अमित शाह 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई के एक संपन्न गुजराती परिवार में जन्मे थे। बीजेपी के अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद उन्होने पार्टी की पूरी तस्वीर ही बदल कर रख दी है। तीन तलाक, कश्मीर से आर्टिकल 370 का रद्द होना ये कुछ ऐसे ऐतिहासिक फैसले हैं जिनको अमल करने के पीछे का मास्टरमाइंड शाह को ही माना जाता है। आश्चर्यजनक बात तो ये है कि राजनीति की ये अद्भुत कला उन्हें विरासत में नहीं मिली। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने सही समय पर अचूक दांव खेल कर बड़े बड़े राजनीतिज्ञ के हौसले पस्त कर दिए है। तो आइये जानें सियासी अखाड़े के इस धुरंधर का बेहतरीन सफर।
इक्विटी डिलीवरी और इंट्राडे में लगने वाले शुल्क।
जब भी आप किसी शेयर की खरीद- बिक्री करते हैं तब इस खरीद- बिक्री में बहुत सारे पार्टिसिपेंट भाग लेते हैं ।जिनमें आपका ब्रोकर,ब्रोकर के पीछे क्या है? डिपॉजिटरी, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन आदि शामिल है। यह सभी इनटीटी, आपको शेयर खरीदने या बेचने में काफी मदद करते हैं। आपको पता भी नहीं होता कि इनके पीछे क्या-क्या प्रक्रियाएं हो रही होती हैं। इन सब कार्य को करने के लिए ये पार्टिसिपेंट्स कुछ शुल्क लगाते हैं।
Broker Contract Note
शेयर की खरीद बिक्री पर लगने वाली ये शुल्क आपके ब्रोकर द्वारा आपके कॉन्ट्रैक्ट नोट में दिया जाता है।
आइए जानते हैं कि इक्विटी ब्रोकर के पीछे क्या है? डिलीवरी और इक्विटी इंट्राडे में कौन-कौन से शुल्क लगते हैं।
चुनावों का संभाला जिम्मा
1987 में शाह ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और बीजेपी ब्रोकर के पीछे क्या है? की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा में शामिल हो गए। 1997 में उनकी BJYM के कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की गई। और 1989 में वे बीजेपी अहमदाबाद शहर के सचिव बनाये गए। शाह को ब्रोकर के पीछे क्या है? राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रचार प्रसार के लिए भी याद किया जाता है। उसी दौरान उनकी लाल कृष्ण आडवाणी से मुलाकात हुई थी। आडवाणी उस समय गुजरात के गांधीनगर से लोकसभा के चुनावी मैदान में उतरे थे। शाह ने उस समय चुनाव संयोजक की पहली बार भूमिका निभाई और 2009 तक लगातार उठाते रहे।
वित्त निगम को घाटे से उबारा
1995 में शाह गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने न सिर्फ इसके मुनाफे में 214 प्रतिशत की वृद्धि की, बल्कि कार्यकाल के दौरान निगम को घाटे से बाहर भी उबारा। उनके अध्यक्ष रहते हुए पहली बार पत्ता खरीद फरोख्त, कार्यशील पूंजी अवधि लोन और ट्रक ऋण शुरुआत की गई। 36 साल में शाह अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के युवा अध्यक्ष बने। यहां भी उन्होंने अपने पद की महत्वता कायम रखते अपनी पूरी तरीके से निभाई। और महज एक साल के भीतर 20.28 करोड़ का घाटा पूरा किया।
ऐसे ब्रोकर के पीछे क्या है? बने पार्टी के फेवरेट
साल 1997 में पहली बार वो चुनावी लड़ाई में उतरे और सरखेज विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर विधायक पद के लिए नामांकन भरा। और भारी भरकम वोटों से विजयी हुए। और ये जीत का अंतर हर चुनाव में लगातार बढ़ता ही गया। उनकी अद्वितीय रणनीति के चलते उन्हें 2001 में बीजेपी की राष्ट्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ का संयोजक नियुक्त किया गया। इस दौरान उनकी कार्यकुशलता को सबसे ज्यादा लाइमलाइट मिली जिसके चलते उन्हें पितामह की उपाधि मिल गई।
IRCTC Tatkal Ticket Booking: खुद बुक कर सकते हैं कंफर्म तत्काल ट्रेन टिकट, नहीं ब्रोकर के पीछे क्या है? पड़ेगी ब्रोकर की जरूरत
IRCTC Tatkal Ticket Booking: अगर आपको कहीं दूर-दराज या पास की भी यात्रा करनी है, तो आपके पास कई विकल्प होते हैं। कोई अपने वाहन से, कोई बस से तो कोई हवाई जहाज से यात्रा करना पसंद करता है। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि लोग ट्रेन से यात्रा ब्रोकर के पीछे क्या है? करना भी काफी पसंद करते हैं। खासतौर पर लंबे रूट के लिए ब्रोकर के पीछे क्या है? ब्रोकर के पीछे क्या है? लोग ट्रेन का ही चुनाव करते हैं। इसके पीछे ट्रेन में मिलने वाली सुविधाएं भी एक कारण है। वहीं, अगर आप भारतीय ट्रेन से सफर करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको टिकट बुक करवाना पड़ता है। कई लोग अब भी टिकट बुक करने के लिए ब्रोकर यानी एजेंट का सहारा लेते हैं, जो आपसे अतिरिक्त पैसे लेकर आपको टिकट देता है। लेकिन अगर आप चाहें तो आप खुद घर बैठे तत्काल ट्रेन टिकट बुक कर सकते हैं, क्योंकि इसका सरल तरीका हम आपको बताने जा रहे हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि आप कैसे घर बैठे बिना एजेंट की मदद के ट्रेन टिकट बुक कर सकते हैं। आप अगली स्लाइड्स में इस बारे में जान सकते हैं.
जेल में बंद प्रॉपर्टी ब्रोकर सबलोक की हार्ट अटैक से मौत या हत्या?
उज्जैन. पिछले ६ माह से धोखाधड़ी मामले में जेल में बंद प्रॉपर्टी ब्रोकर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि उनकी जेल में जहरीली गोली खिलाकर हत्या की गई है जो उनके मुहं में मिली है। इस षड़यंत्र के पीछे जेल प्रशासन और आगर मंे पदस्थ टीकाकरण अधिकारी पर हत्या का आरोप लगाया है। टीकाकरण अधिकारी पर फर्जी दस्तावेज बनाने के मामले में जांच चल रही है जिसके पुख्ता सबूत प्रापटी ब्रोकर के पास बताए जा रहे थे।
देर शाम तीन डॉक्टरों की पैनल ने शव का पीएम कर परिजनों को सौंपा है। परिजन के अनुसार वे बुधवार दोपहर एसपी से मुलाकात कर इस षडयंत्र में जांच की मांग करेंगे।
धोखाधड़ी मामले में हुए थे बंद
स्नेह नगर निवासी प्रॉपर्टी ब्रोकर राजेश सबलोक (51) पिता जोगेन्दर पर शहर की विभिन्न कॉलोनियों में प्लॉट बेचने के नाम पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। जिसके चलते पिछले ६ माह से वे भैरवगढ़ जेल में बंद थे। प्रॉपर्टी ब्रोकर के पुत्र प्रखर व प्रतीक सबलोक ने बताया कि पिताजी को न तो कोई हार्ट अटैक की समस्या थी और न ही कोई गंभीर बीमारी। हम दो दिन पूर्व ही पापा से जेल में मिलकर आए थे। तब भी उन्होंने इस तरह की आशंका जताई थी। प्रखर के अनुसार जेल उपअधीक्षक संतोष लाडि़या ने भी उन्हें पिछले दिनों गाली गलौज की थी। जो आगर में पदस्थ डॉ. राजेश गुप्ता के इशारे पर पिता को प्रताडि़त कर रहे थे। प्रखर के अनुसार उनके पिता की जेल में हत्या हुई है। जिन्हें जहरीली गोली खिलाई गई है जो उनके मुंह में मिली।
ब्लड प्रेशर बढऩे पर पहुंचाया था हॉस्पिटल
जेल प्रशासन के अनुसार मंगलवार सुबह १२.३० बजे राजेश सबलोक की तबीयत बिगडऩे पर उन्हें जेल अस्पताल में पहुंचाया था। बीपी चैक करने पर हाई 210 और लौ 130 था। इस पर डॉक्टरों ने 12 बजकर 50 मिनट पर तुंरत जिला अस्पताल भेजा जहां उपचार के दौरान करीब 1.30 बजे उनकी मौत हो गई। कैदी की मौत के बाद 1.45 बजे जेल प्रशासन ने परिजनों के मोबाइल नंंबर 9977500051 पर सम्पर्क करना चाहा परंतु फोन स्वीच ऑफ मिला इसके बाद दूसरे नंबरों पर सूचना देकर परिजनों को जानकारी दी गई।
पीएम रिपोर्ट में सामने आएगी मौत की वजह
उप अधिक्षक संतोष लाडि़या पर परिजन आरोप लगा रहे हैं वे दो दिनों से अवकाश पर हैं। राजेश सबलोक की मौत ब्लड प्रेशर बढऩे से हुई है अगर मौत की वजह दूसरी है तो वह पीएम रिपोर्ट में सामने आ जाएगा।
अलका सोनकर, जेल अधीक्षक
डॉक्टर ब्रोकर के पीछे क्या है? हूं फिल्मी स्टाइल का किलर नहीं
राजेश सबलोक के परिजन निराधार आरोप लगा रहे हैं। रही बात जेल उपअधीक्षक संतोष लाडि़या की, जिन्हें जानता तक नहीं। मैं डॉक्टर हूं फिल्मी स्टाइल का किलर नहीं, जो भी होगा पीएम रिपोर्ट मेंं साफ हो जाएगा।
डॉ. राजेश गुप्ता, टीकाकरण अधिकारी, आगर
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