेंटल ट्रेडिंग (Fundamental Trading)

फंडामेंटल ट्रेडिंग का मतलब स्टॉक में निवेश करना होता है जहां ट्रेडर्स समय के साथ भाव में तेजी की उम्मीद के साथ कंपनी के स्टॉक को खरीदता है। इस तरह की ट्रेडिंग में 'बाय एंड होल्ड' रणनीति में विश्वास किया जाता है।

इस प्रकार की ट्रेडिंग आमतौर पर कंपनी के फोकस्ड इंवेंट्स में किया जाता है। इसके लिए फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स, नतीजों, ग्रोध और मैनेजमेंट क्वालिटी का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है।

मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ये ट्रेडिंग रणनीतियाँ बहुत काम की होती हैं और निवेशक को उस ट्रेडिंग शैली पर निर्णय लेने में मदद करती हैं जिसे वे अपनाना चाहते हैं। प्रत्येक प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति से जुड़े जोखिम और लागत की गहन समझ के साथ ट्रेडर्स चाहें तो रणनीतियों के संयोजन का उपयोग करके भी शेयरों में खरीद-फरोख्त कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)

स्विंग ट्रेडिंग के बारे में कैसे

Stock Market Beginner Guide –

अगर आपको Trading कि ABCD भी पता नही तो ये Book आपको मदत करेगी इस Book मी ट्रेडिंग क्या हें ये आपण बिलकुल आसान भाषा में समजाया हें

ये Stock Market Beginner Guide आपको बिलकुल फ्री में मिलने वाली हे हमारी ट्रेडिंग कि पाठशाला E-book के सात… पर आपको जल्दी कराना होगा क्यूकी ये Limited Time के लिये हि Available हें

Stock Market की 15 Best Videos –

दोस्तों आपके लिए खास Selected विडियो हमने लाये है, ये वीडियो मे एक नए बन्दे को जो स्टॉक मार्केट के बारे मे ज्यादा जानकारी नहीं रखता या नहीं है। खास उन लोगो के लिए ये वीडियो लाये है
जब आप हमरी ट्रेडिंग की पाठशाला ईबुक पढेंगे और ये सभी वीडियो देखेंगे तो आपको Definitely सक्सेस मिलेगा।

शेयर बाजार में चाहते हैं पैसा कमाना तो इन 5 पसंदीदा ट्रेडिंग रणनीतियों के बारे में आपको होगा जानना

शेयर बाजार में ट्रेडिंग की कई रणनीतियां हैं लेकिन यहां पर हम सबसे ज्यादा लोकप्रिय रणनीतियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं

ट्रेडर्स चाहें तो हर प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति से जुड़े जोखिम और लागत को समझकर ट्रेडिंग में रणनीतियों के संयोजन का उपयोग भी कर सकते हैं

ट्रेडिंग का मतलब सिक्टोरिटीज को खरीदना और बेचना होता है। ट्रेडिंग भी कई प्रकार की होती हैं। एक दिन से लेकर सालों के लंबे अंतराल के लिए भी ट्रेडिंग की जाती है। इसके साथ ही अलग-अलग बाजारों के माहौल और वहां मौजूद जोखिम से जुड़ी विभिन्न ट्रेडिंग रणनीतियां (trading strategies) शेयरों में कारोबार करने के समय अपनाई जाती हैं।

यहां पर हम कुछ ट्रेडिंग रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं जो बाकी रणनीतियों में से सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। ये रणनीतियां निवेशकों को तर्कसंगत निवेश निर्णय लेने में मदद कर सकती हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)

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Rekha Jhunjhunwala के निवेश वाले इस शेयर में लगातार दूसरे दिन लगा 5% का अपर सर्किट, क्या आपने भी है खरीदा?

Multibagger Stock: 10 रुपये का शेयर पहुंचा 3300 के भाव, इस नेट कंपनी ने दिया छप्परफाड़ रिटर्न

शेयर बाजार के उतारचढ़ाव से बेफिक्र म्यूचुअल फंड हाउस, जानिए कहां कर रहे हैं खरीदारी

इंट्राडे ट्रेडिंग जिसे डे ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है। ये ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें निवेशक एक ही दिन में शेयरों को खरीदते और बेचते हैं। वे शेयर बाजार के बंद होने के समय से पहले ट्रेडिंग बंद कर देते हैं। एक ही दिन में वे मुनाफा और घाटा बुक करते हैं।

निवेशक इन शेयरों में एक दिन में कुछ सेकंड, घंटे के लिए या इसमें दिन भर में कई बार ट्रेड ले सकते हैं। इसलिए इंट्राडे एक अत्यधिक वोलाटाइल ट्रेडिंग रणनीति मानी जाती और इसके लिए तेजी से निर्णय लेना होता है।

पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)

पोजिशनल ट्रेडिंग एक ऐसी रणनीति है जहां शेयर्स को महीनों या सालों के लंबे समय तक रखा जाता है। ऐसे शेयरों में समय के साथ भाव में बड़ी बढ़त की अपेक्षा के साथ मुनाफा कमाने की उम्मीद की जाती है। निवेशक आमतौर पर फंडामेंटल एनालिसिस के साथ कंपनी का टेक्निकल ग्राउंड देखकर इस शैली को अपनाते हैं।

इसलिए इस प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति में आमतौर पर बाजार के रुझान और उतार-चढ़ाव जैसी अल्पकालिक जटिलताओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

स्विंग ट्रेडिंग आमतौर पर एक ऐसी रणनीति है जहां निवेशक शेयरों के भाव में और तेजी की उम्मीद में एक दिन स्विंग ट्रेडिंग के बारे में कैसे से अधिक समय तक शेयरों को अपने पास रखते हैं। स्विंग ट्रेडर्स आने वाले दिनों में बाजार की गतिविधियों और रुझानों की भविष्यवाणी करने के लिए जाने जाते हैं।

इंट्राडे ट्रेडर्स और स्विंग ट्रेडर्स के बीच स्टॉक को अपने पास रखने की समय सीमा में महत्वपूर्ण अंतर होता है। इसलिए कहा जाता है कि ज्यादातर टेक्निकल ट्रेडर्स स्विंग ट्रेडिंग की कैटेगरी में आते हैं।

टेक्निकल ट्रे़डिंग (Technical Trading)

टेक्निकल ट्रेडिंग में ऐसे निवेशक शामिल हैं जो शेयर बाजार में प्राइस चेंज की भविष्यवाणी करने के लिए अपने तकनीकी विश्लेषण ज्ञान का उपयोग करते हैं। इस ट्रेडिंग शैली में कोई विशेष समय-सीमा नहीं होती है क्योंकि यह एक दिन से लेकर महीनों तक के लिए भी हो सकती है।

बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव को निर्धारित करने के लिए अधिकांश ट्रेडर्स अपने टेक्निकल एनालिसिस स्किल्स का उपयोग करते हैं। हालांकि स्टॉक की कीमतों का निर्धारण करते समय सबसे महत्वपूर्ण टेक्निकल एनालिसिस बाजार की परिस्थिति होती है।

फंडामेंटल ट्रेडिंग (Fundamental Trading)

फंडामेंटल ट्रेडिंग का स्विंग ट्रेडिंग के बारे में कैसे मतलब स्टॉक में निवेश करना होता है जहां ट्रेडर्स समय के साथ भाव में तेजी की उम्मीद के साथ कंपनी के स्टॉक को खरीदता है। इस तरह की ट्रेडिंग में 'बाय स्विंग ट्रेडिंग के बारे में कैसे एंड होल्ड' रणनीति में विश्वास किया जाता है।

इस प्रकार की ट्रेडिंग आमतौर पर कंपनी के फोकस्ड इंवेंट्स में किया जाता है। इसके लिए फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स, नतीजों, ग्रोध और मैनेजमेंट क्वालिटी का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है।

मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ये ट्रेडिंग रणनीतियाँ बहुत काम की होती हैं और निवेशक को उस ट्रेडिंग शैली पर निर्णय लेने में मदद करती हैं जिसे वे अपनाना चाहते हैं। प्रत्येक प्रकार की ट्रेडिंग रणनीति से जुड़े जोखिम और लागत की गहन समझ के साथ ट्रेडर्स चाहें तो रणनीतियों के संयोजन का उपयोग करके भी शेयरों में खरीद-फरोख्त कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

क्रिप्टो ट्रेडिंग इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स. निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं.

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

Crypto Trading में पिवट पॉइंट्स के सहारे ओवरऑल ट्रेंड प्रिडिक्ट किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (cryptocurrency trading) इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही जोखिम के साथ अनुमानों पर चलती हैं और दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं और प्रिडिक्शन करते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स (pivot points). निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं. इससे अनुमान लगाया जाता है कि निवेश में उनका अगला कदम क्यों होना चाहिए. क्या उन्हें पैसे निकाल लेने चाहिए या निवेश डबल कर देना चाहिए.

पिवट पॉइंट्स क्या होते हैं?

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पिवट पॉइंट का पता तकनीकी विश्लेषण के जरिए लगाया जाता है और इससे बाजार के ओवरऑल ट्रेंड का पता चलता है. सीधे शब्दों में बताएं तो यह पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस का एवरेज यानी औसत आंकड़ा होता है. अगर अगले दिन के ट्रेडिंग सेशन बाजार इस पिवट पॉइंट के ऊपर जाता है, तो कहा जाता है कि बाजार बुलिश सेंटीमेंट यानी तेजी दिखा रहा है, वहीं, अगर बाजार इस पॉइंट से नीचे ही रह जाता है तो इसे बेयरिश यानी गिरावट वाला मार्केट माना जाता है. ऐसे मार्केट में निवेशकों को अपनी रणनीति बदलने की सलाह दी जाती है.

जब पिवट पॉइंट्स के साथ दूसरे टेक्निकल टूल्स को मिलाकर गणना की जाती है, तो इससे उस असेट के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ किसी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग सेशन में सपोर्ट और रेजिस्टेंट लेवल का पता भी लगता है.

पिवट पॉइंट्स कैसे कैलकुलेट किए जाते हैं?

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने के कई तरीके हैं, लेकिन स्विंग ट्रेडिंग के बारे में कैसे सबसे आम तरीका फाइव-पॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में पिछले ट्रेडिंग सेशन के ऊंचे, सबसे निचले स्तर, और क्लोजिंग प्राइस के साथ दो सपोर्ट लेवल और दो रेजिस्टेंस लेवल को लेकर कैलकुलेशन किया जाता है.

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने का समीकरण ये है :

पिवट पॉइंट = (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर + पिछले सत्र का निचला स्तर + पिछला क्लोजिंग प्राइस) 3 से विभाजन (/)

सपोर्ट लेवल कैलकुलेट करने का समीकरण :

सपोर्ट 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का ऊंचा स्तर

सपोर्ट 2 = पिवट पॉइंट − (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

रेजिस्टेंस लेवल कैलकुलेट करने के लिए समीकरण :

रेजिस्टेंस 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का निचला स्तर

रेजिस्टेंस 2 = पिवट पॉइंट + (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

इन समीकरणों से निकली गणनाओं का इस्तेमाल दो रेजिस्टेंस लेवल, दो सपोर्ट लेवल और एक पिवट पॉइंट तय करने के लिए करते हैं. इस सिस्टम से ट्रेडर्स पता लगा सकते हैं कि कहां पर कीमतें प्रभावित हो सकती हैं और बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती हैं.

टाइम फ्रेम

ट्रेडर्स आमतौर पर पिवट पॉइंट्स का इस्तेमाल छोटे टाइम फ्रेम का चार्ट बनाने के लिए करते हैं. या तो ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे या फिर कम से कम 15 मिनट का चार्ट बनाया जा सकता है.

पिवट पॉइंट्स कितने तरह के होते हैं?

पिवट पॉइंट पांच तरह के होते हैं. फाइव-पॉइंट सिस्टम में स्टैंडर्ड पिवट पॉइंट (Standard Pivot Point) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बाकी चार पिवट पॉइंट्स को- Camarilla Pivot Point, Denmark Pivot Point, Fibonacci Pivot Point और Woodies Pivot Point कहते हैं.

पिवट पॉइंट्स दूसरे इंडिकेटर्स या संकेतकों से अलग कैसे है?

पिवट पॉइंट सिस्टम मौजूदा प्राइस में मूवमेंट पर निर्भक रहने के बजाय, पिछले सत्र के डेटा का इस्तेमाल करता है. इस अप्रोच से ट्रेडर्स को आगे की संभावनाओं का जल्दी पता चलता है स्विंग ट्रेडिंग के बारे में कैसे और वो इसके हिसाब से स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं. ये पिवट पॉइंट अगले ट्रेडिंद सेशन तक स्टैटिक यानी स्थिर रहते हैं.

पिवट पॉइंट्स में कमी क्या है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिवट पॉइंट्स ज्यादा बेहतर मदद बस इंट्रा-डे ट्रेडिंग में ही करते हैं क्योंकि ये बहुत ही सीधी गणना पर आधारित होते हैं और इस वजग से स्विंग ट्रेडिंग में काम नहीं आ सकते. साथ ही, अगर करेंसी में प्राइस मूवमेंट बहुत ज्यादा होने लगी तो इससे पिवट पॉइंट्स के अनुमान व्यर्थ हो सकते हैं. ऐसे में जब बाजार में ज्यादा वॉलेटिलिटी हो यानी कि ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तो निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वो पिवट पॉइंट्स पर भरोसा न करें क्योंकि प्राइस मूवमेंट किसी भी कैलकुलेशन स्ट्रेटजी को धता बता सकता है.

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